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रूस को 1 अरब डॉलर के लोन के पीछे की असली कहानी

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रूस को 1 अरब डॉलर के लोन के पीछे की असली कहानी

गिरीश मालवीय

कल शाम को भारत के लोग प्रधानमंत्री मोदी की एक घोषणा को सुनकर हक्के-बक्के रह गए, प्रधानमंत्री रूस के दौरे पर है और वहां उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के सामने यह घोषणा कर दी कि ‘भारत रूस को एक अरब डॉलर का कर्ज देने जा रहा है.’ भारत की आर्थिक स्थिति पहले ही खराब चल रही है और ऊपर से यह घोषणा बिल्कुल ऐसी ही महसूस हुई जैसी एक कहावत है कि ‘घर मे नही है दाने और अम्मा चली भुनाने.’

आखिर यह लोन क्यो दिया जा रहा है ? असलियत यह है कि एक अरब डॉलर तो लोन दिया जा रहा है, इसके अलावा भारतीय सरकारी कम्पनियों से मोदी जी ने पांच अरब डॉलर (करीब 35 हजार करोड़ रुपये) के 50 समझौते करवाए हैं, जिसमें भारतीय कंपनियों द्वारा रूस तेल और गैस सेक्टर में निवेश करवाया जा रहा है.

हम जानते हैं कि ONGC, इंडियन ऑयल, BPCL जैसी कंपनियों की अंदरूनी हालत खराब है. पिछले साल ही ONGC से एक दूसरी डूबी हुई सरकारी कम्पनी को खरीदवाया गया है. इंडियन ऑइल का तो मुनाफा ही आधा हो गया है. BPCL को वैसे ही बेचने की बात की जा रही है तो आखिर वह कैसे यह बड़े समझौते कर रही है ?

दरअसल मोदी जी रुस का एक अहसान उतार रहे हैं. यह ‘इस हाथ ले उस हाथ दे’ वाली ही बात है. यह समझने के लिए आपको थोड़ा फ्लेशबैक में जाना होगा. ज्यादा पीछे नही सिर्फ 2016 तक.

2016 में ब्रिक्स देशों का गोआ में सम्मेलन चल रहा है. रूस भी उसमे शामिल है. अचानक एक घोषणा होती है देश की निजी क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी एस्सार ऑयल अब रूस की हो गई है. एस्सार को रूस की सरकारी कंपनी रोसनेफ्ट के नेतृत्व वाले समूह को बेच दिया गया है. यह सौदा 12.9 अरब डॉलर (करीब 83 हजार करोड़ रु.) में तय हुआ है. यह रूस सहित दुनिया के किसी भी देश से भारत में हुआ अब तक का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है.

भारत में एस्सार का सारा कामकाज गुजरात में ही फैला हुआ है. एस्सार आयल गुजरात के वाडिनार में सालाना दो करोड़ टन की रिफाइनरी का परिचालन करती है. इसके 4,473 पेट्रोप पंप हैं. दरअसल एस्सार पूरी तरह से कर्ज में डूबी हुई थी. 2016 में क्रेडिट सुइस का अनुमान के अनुसार एस्‍सार समूह एक लाख करोड़ की कर्जदारी में था, जो उसे देश की तीन सबसे बड़ी कर्जदार कंपनियों में शामिल करता था. अभी भी एस्सार स्टील का दीवालिया अदालत में केस चल रहा है.

कंपनी के निदेशक प्रशांत रुईया को उस वक्त कर्जदाताओं को 70 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना था. इस कर्ज में सबसे ज्यादा रकम ICICI की डूब रहीं थी. दरअसल वीडियोकॉन तो बेचारा ऐसे ही बदनाम हो गया. असली घोटाला तो ICICI द्वारा एस्सार को दिया गया कर्ज था. 2016 में ही ऐक्टिविस्ट और व्हिसल ब्लोअर अरविंद गुप्ता ने आरोप लगाया था कि एस्सार ग्रुप के रुइया ब्रदर्स को बैंक की ओर से मदद की गई ताकि उनके पति दीपक कोचर के न्यूपावर ग्रुप को ‘राउंड ट्रिपिंग’ के जरिए इन्वेस्टमेंट हासिल हो सके.’ इसमें चन्दा कोचर के अलावा और भी बड़ी हस्तियां इन्वॉल्व थी.

एस्सार कंपनी अपना कारोबार बेचकर कर्ज चुका रही थी लेकिन तब इस पैसे को एफडीआइ बताया गया. भारतीय मीडिया ने इस सौदे को तब ‘विन-विन डील’ बताया. बड़े-बड़े अख़बारों में पूरे पन्‍ने के विज्ञापन के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी और व्‍लादीमिर पुतिन की तस्‍वीरे लगाई गई, जिसमें बताया गया है कि एस्‍सार कंपनी ने अपना कारोबार रूस की एक कंपनी को बेच दिया है और उससे आने वाला पैसा देश का सबसे बड़ा प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश है.

अब इस 2016 के सबसे बड़े विदेशी निवेश का एहसान तो मोदी जी को चुकाना ही था क्योंकि जैसे रूइया साहेब के खास थे, वैसे ही रूसी सरकारी कम्पनी के प्रमुख पुतिन के खास थे इसलिए रूस के सुदूर पूर्व में तेल एवं गैस क्षेत्रों में भारतीय सरकारी कम्पनियों से 35 हजार करोड़ निवेश करवाया जा रहा है और उसे 1 अरब डॉलर का लोन दिया जा रहा है. रूस में इसे भारत द्वारा किया गया FDI दिखाया जा रहा है यह है असली कहानी इस 1 अरब डॉलर के कर्ज़ की.

बहरहाल आज देश की अर्थव्यवस्था डूब रही है. लगातार सरकारी कम्पनियां निलामी पर चढ़ रही है. इसके साथ ही खुद को बचाने के लिए लगातार सरकार से गुहार लगा रही हैं, बकायदा अखबारों में विज्ञापन देकर. देखते हैं यह सब कम्पनियां कब तक मोदी के हत्थे चढ़ता है.

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ROHIT SHARMA

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