बेलाल आलम, सामाजिक कार्यकर्त्ता, हैल्पिंग हैण्ड्स
ये नज़ारा है पटना के गांधी मैदान के अंदर की जहांं अभी सरस मेला लगा हुआ है. मेला मतलब खुशियों का सागर जहांं आप के दिल को लुभाने वाले कई तरह के समान मिलते हैं.
मैंने भी इस मेले के बारे में अपने कुछ दोस्तों से सुना तो आज मन किया कि थोड़ा घूम लेता हूं. इस गुलाबी ठंड के मौसम में घूमने का मज़ा ही कुछ और होता है. लोग अपने आपको रंग-बिरंगे गर्म कपड़ों से ढक लेते हैं और घूमने का मज़ा लेते हैैं.
शाम के तकरीबन 4 बज रहे होंगे. मैं मेले के गेट के पास पहुंंचने ही वाला था कि अचानक मेरी नज़र एक ऐसे जगह जा पड़ी, जिसे देख कर 2 पल के लिए मेरे जिस्म से रूह जुदा-सी हो गयी.
एक 8 से 10 साल का बच्चा जिसकी उम्र अभी खेलने कूदने की है, वो अपने एक 5 से 6 साल के भाई को गोद में लेकर बच्चों के गुब्बारे बेच रहा है. उस दोनों के बदन पर एक कपड़े तक नहीं था. लोग उसके अगले-बगल से देखते हुए गुज़र रहे थे. पर लोग सिर्फ देख रहे थे.
इसे आप गरीबी कहे या हमारे देश की पेट की बेबसी. इन जैसे हज़ारों और लाखों लोग हैं, जिनके बदन पर कपड़े नहींं, खाने को 2 वक़्त की रोटी नहीं, सोने को छत नहीं. जिनकी ज़िन्दगी का कोई वजूद नहीं. सुबह से शाम तक का भरोसा नहीं और हम बात करते हैं चांंद पर जाने की. क्या ये ज़रूरी नहीं कि इन जैसे लोगों पर सरकार ध्यान दे.
लेकिन सरकार तो हमेशा बात करती है आतंकवाद , पाकिस्तान, हिन्दुओं पर उत्पीड़न, मंदिर, मस्जिद, दलित, गाय, गोबर, यातयात नियम, NRC, NPR, CAB और नागरिकता बिल की. क्या कभी ज़मीन पर आकर देश के लोगों की त्रासद हालात को देखा है ? बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, शिक्षा, बीमारी, कुपोषण और देश की उन्नति पर कभी बात की है ?
नहीं और न ही सरकार इन पर बात करना चाहती है क्योंकि जिस देश का राजा सच्चा होता है, वो अपने देश की जनता को भूखे और नंगे नहीं देख सकता लेकिन जिस देश का राजा लुटेरा होगा, वो कभी नहीं चाहेगा कि उसके देश की जनता शांति से रहे. क्योंकि अगर वो शांत रही तो कई सवाल खड़े करेगी इसलिए उसे आपस में उलझा दो और राज करो.
ऐसा ही हो रहा है इस देश में. जब-जब देश की जनता ने देश हित पर सवाल खड़े करने की कोशिश की सरकार ने देश की जनता को हर बार नया मुद्दा दे कर उलझा दिया है. चाहे वो नोटबंदी की बात हो या देश के आर्थिक स्थिति की.
देश की जनता ये जानती है कि देश में जातिवाद की राजनीति देश को बर्बाद कर देगी फिर भी सरकार के दांव-पेंच में उलझ जाती है. एक बेहतर राष्ट्र का निर्माण धर्मनिरपेक्षता और शिक्षित नागरिकों से होता है. परन्तु हमारे देश के शासक ने धर्मनिरपेक्षता को गाली से जोड़ दिया है और शिक्षा को आतंकवाद से. तब कैैैसे हमारा देश महान और विश्वगुरु बनेगा ??
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