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आख़िर NRC से समस्या क्या है ?

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आख़िर NRC से समस्या क्या है ?

जब किसी कानून का ड्राफ्ट तैयार होता है और उसे संसद के सामने पेश किया जाता है तो वह बिल कहलाता है. नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) सन् 2016 में भारतीय संसद में पेश किया गया था. 9 दिसंबर सन 2019 को लोकसभा में और11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में पास होने के बाद 12 दिसंबर 2019 को भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह बिल कानून बन गया, अब इसका नाम CAA – 2019 हो गया है.

CAA के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में जिन हिन्दू, सिक्ख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों के साथ धार्मिक प्रताड़ना हुई है अथवा हो रही है और जो 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले भारत में आ गए हैं, इस अधिनियम में उनको नागरिकता देने का प्रावधान है. इसकेलिए आपको चार प्रमाणपत्र देने होंगे –

  • आप पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान,जिस देश से आकर भारत में रह रहे हैं, उस देश की नागरिकता का प्रमाणपत्र.
  • भारत में कबसे रह रहे हैं.
  • आप मुसलमान नहीं हैं.
  • आप अपने मूल देश में धार्मिक भेदभाव या प्रताड़ना के शिकार हुए हैं.

नोट : इस अधिनियम के तहत मुसलमानों को नागरिकता नहीं दी जाएगी.

NRC के अनुसार केवल वे व्यक्ति जो 25 मार्च, 1971 पहले असम में भारत के नागरिक थे या उनके पूर्वज असम में भारत के नागरिक थे, उन्हें भारतीय नागरिक माना जाएगा. इसका उद्देश्य बांग्लादेशी (मुसलमान) घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें वापस उनके देश भेजना है.

असम में NRC और CAA की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि अब यह प्रक्रिया पूरे देश में लागू की जाएगी, जबकि 22 दिसंबर, 2019 को संसद में एक बयान में कहा कि NRC के बारे में पहले कभी कोई चर्चा नहीं हुई है. हमें इसे सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार असम में लागू करना था और हमने किया.

NRC के तहत घुसपैठियों की पहचान की जाएगी. इस प्रक्रिया से 25 मार्च, 1971 को या उसके बाद आए और पैदा हुए लोगों को, और इससे पहले पैदा हुए और रह रहे लोगों को भी गुजरना होगा. आप भारत के नागरिक हैं तो भी आपको भारत की अपनी नागरिकता साबित करनी होगी. इसके लिए आपको रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सिटीजन रजिस्ट्रेशन, इंडिया द्वारा निर्देशित प्रमाण-पत्र देने होंगे. ये काग़ज़ात इस प्रकार हैं  –

  • 1951 NRC,/ 1951 का एनआरसी,
  • Electoral roll, upto 24 March 1971/ 24 मार्च 1971 से पहले मतदाता सूची में नाम,
  • Land and Tenancy record/ जमीन का मालिकाना हक़ या किरायदार होने का प्रमाण,
  • Citizenship certificate/ नागरिकता प्रमाणपत्र,
  • Permanent residential certificate/स्थाई निवास प्रमाण पत्र,
  • Refugee registration certificate शरणार्थी पंजीकरण प्रमाणपत्र
  • Any government issued license/certificate. सरकार द्वारा ज़ारी लाइसेंस या प्रमाणपत्र
  • Government service/ employment certificate. सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज़
  • Bank or Post office account
  • Birth certificate
  • State educational board or University educational certificate
  • Court records/processes
  • Passport
  • Any LIC policy.

महत्त्वपूर्ण यह कि उपरोक्त दस्तावेज़ 24मार्च, 1971 या इससे पहले का होना चाहिए.

संशोधित : यदि आपके पास 24 मार्च, 1971 से पहले के दस्तावेज़ नहीं हैं तो परिवार के मुखिया, पिता अथवा दादा के साथ संबंध के प्रमाण के साथ निम्न दस्तावेज़ जमा करना होगा –

  • जन्म प्रमाणपत्र
  • भूमि दस्तावेज़
  • शिक्षाबोर्ड या विश्वविद्यालय प्रमाणपत्र
  • बैंक/पोस्ट ऑफिस रिकॉर्ड
  • LIC
  • राशन कार्ड
  • मतदाता सूची में नाम
  • कानूनी रूप से स्वीकार्य अन्य दस्तावेज
  • विवाहित महिलाओं के सबंध में- सर्कल अधिकारी या ग्रामपंचायत सचिव द्वारा दिया गया प्रमाणपत्र।

आख़िर NRC से समस्या क्या है ?

