हिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता
अभी दो राज्यों हरियाणा और महाराष्ट्र में विधान सभा के चुनाव पूरे हुए हैं. सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ चल रही हैं. महाराष्ट्र में शिवसेना, भाजपा को समर्थन दे रही थी. इस बार शिवसेना ने भाजपा का समर्थन करने के बदले में ढाई साल के लिए अपनी पार्टी के लिए मुख्यमंत्री का पद मांंगा है. शिव सेना ने इसके लिए लिखित में आश्वासन पत्र की भी मांंग की है.
इधर हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने दुष्यंत चौटाला की पार्टी के सहयोग से सरकार बनाने के लिए रास्ता साफ़ कर लिया है. इन चुनाव के नतीजों से एक बात साफ़ दिखाई दे रही है. इस बार जनता ने भाजपा के खिलाफ वोट दिया. हालांंकि विपक्ष बिखरा हुआ है.
विपक्षी पार्टियां मुद्दे और नेता लेकर जनता के बीच नहीं आ पायी, इसके बावजूद जनता ने जम कर भाजपा के विरोध में वोट दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि अब भाजपा को अपने दम पर सरकार बनाने के भी लाले पड़े हुए हैं.
हरियाणा के हमारे एक दोस्त ने बताया कि इस बार हरियाणा के लोग भाजपा से बहुत नाराज हैं और लोगों की नाराजगी की वजह है स्थानीय मुद्दों की अवहेलना. हरियाणा के लोगों का कहना था कि हरियाणा के मुद्दों पर हरियाणा के नेता बात करने की बजाय, मोदी आकर धारा 370 पर वोट क्यों मांग रहे हैं ? इसीलिए लोगों ने बिखरे कमजोर और लड़खड़ाते हुए विपक्ष को वोट दिया. अब अगर भाजपा जोड़-तोड़ से सरकार बना भी लेती है तो वह भाजपा की जीत नहीं मानी जा सकती.
इसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा के कई मंत्री चुनाव हारे हैं. यह देखना दिलचस्प है कि जो मंत्री चुनाव हारे हैं, वे सभी किसानों से जुड़े विभागों के हैं. जैसे ग्रामीण विकास मंत्री, जल संसाधन मंत्री, पंचायत मंत्री, कृषि मंत्री. इसका मतलब है कि महाराष्ट्र का किसान भी भाजपा से नाराज था लेकिन मजबूत विपक्ष के अभाव में भाजपा वहांं भी जोड़-तोड से सरकार बनाने में सफल हो रही है.
इन सब चुनावों के बीच में एक और महत्वपूर्ण चुनाव संपन्न हुए हैं, जिनकी तरफ देश का ज्यादा ध्यान नहीं गया है. जम्मू-कश्मीर राज्य के विभाजन और उसके पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद वहांं की ब्लॉक कमेटियों के चुनाव हुए हैं. यह कमेटी ग्राम पंचायत और ज़िला पंचायत के बीच में होती है. इन चुनावों का कांग्रेस ने, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने बायकाट किया था क्योंकि इन पार्टियों के नेताओं को सरकार ने नजरबंद किया हुआ है या जेलों में डाल दिया है.
कश्मीर के इन चुनावों में एक तरफ भाजपा थी, जिसके पास पूरी सरकार की ताकत है. अकूत पैसा है. सेना और सुरक्षा बल है. कश्मीर के इन चुनावों में भाजपा का सामना करने के लिए चुनाव में कोई विपक्षी दल भी नहीं था. भाजपा का सामना किया कश्मीर के निर्दलीय लोगों ने
और क्या शानदार धुल चटाई कश्मीर के लोगों ने भाजपा को. 31 ब्लॉक कमिटियों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने 217 में भाजपा को हरा दिया. 310 में से भाजपा कुल 81 सीटें ही जीत सकी.
Read Also –
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 : इस चुनावी तमाशे से कोई उम्मीद नहीं ?
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]