आजम खां के द्वारा संघी सभापति को बहन कहने से तिलमिलाई भाजपा ने आजम खां पर चौतरफा हमला बोल दिया था, और उसे बहन कहने के जघन्य अपराध के लिए माफी मांगनी पड़ी थी. आखिर ऐसा क्यों हुआ ? देश को इसका जवाब भी जल्दी ही मिल गया जब एक भाजपाई अपने ही सहकर्मी महिला के साथ बाथरूम में नहाते और सैक्स करते हुए वीडियो को न केवल शूट ही किया, बल्कि उसे सार्वजनिक तौर पर जारी भी किया.
उपरोक्त उदाहरण से यह साफ होता है कि संघी किसी को बहन नहीं मानता बल्कि अपराध समझता है. ऐसी ही परिस्थिति में अब जब कश्मीर से जुड़े धारा 370 के साथ बूटों के ताकत के साथ छेड़छाड़ किया गया है, तब संघियों की विकृत बलात्कारी मानसिकता उबाल मारने लगी है, जिसका एक झलक नीचे के पोस्ट में देखा जा सकता है. बता रही है फोटो पत्रकार, कविश अजिज लेनिन.
कश्मीर के फैसले के मामले में अगर किसी को असहमति है तो समर्थन करने वालों को तकलीफ क्यों हो रही है ? अभी तक किसी ने कश्मीरियों का रिएक्शन नहीं दिखाया कि वो क्या सोचते हैं ? किस हाल में हैं ? क्या उनकी राय ज़रूरी नहीं है ?
बंदूक की नोक पर सरकार ने फैसला सुना दिया. कर्फ्यू लगा दिया. इंटरनेट सेवाएं बन्द कर दी. वहां के नेताओं को नज़रबन्द कर दिया. चप्पे-चप्पे पर जवान तैनात कर दिया और भक्त, जिन्हें ढंग से धारा 370 पता भी नही है, वो कश्मीर को अपनी ससुराल बनाने के सपने देख रहे.
क्यों भाई, कश्मीरी लड़कियों से राखी क्यों नही बंधवा सकते ? क्या वो बहन बनने लायक नही है या तुम लोग भाई बनने का हुनर खो चुके हो ? याद रखना तुम्हारी बहनों को भी कश्मीरी लड़के पसंद आ सकते हैं, तब हॉनर किलिंग न कर देना.
घर के संडास जितने छोटे कमरे में रहने वाले भी कश्मीर में मकान खरीदने की पोस्ट डाल रहे. याद रखिये हर देश में एक विपक्ष होता है, और लोकतंत्र की खूबसूरती इसी में है कि तमीज़ से विरोध किया जाए,
ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, क्या ये हिंदुस्तान द्वारा बनाई गई सोशल साइट्स हैं, जहां आप असहमतियां जताने में मा बहन की गालियों पर उतर आते हैं ? अपने ही देश के एक हिस्से की लड़कियों संग सोने की इच्छा जाहिर करते हैं, क्या ये देश की छीछालेदर कराना नही है ?
सरकार ने जो भी फ़ैसला लिया, उसके परिणाम क्या होंगे ये तो वक़्त बताएगा लेकिन इस देश में रहने वाले लोगों में एक तबका कितना नीच और गिरा हुआ है, उसका अंदाज़ा और पहचान सोशल मीडिया पर ही होता है.
जैसी पोस्ट आज दिख रही कहीं ऐसा न हो कश्मीरी लड़कियों के बलात्कार की खबरों से अखबार के पन्ने भरने लगे. कुछ तो सम्मान करो. इस देश में कब से ऐसे मर्द पैदा होने लगे हैं जो सिर्फ औरतों की बेज़्ज़ती करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं ?
और रही बात धारा 370 की, तो इंतज़ार कीजिये और देखिए कश्मीर जन्नत रह पाता है या वहां की हरियाली को बंजर करने के लिए अडानी-अम्बानी की आंखें नज़रें गड़ाए बैठी है.
सरकार का फ़ैसला पसंद है तो कश्मीरियों को मोहब्बत दीजिये. उन्हें एहसास कराइये की वो इसी मुल्क का हिस्सा है. उनका मजाक मत उड़ाइये, उनको गले लगाइए.
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