सवाल यह है कि-

  • भारत में रह रहे जिन व्यक्तियों के पास उपरोक्त चौदह दस्तावेज़ नहीं हैं, क्या वे सभी घुसपैठिए अथवा अभारतीय हैं ?
  • क्या भारत के प्रत्येक नागरिक को ये सभी दस्तावेज़ अपने साथ/ पास रखना आवश्यक है ? यदि हां, तो कबसे ? और क्या इसके लिए सरकार ने पहले कोई अधिसूचना अथवा निर्देश जारी किए हैं ? यदि हां, तो कब ?
  • क्या अपनी नागरिकता का प्रमाणपत्र जुटाकर रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है और संबंधित विभाग के पास कोई प्रमाण और आंकड़ा नहीं है ?
  • जिन व्यक्तियों के नाम राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर 2011 में दर्ज़ हैं अर्थात जो व्यक्ति सितंबर 2011 तक भारत का नागरिक थे, क्या वे सभी 25 मार्च 1971 के बाद से संदिग्ध रूप से भारत में रह रहे हैं ?
  • घर-घर जाकर काम करने वाले ‘राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अद्यतन अधिकारी’ अथवा जनगणना अधिकारी के पास मिलान/ maching के लिए भारत में रह रहे व्यक्तियों से संबंधित कौन-सी सूचनाएं अथवा आंकड़े होंगे जिनके आधार पर वह किसी व्यक्ति की नागरिकता को सत्यापित करेगा ?
  • संबंधित विभाग, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अद्यतन की प्रक्रिया में, भारत में रह रहे व्यक्तियों की सहभागिता और सहयोग बढ़ाने के लिए अभियान क्यों नहीं चला रहा है जबकि CAA और NRC के आतंक से कई जानें गई हैं और हजारों लोग अपना ज़रूरी काम-धाम छोड़कर विरोध कर रहे हैं और लाखों की संख्या में लोग विरोध दर्ज़ करा चुके हैं.
  • यदि CAA, NRC और NPR, सियासी खेल नहीं तो क्या संबंधित विभाग को, संबंधित मंत्रालय द्वारा चुप रहकर तमाशा देखने की हिदायत दी गई है ?
  • गृहमंत्री CAA का जिक्र बड़े गर्व से करते हैं, यह ठीक है. वह अपने बयान में यही कहते हैं कि NPR में किसी के नाम के आगे D यानी ‘ डाउटफुल/ संदिग्ध’ नहीं लगेगा, यह सही है लेकिन वह बड़ी चालाकी से पेंचिदे कानून NRC का नाम लेने से बच जाते हैं.
  • जबकि देश के सबसे बड़े प्रतिनिधि, हमारे प्रधानमंत्री के पास नागरिकता का कोई आधिकारिक प्रमाणपत्र नहीं है, तब देश के तमाम अर्धशिक्षित, अशिक्षित, श्रमशील लोगों को रोजी- मजूरी छोड़कर कितने दिनों तक, कितने ऑफिसों के कितने चक्कर लगाने होंगे, क्या किसी को कोई अंदेशा नहीं ?
  • गृहमंत्री और उनके समर्थक मीडिया घराने और उनके समर्थक लोग, भारत देश में रहने वाले सभी व्यक्तियों के लिए नागरिकता प्रमाणित करना आवश्यक बता रहे हैं, यह आवश्यकता देश में रहने वाले कई बड़े तबकों, (जैसे गांव से दूर शहरों में काम करने वाले मजदूर, गांवों- शहरों से दूर जंगलों में रहने वाले तमाम आदिवासी, बेघर- बेसहारा थर्ड जेंडर के लोग, गांव में रहने वाले कृषि मजदूर, और रोजी रोजगार में घिसते पिसते तमाम अशिक्षित असंगठित लोग) के लिए भय, अस्थिरता और अनिश्चितता पैदा करने वाली मजबूरी साबित हो रही है, क्या यह किसी को दिखाई नहीं देता ?
  • विशेष रूप से असम में घुसपैठियों की पहचान करने के लिए 1986 के नागरिकता कानून में संशोधन कर जो NRC सन 2015 में लागू किया गया. शनिवार, 31 अगस्त 2019 को जारी अंतिम सूची में कुल लगभग 3.29 करोड़ लोगों में से 19 लाख लोग अपनी नागरिकता साबित न कर पाने के कारण डिटेंसन सेंटर में रहने के लिए अभिशप्त हुए.

इस पर प्रश्न के उत्तर में 12 दिसंबर 2019 से पहले यही कहते रहे हैं कि NRC हमने सिर्फ असम में लागू किया है. 12 दिसंबर सन् 2019 को इस कानून को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद उसी दिन अपने भाषण में चुनौती देते हुए कहा कि NRC पूरे देश में लागू होगा. यह चुनौती हारे हुए व विपक्ष को थी या देश की जनता को ?

  • भारत के दूसरे राज्यों र्में रह रहे घुसपैठियों की पहचान की प्रक्रिया असम के समान होगी या विशेष ?
  • यह सही है कि NPR ज़रूरी है, देश के लिए भी और देश के प्रत्येक नागरिक के लिए भी लेकिन NRC को NPR के साथ क्यों लाया जा रहा है ?
  • सरकारी कानून के तहत मुस्लिम समुदाय के लोगों को CAA से बाहर रखना क्या यह साबित नहीं करता कि भारत देश, भारत का संविधान, भारत की सरकार, भारत के लोग मानवीय नहीं बल्कि सांप्रदायिक हैं ? क्या CAA, भारत की सनातन संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के विपरित नहीं ?

सवाल और भी हैं. ढेर सारे सवाल हैं लेकिन थोड़ा दूसरी प्रकृति के. जैसे- ‘नरेंद्र मोदी, भारत के नागरिकता कानून 1955 की धारा 3 के अनुसार जन्म से भारतीय नागरिक हैं. उनकी नागरिकता पर सवाल ही नहीं उठता तो बाकी लोग क्या बंगाल की खाड़ी में पैदा हुए हैं ?

‘सूचना का अधिकार’ के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी की नागरिकता का प्रमाण पत्र मांगने पर PMO प्रमाणपत्र यानी सूचना देने के बजाय दलील देता है और वह भी जवाब के रूप में. कौन बताएगा कि पीएम की नागरिकता साबित करना पीएमओ का काम नहीं ?

2015 में असम में जो CAB लागू हुआ था, वह बिल था, कानून नहीं. उसे कानून का दर्ज़ा 12 दिसंबर 2019 को मिला. मतलब नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा असम में 2015 में लागू किया गया CAB गैरकानूनी था. वही NRC, वही CAB असम में 2015 में गैर-कानूनी तरीके से लागू किया गया, वही NRC, वही CAB अब सन् 2020 में पूरे देश में कानून कहकर लागू किया जा रहा है.

(राजेश भारद्वाज के सौजन्य से)

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ROHIT SHARMA

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