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अखण्ड भारत का सपना दिखाने वालों अखण्ड कश्मीर ही बना के दिखा दो ! मौका भी हाथ में आ गया है !

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Vinay Oswalविनय ओसवाल, वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक
चुनाव रैलियों में शहीदों की शहादत पर खूब आंसू बहा रहे हैंं और उपस्थित भीड़ को बता रहे हैंं कि “जो आग उनके दिलों में है, वही आपके दिल मे भी है,” ठीक है, होनी भी चाहिए, परन्तु मोदी जी, आपकी पार्टी की पिछली सरकार (2004) के निर्णय, जिसके बाद CISF, BSF, ITPB, और CRPF के जवानों को पेंशन से वंचित कर दिया गया था, को लेकर लोगों के दिलों में आग जल रही है. कृपया देश को बताइए कि क्या वही आग आपके दिल में भी जल रही है या कोई दूसरी ?

कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद ने जो जाहिलाना हरकत की है उसका जबाब 2016 जैसी सर्जिकल स्ट्राइक तो नही है, कुछ गम्भीर, बड़ी और फिर पीछे न हटने वाली कार्यवाही से ही दिया जाना जरूरी है. मोदी जी ने कहा है कि स्थान दिन और समय सेना तय करे, उसे पूरी छूट है. खुली छूट देने की बात तो आप पिछले दो सालों में कम से कम दो बार 4/10/16, 2/5/17 में भी कर चुके हैं.

देश को सम्बोधित प्राधानमन्त्री का यह संदेश लोगो का जोश तो बढ़ाता है, पर अधूरा है. अधूरा इस मायने में है कि आज सेना सिर्फ सरहदों पर लड़ती है परन्तु राजनैतिक नेतृत्व पूरे विश्व के प्रति जबाब देह हो जाता है. मोदी जी देश को बताइए कि क्या आपने सेना को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को उससे छीनने के स्पष्ट निर्देश दिए हैंं ?

“भारत की छाती 56 इंच की है”, इस का एहसास तो इंदिरा गांधी ने पूरे विश्व को आज से 48 साल पहले ही 1971 में करा दिया था. भारत का सीना आज भी 56 इंच का ही है, यह आपको सिद्ध करके दिखाना है. चुनाव जीत कर सिर्फ अपने देश के लोगों को दिखाना चाहें, विश्व को न दिखाना चाहें, ये आपकी मर्जी.”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यह स्पष्ट कर चुका है कि अलकायदा, तालिबान और अन्य आतंकवादी संगठन मौलाना अज़हर मसूद को आर्थिक मदद, हथियार आदि-आदि मोहैय्या कराते हैं. इसी मदद से वह जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठन चलाता है, अपने चेलों को आधुनिक घातक हथियार खरीद कर देता है, या खरीदने के लिए पैसे देता है और अन्य प्रकार से उनकी मदद करता है. अफगानिस्तान के प्रथम युद्ध में हरकत-उल-मुझाहिदीन के सदस्य के रूप में अज़हर भाग ले चुका है और जैश-ए-मोहम्मद तालिबान के साथ अमेरिकी सेना से युद्ध भी लड़ चुकी है.




हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबानों का अमेरिकी सेना के साथ सुलह और अमरीका के उसे सत्ता की कुर्सियों पर बिठाने को तैयार हो जाने से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के हौंसले बढ़ गए है. उन्हें लगता है कि वह अमेरिकी सेना को बातचीत की टेबल पर लाने के मजबूर कर सकते हैं तो हिंदुस्तानी सेना को क्यों नही ? माना जा सकता है कि कश्मीरी युवकों का दुस्साहस बढ़ने का एक कारण यह भी है इसीलिए जैश-ए-मोहम्मद को पुलवामा में दुस्साहस करने के लिए स्थानीय कश्मीरी युवक का कंधा आसानी से मिल गया.

विश्व राजनीति के विस्तार में जा कर उसका विश्लेषण करना मेरा उद्देश्य नही है न इस विषय पर मेरी गहरी पकड़ है, मैं तो पाठकों को प्राधानमन्त्री का वक्तव्य क्यों अधूरा है, बस इतना स्पष्ट करना चाहता हूंं इसलिए प्रधानमन्त्री के इस संदेश को देश के लोगों के मनोबल को बढ़ाने वाला तो माना जा सकता है, उससे ज्यादा तवज्जो नहींं दी जा सकती.




