एयर इंडिया वन : इस दौर की सबसे अश्लील तस्वीर
कहा जाता है 2014 के लोकसभा चुनाव में देश ने भारत के प्रधानमंत्री के रुप में नरेन्द्र मोदी नामक एक व्यक्ति का चुनाव कर देश की सत्ता की बागडोर सौंपा. नरेन्द्र मोदी नामक यह व्यक्ति ने खुद को कभी प्रधानमंत्री नहीं कहा. उसने हमेशा ही खुद का परिचय प्रधानमंत्री से इतर किया. कभी उसने खुद को जवाहर लाल नेहरू के तर्ज पर खुद को ‘प्रधान सेवक’ बताया तो कभी देश का सबसे बड़ा ‘भिखारी’. परन्तु, पिछले 7-8 वर्षों के सफर में इस व्यक्ति ने खुद को अंबानी-अदानी का प्रधान सैल्समैन साबित किया. इसने हजारों सालों से संजोये गये देश की विशाल सम्पदा को देश और विदेशी कम्पनियों को बेच रहा है.
दरअसल 2014 ई. में देश की सत्ता पर एक निकम्मा, अनपढ़ और हजारों लोगों के खून से सने लबादे के साथ एक सैल्समैन काबिज हो गया. तब यह स्वभाविक है कि इस सैल्समैन को देश की सम्पदा को बेचने के लिए तमाम लटके-झटके अपनाना पड़ रहा है. नरेन्द्र मोदी नामक प्रधान सैल्समैन ने पूरे 7 सालों तक विमानों से औद्योगिक घरानों को अपनी पीठ पर बैठा कर पूरी दुनिया का चक्कर काट रहा है.
8600 करोड़ की लागत से तैयार हुआ फकीर का उड़ता झोपड़ा । pic.twitter.com/kM8tUbjgR2
— Pankhuri Pathak पंखुड़ी पाठक پنکھڑی (@pankhuripathak) October 7, 2020
नरेन्द्र मोदी नामक सैल्समैन ने जब से प्रधानमंत्री के नाम पर देश की सत्ता संभाला है, तब से देश भर में हत्या, आत्महत्या, बलात्कारियों के हौसले बुलंद हो गये हैं. कहा जाता है सैल्समैन नरेन्द्र मोदी न केवल हत्यारों के सरगना है, बल्कि बलात्कारियों का भी सरगना है. उसकी आराम तलबी के लिए नवयुवतियों की एक खासी लंबी सप्लाई चेन मौजूद है. मोदी की नृशंसता का केवल इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि लॉकडाऊन के नाम पर लागू आपातकाल के महज 6 माह में 92 हजार लोगों को मौत के मूंह में झोंक चुका है, और यह सिलसिला आगे भी जारी है.
लाखों के सूट, लाखों का चश्मा, लाखों का पेन और उसकी लपलपाती जीह्वा के लिए लाखों रुपयों का खासतौर पर बनाया गया आहार, विदेश से आयातित मंहगी बोतलबंद पानी के शौकीन सैल्समैन नरेन्द्र मोदी जब खुद को फकीर और भिखारी बताता है, तब इसकी निर्लज्जता तमाम सीमाओं को लांघ जाती है. भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गांधी, जिसे नरेन्द्र मोदी के सिपहसालार अमित शाह और उसके लग्गू-भग्गू जब गालियां देता है, तब गांधी की वैचारिक और जीवन की सादगी को समझना और बयान करना जरूरी हो जाता है.
गिरीश मालवीय लिखते हैं –
गांंधी जी जब अफ्रीका में थे तब उनके पास उनके पास एक छोटा बच्चा आया. गांधीजी ने एक नयी पेंसिल बच्चे को लिखने के लिए दी. लिखते-लिखते जब पेंसिल छोटी हो गयी तो बच्चे ने सोचा कि अगर मैं इस पेंसिल को फ़ेंक दूंं तो मुझे नयी पेंसिल मिल जायेगी. ऐसा सोचकर उसने पास ही की झाड़ियों में वह पेंसिल फ़ेंक दी. उसने गांधीजी से नयी पेंसिल मांगी. गांधीजी ने उसे पुरानी छोटी पेंसिल लाने को कहा. बच्चे ने कई बहाने बनाये पर आखिरकार उसे झाड़ियों से ढूंढ कर वह छोटी पेंसिल लानी पड़ी. पेंसिल देखकर गांधीजी ने कहा, ‘अभी भी यह छोटी पेंसिल किसी ना किसी के काम आ सकती है.’ बच्चा समझ गया और उसने उसी पेंसिल से लिखना शुरू कर दिया.
गांधीजी जानते थे कि देश में ऐसे कई परिवार हैं, जिन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता. पढ़ना-लिखना तो बहुत दूर की बात थी इसलिए गांधीजी पैसे का महत्त्व बहुत अच्छे से जानते और समझते थे. आजादी के समय देश की कुल जनसंख्या 34 करोड़ थी, आज देश में सिर्फ गरीबों की जनसंख्या 80 करोड़ के आसपास है. लेकिन खुद को फकीर कहने वाले हमारे पीएम यह सब नही समझते ?
जनता की टैक्स की गाढ़ी कमाई से अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरफोर्स वन की बराबरी करने के लिए लगभग साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये कीमत की एयर इंडिया वन नामक 2 विमान खरीद लिया गये हैं, जबकि इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी. प्रधानमंत्री पहले भी कोई कोई बैलगाड़ी से सफर नहीं कर रहे थे ? उनके पास आवागमन के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं पहले से ही मौजूद थी !
बिना ये सोचे समझे कि हमारे पास 80 करोड़ लोग हैं, जो गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे हैं. कोरोना के दौर में उनके लिए जीवन-यापन दिन व दिन मुश्किल हो रहा है, भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा यह विमान खरीद लिया गया. एयर इंडिया वन की उपरोक्त तस्वीर इस दौर की सबसे अश्लील तस्वीर है.
गांधी इस देश का निर्माता थे. नेहरु ने इस देश को इस काबिल बनाया कि आज यह प्रधान सैल्समैन नरेन्द्र मोदी उसे बेच कर चंद औद्योगिक घराने का गुलाम बना सके. यही कारण है कि यह प्रधान सैल्समैन इन औद्योगिक घरानों की सेवा के लिए लाखों का सूट और हजारों करोड़ का विमान खरीद रहा है. इससे पहले कि यह हत्यारा निर्लज्ज प्रधान सैल्समैन देश के तमाम सम्पदाओं को अंबानी-अदानी जैसे औद्योगिक घरानों को कौड़ियों के मोल बेच दें और करोड़ों लोगों को भूख और जिल्लत से मरने पर विवश कर दे, मार भगाया जाये.
जब तक अंबानी-अदानी के प्रधान सैल्समैन को मारकर नहीं भगाया जायेगा, तब तक यह भागेगा नहीं. यह तमाम जनान्दोलनों को न केवल पुलिसिया गुंडों के माध्यम से बुरी तरह कुचल ही रहा है बल्कि उनके नेताओं को मौत के घात भी उतार रहा है, फर्जी मुकदमों में जेलों में मरने तक के लिए ठूंस रहा है. यह लातों का भूत है, जो बातों से नहीं मानेगा. वरना, विगत 9 महीनों में ही हुए हजारों की तादाद में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से सीख लेता.
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