आपके बच्चों की ज़िन्दगी बचाने की लड़ाई आदिवासी लड़ रहे हैं और आप आदिवासियों को अपने विकास का दुश्मन, अमीरी में रुकावट और अय्याशी भरी ज़िन्दगी का रोड़ा समझ रहे हैं. और जो आपके बच्चों की मौत की तैयारी कर रहा है, उसे आप अपना सबसे बड़ा खैरख्वाह समझे हुए हैं.
हिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता
50 डिग्री गरमी के बाद एयरकंडीशनर काम करना बंद कर देते हैं. 52 डिग्री तापमान होने के बाद चिड़ियां मर जाती हैं. 55 डिग्री तापमान होने पर इंसान का खून उबल जाता है और इंसान मर जाता है. सारी दुनिया में गर्मी बढ़ती जा रही है. जंगलों को काटना इसकी सबसे बड़ी वजह है.
आप सरकार चुनते हैं ताकि सरकार जंगलों को काटने वाले लोगों पर रोक लगाए लेकिन अगर सरकार ही जंगल कटवाए तो तापमान को 55 डिग्री होने से कौन रोक सकता है. हो सकता है तापमान आपकी ज़िन्दगी में इतना ना बढ़े कि आपका खून उबल जाय और आप मर जाएं लेकिन ऐसा आपके बच्चों के साथ ज़रूर होगा लिख लीजिए.
मोदी मुसलमानों को डरा कर रखता है, तो आपको अच्छा लगता है लेकिन मोदी आपके बच्चों को खून उबलवा कर मरवा देगा, तब मुसलमानों के डरे होने से भी आपके बच्चे को कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि बच्चा तो मर जाएगा. अगर आप बच्चों के जिंदा रहने लायक धरती रखना चाहते हैं तो मुझे आपसे कुछ कहना है.
मोदी के सबसे पक्के दोस्त हैं पूंजीपति. यह पूंजीपति मोदी को चुनाव में पैसा, अपना जहाज़ देते हैं. बदले में मोदी ने पूंजीपतियों को आदिवासी इलाके में जमीनें देता है. आदिवासी इलाकों को भारत के शरीर का फेफड़ा कह सकते हैं. ये इलाके इतनी ऑक्सीज़न पैदा करते हैं कि आप उसकी कीमत का अंदाजा भी नहीं लगा सकते. ऑक्सीज़न की कीमत का अंदाजा तो पूंजीपति को भी होना चाहिए.
अगर कोई अडानी की नाक और मुंह सिर्फ एक मिनट के लिए दबा कर रखे तो अपनी नाक मुंह छोड़ कर बस एक बार सांस लेने के लिए अडानी कितने पैसे दे सकता है ? आप ठीक सोच रहे हैं अडानी एक सांस के लिए अपनी अरबों रूपये की दौलत दे सकता है.
अगर एक सांस की कीमत इतनी ज़्यादा है तो आपके आने वाले करोड़ों बच्चों की सांस की कीमत कितनी होगी ? रहने दीजिये, हिसाब मत लगाइए क्योंकि इसका हिसाब लगाने की पढ़ाई आपको नहीं सिखाई गई है.
तो पूंजीपतियों को मोदी ने आदिवासी इलाकों में जो खदानें जंगल और जमीनें सौंपी हैं उस पर करोड़ों पेड़ लगे हुए हैं. पूंजीपति उन खनिजों को खोद कर विदेशों को भेजेंगे. आदिवासी जानते हैं कि यह जंगल दुबारा नहीं लगाया जा सकता. तो पैसा कमाएगा पूंजीपति और मरेगा आपका बच्चा.
जहां खनिज खोदा जाता है, वहां का पूरा इलाका बर्बाद हो जाता है. खनिज लाने, ले जाने और खुदाई के विस्फोट से जो धूल उड़ती है, उससे लोगों को अस्थमा, टीबी और सिलिकोसिस हो जाती है. खदान से उठने वाली लोहे की धूल फसलों पर जम जाती है. खेती करना नामुमकिन हो जाता है. खनिजों को ट्रकों में लादने से पहले धोया जाता है. उससे नदी बर्बाद हो जाती है.
ऐसा नहीं है कि आपके बच्चों की किसी को परवाह नहीं है. बहुत सारे लोग हैं जो आपके बच्चों की ज़िन्दगी के लिए लड़ रहे हैं लेकिन मोदी ने उन्हें जेल में डाल दिया है.
मोदी कहता है ये लोग मुझे मारना चाहते हैं. सच ही कहता है मोदी. अगर जंगल काटना बंद हो जाएगा तो मोदी को चुनाव लड़ने के लिए पैसे कौन देगा ? और अगर चुनाव के लिए पैसा ना मिले तो नेता तो मर ही जाएगा. सुधा भारद्वाज, सोनी सोरी और अन्य अनेकों सामाजिक कार्यकर्ता जिन्होंने जंगलों की कटाई और आदिवासियों की ज़मीन ना छीनने के खिलाफ आवाज़ उठाई, उन्हें जेलों में डाला गया. बहुतों को गोली से उड़ा दिया गया.
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षित जंगल को किसी भी दूसरे इस्तेमाल के लिए नहीं दिया जा सकता लेकिन सरकार और पूंजीपति सुप्रीम कोर्ट की बात भी नहीं मानते. आदिवासी सुप्रीम कोर्ट की बात मानने की जिद करता है, इसके लिए आदिवासी आन्दोलन करता है.
आदिवासी तो देश जंगल बचाने की बात कह रहे हैं और अगर कोई सही बात कह रहा है तो कोई यह बिलकुल नहीं कह सकता कि क्योंकि यह लोग नक्सलियों के समर्थक हैं इसलिए हम संविधान और सर्वोच्च न्यायालय की बात नहीं मानेंगे ? मोदी से संविधान और सर्वोच्च न्यायालय की बात मानने के लिए हर नागरिक कह सकता है.
तो आपके बच्चों की ज़िन्दगी बचाने की लड़ाई आदिवासी लड़ रहे हैं और आप आदिवासियों को अपने विकास का दुश्मन, अमीरी में रुकावट और अय्याशी भरी ज़िन्दगी का रोड़ा समझ रहे हैं. और जो आपके बच्चों की मौत की तैयारी कर रहा है, उसे आप अपना सबसे बड़ा खैरख्वाह समझे हुए हैं. जागो भारतवासियों जागो, अपने बच्चों को बचाओ.
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]