मैं पाकिस्तान में सताया गया हिंदू हूं
मैं हिंदुस्तान में दबाया गया मुस्लिम हूं
मैं इज़रायल का मारा फ़िलिस्तीनी हूं
मैं जर्मनी में कत्ल हुआ यहूदी हूं
मैं इराक का जलाया हुआ कुवैती हूं
मैं चीन द्वारा कुचला गया तिब्बती हूं
मैं अमेरिका में घुटता हुआ ब्लैक हूं
मैं आइसिस से प्रताड़ित यज़ीदी हूं
मैं अशोक से हारा कलिंगी हूं
मैं रशिया से त्रस्त सीरियन हूं,
पॉलिश हूं,
हंगेरियन हूं,
यूक्रेनी हूं.
मैं अकबर से परास्त मेवाड़ी हूं
मैं ब्रिटेन के हाथों लुटा एशियाई हूं,
अफ़्रीकी हूं,
ऑस्ट्रेलियाई हूं,
उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी हूं
मैं अमेरिका के हथियारों से तबाह किया गया इराकी हूं,
वियतनामी हूं,
लीबियन हूं,
अफ़ग़ानिस्तानी हूं,
लगभग 70 नागरिकताओं की जलती हुई कहानी हूं
मैं म्यांमार से भगाया गया रोहिंग्या हूं
मैं श्रीलंका से मिटाया गया तमिल हूं
मैं चौरासी का सिख हूं
मैं भारत के जंगलों से उजाड़ा गया आदिवासी हूं
मैं अपनी धरती पर कैद कश्मीरी हूं
मैं कश्मीर से बेघर किया गया कश्मीरी पंडित हूं
मैं असम का बंगाली हूं
मैं ख़ुद के देश में रंगभेद झेलता पूर्वोत्तर का वासी हूं
मैं पितृसत्ता से जान बचाती हुई लड़की हूं
मैं परिवार से निकाला हुआ समलैंगिक हूं
मैं शोर में दबाया गया सवाल हूं
मैं वेदों से बहिष्कृत एक जाति हूं
मैं सामाजिक सम्मान के लिए मारा गया प्रेमी हूं
मैं धर्मांधों से धमकाया गया नास्तिक हूं
मैं भीड़ से बाहर धकेली गयी चेतना हूं
मैं तर्कहीनों से सहमा हुआ तर्कवादी हूं
मैं कभी किसी गांव का, कभी किसी राज्य का,
कभी किसी देश का, कभी किसी समाज का,
कभी किसी संस्था का, तो कभी पूरी दुनिया का अल्पसंख्यक हूं
मैं बहुसंख्यकों को दिखाया गया खतरा हूं
मैं लुटेरी सत्ता का सबसे आसान मोहरा हूं
और मैं जानता हूं कि ये दोनों हंसेंगे
अगर मैं खुद को निर्दोष कहूंगा
तो फिर मेरी धरती कौन-सी है
मेरा देश किधर है
मेरा घर कहां है
क्या मैं इस पृथ्वी पर हमेशा खानाबदोश रहूंगा ?
- पुनीत शर्मा
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