Home गेस्ट ब्लॉग मैंने नक्सली, माओवादी एवं देशद्रोही होने के सारे सबूत मिटा दिए

मैंने नक्सली, माओवादी एवं देशद्रोही होने के सारे सबूत मिटा दिए

12 second read
0
0
689

मैंने नक्सली, माओवादी एवं देशद्रोही होने के सारे सबूत मिटा दिए

मैंने आज टालस्टाय के ‘वार एंंड पीस’ को यमुना नदी में बहा दिया, जो समग्र मनुष्य जाति के लिए शांति और न्याय की स्थापना की खतरनाक सीख देता है. मैंने भगत सिंह की ‘जेल डायरी’ के पन्नों को फाड़कर मुहल्लों के बच्चों में बांट दिया, जो सिखाती है कि न्याय के लिए संघर्ष करना और जरूरत पड़ने इसके लिए जान देना ही मनुष्य होने की निशानी है. मैंने चे-ग्वेरा की ‘मोटर साईकिल डायरी’ की सीडी को फूल की क्यारियों के बीच गाड़ दिया है, जो युवा होने का अर्थ समझाती है और पूरी दुनिया को प्यार करने की सीख देती है. मैंने ‘कम्युनिस्ट घोषणा-पत्र’ के टुकड़े-टुकड़े कर आसमान में उड़ा दिया है, जो मेहतकश लोगों को ही दुनिया का मालिक होना चाहिए, यह खतरनाक संदेश देती है.

मैं वाल्तेयर के सारे उद्धरणों को चबा गया, जो बार-बार कहता है कि सच के पक्ष में बोलना और उसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना ही बुद्धिजीवी होने की निशानी है. मैंने कोपरनिकस की जीवनी को आग के हवाले कर दिया, जो बार-बार इस बात के लिए प्रेरित करती थी कि बेरहम मौत की कीमत पर भी सच का पक्ष नहीं छोड़ना चाहिए. मैंने लेनिन की ‘क्या करें’ को भी एक मासूम बच्चे को खेलने के लिए सौंप दिया, जो यह सिखाती है कि दुनिया बदलने के लिए क्या करना जरूरी है. मैंने माओं की सारी रचनाएं एक लाईब्रेरी को भेंट कर दिया, जो यह बताती है कि तीसरी दुनिया के देशों से सामंतवाद और साम्राज्यवाद का खात्मा कैसे किया जाए. कैसे इन देशों को यूरोप-अमेरिका के वर्चस्व से मुक्त कराया जाए.

पूरा का पूरा देशभक्त होने के लिए मैंने जोतिराव फुले की ‘गुलामगिरी’ को भी अपनी लाईब्रेरी से निकाल बाहर किया है, जो यह बताती है कि हिंदुओं के सारे देवता, ग्रंथ और महाकाव्य महिलाओं-शूद्रो-अतिशूद्रों पर द्विजों के वर्चस्व के उपकरण हैं. मैंने मनुस्मृति जलाने वाले डॉ. आम्बेडकर की किताब ‘जाति के विनाश’ को छिपा दिया है, क्योंकि यह एक खतरनाक किताब है, जो कहती है कि वर्ण-जाति व्यवस्था का समर्थन करने वाले हिंदू धर्मग्रंथों को बारूद से उड़ा देना चाहिए.

ई. वी. रामासामी पेरियार की ‘सच्ची रामायण’ को तहखाने में छिपा दिया है, जो घोषणा करती है कि राम और रामायण धर्मग्रंथ नहीं, राजनीतिक ग्रंथ है, जिसका उद्देश्य अनार्यों पर आर्यों, गैर-ब्राह्मणों पर ब्राह्मणों और महिलाओं पर पुरूषों के वर्चस्व को स्थापित करना है.

इतना ही नहीं, नक्सलवादी-माओवादी एवं देशद्रोही होने के सारे सबूत मिटाने के बाद मैंने हिंदू राष्ट्रवादी होने का तिलक भी लगा लिया है. मैं गोड़से की किताब ‘गांधी वध’ का जोर-जोर के पाठ कर रहा हूं, जो यह बताती है कि मुसलमानों का थोड़ा भी पक्ष लेने वाले व्यक्ति की हत्या क्यों जरूरी है, क्यों यह कार्य एक पुनीत कर्तव्य है.

हिटलर की आत्मकथा ‘माइन-काम्फ’ को मैंने अपनी जरूरी किताबों में शामिल कर लिया है, जो बताती है कि नस्लीय श्रेष्ठता कायम करने के लिए करोड़ों लोगों का नरसंहार जरूर क्यों होता है. मैं सावरकर की किताबों का वाचन कर रहा हूं, जो यह बताती हैं कि मौका मिलने पर मुस्लिम महिलाओं का बलात्कार करना, हिंदूओं का पुनीत कर्तव्य क्यों है. मैं सुबह शाम ‘मनुस्मृति’ का परायण कर रहा हूं जो बार-बार इस बात की घोषणा करती है कि ब्राह्मण भू-देवता क्यों है, क्यों महिलाएं और शूद्र नीच हैं और वर्ण-व्यवस्था के नियमों का उल्लंघन करने पर क्या दंड शूद्रों-महिलाओं को दिया जाना चाहिए.

मैं गीता पढ़ रहा हूं, जो अपने स्वार्थ के लिए किसी की भी हत्या को जायज ठहराती है और बताती है कि स्वयं भगवान ने वर्ण-व्यवस्था की रचना की है. मैंने ‘रामचरित मानस’ को अपनी मूल पाठ्य पुस्तक बनाने का निर्णय लिया है, जो यह सिखाती है कि मूर्ख से मूर्ख ब्राह्मण के चरणों की भी पूजना करनी चाहिए. गुरू गोलवरकर की किताब ‘बंच ऑफ़ थॉट्स’ को लेकर घूम रहा हूं, जो मुसलमानों, इसाईयों और कम्युनिस्टों को देश का सबसे बड़ा शत्रु बताती है और कहती है कि मनु भारत का सबसे महान संहिताकार तथा मनुस्मृति देश का सबसे आदर्श ग्रंथ है.

इस तरह मैंने आज नक्सली-माओवादी होने के सारे सबूत मिटा दिए और हिंदू राष्ट्र का तिलक लगाकर पक्का राष्ट्रवादी बन गया हूं. अब मेरा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है.

– सिद्धार्थ रामू

किताबों से थर्राती सरकार और न्यायपालिका
सरकार के हाईटेक दमन का हाईटेक जनप्रतिरोध
संघीय ढांचे वाले भारत से राजतंत्रीय ढांचे की ओर लौटता भारत
हाथ से फिसलता यह मुखौटा लोकतंत्र भी

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…