मोदी जी के सामने विकल्प एक ही है, देश में आपात काल घोषित करें, चुनाव कम से कम छः माह या साल भर के लिए टालें और पहले जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से निबटने की रणनीति बनाये, पूरा देश उनके साथ खड़ा है. आतंकवादियों को पछाड़े फिर चुनाव कराने की सोचे. पर क्या यह इतना आसान होगा उनके लिए ? न आसान है न तत्काल सम्भव.

2001 में कश्मीर विधानसभा पर पुलवामा जैसे आत्मघाती विस्फोट की तरह हमला करने के बाद से जैश कश्मीर में फिर से सक्रिय होने की बाट बेसबरी से जो रहा था. 2015 से ध्यान करें पठानकोट एयर बेस हमला, उरी में सेना की बिग्रेड पर हमला, 2016 में हिजबुल मुजाहीदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत से शुरू हुआ यह सिल-सिला रुका नहींं है.

सेना और नागरिकों की मौतों की खबरें रोज टीवी और अखबारों में सुर्खियां निरन्तर बनी ही रही हैं. इसी बीच भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बना कर इस आग में घी ही डाला पानी नही. स्थानीय स्तर पर अराजकता के बढ़ने से जैश को अपने पाऊंं फिर से पसारने का मौका दे दिया.

सर्जिकल स्ट्राइक से भाजपा की राजनीति को उस समय फायदा हुआ, इससे इंंकार नहींं किया जा सकता, पर देश को क्या हांसिल हुआ ? सरकार आज तक इसे देश को बता नहींं पाई है. स्थिति आज  भयावह हो चुकी है. मैं नहींं समझता इन परिस्थितियों में सरकार जल्दबाजी में कोई बड़ा कदम उठा पायेगी.




हाल में जारी प्रधानमन्त्री का उक्त बयान सिर्फ देश के लोगों का मनोबल बढाने के लिए और इसका चुनावी लाभ उठाने के लिए दिया गया है, यही माना जायेगा. पाकिस्तान से उसके कब्जे वाले कश्मीर को अगर नहीं छीन पाए तो विश्व राजनीति को साधने के कौशल के आपके बयान और प्रचार खोखले ही साबित होंगे.

देश के भीतर भी चुनावी समर में भाजपा सरकार की,/आपकी सरकार की छवि मतदाताओं को कायराना ही नजर आएगी. चुनाव रैलियों में शहीदों की शहादत पर खूब आंसू बहा रहे हैंं और उपस्थित भीड़ को बता रहे हैंं कि “जो आग उनके दिलों में है, वही आपके दिल मे भी है,” ठीक है, होनी भी चाहिए, परन्तु मोदी जी, आपकी पार्टी की पिछली सरकार (2004) के निर्णय, जिसके बाद CISF, BSF, ITPB, और CRPF के जवानों को पेंशन से वंचित कर दिया गया था, को लेकर लोगों के दिलों में आग जल रही है. कृपया देश को बताइए कि क्या वही आग आपके दिल में भी जल रही है या कोई दूसरी ?

इस सब के बावजूद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी ने कुम्भ में आयोजित धर्म संसद में इस आशय का बयान दिया कि पाकिस्तान सहित पड़ोसी देशों से दोस्ताना ताल्लुक बनाने की मोदी सरकार की नीति सही है. आखिर पाकिस्तान भी इसी देश का एक हिस्सा रहा है. नीति के सही ठहराए जाने को अभी 15 दिन भी नहींं गुजरे, पाकिस्तान की यह हरकत सामने आ गई. लोग उसी पाकिस्तान के झण्डे पूरे देश मे जला रहे हैंं और आरएसएस भी यह कहने का साहस नहींं रखती कि उसके मुखिया ने पाकिस्तान के प्रति भारत सरकार की दोस्ताना नीति को सही ठहराया था, उस दोस्त देश के झण्डे मत जलाओ.

सम्पर्क नं. +91  7017339966




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