Home गेस्ट ब्लॉग लाल किले की प्राचीर से धड़ाधड़ उगलता झूठ – 2

लाल किले की प्राचीर से धड़ाधड़ उगलता झूठ – 2

9 second read
0
0
735

लाल किले की प्राचीर से धड़ाधड़ उगलता झूठ - 2

पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ

लाल किले से वो झूठा आदमी धड़ाधड़-धड़ाधड़ झूठ पर झूठ बोले जा रहा था और उसके झूठों में से एक अर्थ-व्यवस्था वाले झूठ के बारे में हमने बता दिया था. आज उसके दूसरे झूठ गांवों के विकास और उनमें बिजली-पानी पहुंचाने के झूठ का पर्दाफाश करूंंगा. यथा –

वो आदमी कल लाल किले की प्राचीर से बोल रहा था कि ’70 साल में जो नहीं हुआ, वो हमने पांच साल में किया और हमारे राज में हर गांव में बिजली-पानी पहुंंच रही है.’ मगर वो झूठा आदमी ये नहीं जानता कि उसके झूठे लच्छेदार भाषण सिर्फ भक्तों को खुश कर सकते हैं, हम जैसे सत्य अन्वेषकों को नहीं.

जब नेहरू जी को देश तब देश के साढ़े छह लाख गांंवों में से किसी एक भी गांव में बिजली नहीं थी (ध्यान से पढ़ लीजिये, किसी एक भी गांंव में बिजली नहीं थी). गांवों की बात तो जाने दीजिये, शहरों में भी बिजली नहीं थी. सिर्फ इक्का-दुक्का बिजली सयंत्र थे, पुरे देश में. और उस झूठे आदमी ने स्वयं ही अपने झूठे भाषणों में बताया कि जब उसे देश मिला, तब देश के 18,000 गांवों में बिजली नहीं थी, अर्थात 6,32,000 गांव ही नहीं बल्कि देश का हरेक शहर उस झूठे आदमी को विरासत में जगमगाता मिला. और इन सबको जगमग किया नेहरू के प्रयासों ने, और ये हुआ पिछले 70 सालो में. लेकिन वो झूठा आदमी जिसे जब देश मिला तो अपने पांच सालों के राज में उन 18,000 गांंवों को भी बिजली नहीं दे पाया और वे आज भी बिना बिजली के हैं.

ये तो हुई बिजली की बात. अब ये और जान लीजिये कि जब नेहरूजी को देश मिला, तब देश में पीने के पानी कोई सुचारु व्यवस्था नहीं थी (पुराने तालाब, बावडिया, कुंओं इत्यादि थे, मगर उन पर जमींदारों और राजाओं का अधिकार होता था, और गांवों से वे कई-कई किलोमीटर दूर होते थे. और गांव की स्त्रियांं घड़ों में पानी भर-भरकर सर पर लाद कर लाती थी. गांवों की छोड़ियें, शहरों में पीने का पानी ठीक से उपलब्ध नहीं होता था और पिछले 70 सालों में भारत के सभी शहरों के साथ लगभग हर गांव में पीने के पानी की सुचारु व्यवस्था नेहरू विजन ने लगातार की, और आज लगभग हर जगह पानी की सुचारु व्यवस्था है, और जहांं पर ये व्यवस्था नहीं पहुंंच पायी, वहां वो झूठा आदमी एक बून्द पानी नहीं पहुंचा पाया पिछले पांच सालों में. बिजली-पानी तो छोड़िये, निकासी तक की व्यवस्था नहीं थी (आज तो वो झूठा आदमी निर्मल भारत का नाम बदल कर स्वच्छ भारत बताता घूमता है और उसे अपनी उपलब्धि बताता है, और हर जगह शौचालय की बात करता है, जबकि जब नेहरूजी को देश मिला, तब देश में सीवर तो छोड़िये ठीक से निकासी की व्यवस्था भी नहीं थी. पूरा देश खोदकर पाइप बिछाने का काम नेहरू विजन ने किया और ये सब हुआ पिछले 70 सालों में (मंच पर खडे होकर फेंकने से कोई काम नहीं होता, बल्कि नेहरू की मजबूत इच्छाशक्ति और 70 सालों के सतत प्रयासों से ये संभव हुआ), और वो झूठा आदमी जिसे सब कुछ किया कराया मिला, वो शौचालय-शौचालय चिल्लाता है, मगर भूल जाता है कि अगर नेहरू ने सीवरेज और निकासी की व्यवस्था शुरू न होती और पिछले 70 सालों में पुरे देश में मजबूत निकासी व्यवस्था न बनी होती, तो उन शौचालयों का मल कहांं डिस्पोज होता ?

मैं एम्स जैसे विश्वस्तरीय अस्पताल औऱ रिसर्च सेंटर या स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय के साथ-साथ वैज्ञानिक शोध केंद्र, मिसाइल उपग्रह आदि पर किया गया अद्भुत काम इत्यादि का जिक्र तो करूंंगा ही नहीं, क्योंकि जब उस झूठे आदमी को देश मिला तो भारत सबसे कम लागत में सफल मंगलयान बनाने वाला और मंगल की धरती पर जाने वाला देश बन चुका था. चंद्र की तो बात ही जाने दीजिये, मंगल तक पहुंचना तो छोड़िये, उस तक पहुंंचने की सोचने तक की हिमाकत तक आज भी कई देश नहीं करते, जबकि पिछले 70 सालों के सतत प्रयासों से भारत मंगल पर पहुंंचा और आज भी शोध चालू है !

Read Also –

लाल किले की प्राचीर से धड़ाधड़ उगलता झूठ – 1
नेहरु के बनाये कश्मीर को भाजपा ने आग के हवाले कर दिया
मोदी चला भगवान बनने !

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…