भारत सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर बैठे आरएसएस के एजेंट (जो अब प्रधानमंत्री जैसे पदों तक पर विराजमान हो गये हैं) अब अपनी कायरता की छबि को मिटाने के लिए अपने अतीत के पापों को दस्तावेजों से मिटाने की कोशिश में जुट गई है ताकि वह मिटाये या बदले जा रहे दस्तावेजों के सहारे खुद को बहुत बड़ा देशभक्त साबित कर सके. इसी प्रक्रिया के दौरान आरएसएस के ऐजेंटों ने कालापानी या सेलुलर जेल में शहीदों की लिस्टों के साथ बहुत बड़ा फेड़-बदल कर दी है. विदित हो कि अंडमान जेल में कुल 966 कैदी बंद थे. आरएसएस के एजेंटों ने अब जो नया पत्थर वहां लगाया है उसमें केवल 513 कैदियों (आजादी के दिवानों) के नाम दर्ज किये गये हैं. दूसरे शब्दों में कहूं तो 453 आजादी के दिवानों का नाम गायब कर दिया गया है. गायब इन नामों की सूची में उनका नाम भी दर्ज हैं जिन्हें फांसी दी गई थी. लेकिन उन कायरों का नाम सूची में सबसे ऊपर दिया गया है, जिसने अपनी कायरता का परिचय देते हुए अंग्रेजों से अनेकों बार माफी की गुहार लगाई थी. इसमें कायर सावरकर बंधुओं का नाम अग्रणी तौर पर ‘देशभक्तों’ के तौर पर दर्ज किया गया है.
इसी तरह आरएसएस के एजेंट अपने इतिहास के पन्नों से अनेक दस्तावेजों को गायब कर रहे हैं या संशोधित कर रहें हैं, बता रहे हैं अग्रणी गांधीवादी कार्यकर्त्ता हिमांशु कुमार यह का लेख.
आज़ादी के दौर की पुलिस के सीआईडी विभाग की फाइलें पढ़िए. ये फाइलें तीन मूर्त्ति की लाइब्रेरी में रखी हुई हैं. आशंका है कि कुछ दिनों बाद भाजपा सरकार इन फाइलों को गायब कर देगी. इन फाइलों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं की गुप्त मीटिंगों में दिए गये भाषण का विवरण है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेता अपनी मीटिंगों में कांग्रेसी नेताओं की हत्या करने, मुसलमानों को पकिस्तान भागने के लिए मुसलमानों पर हमले करने की योजना बना रहे थे. सीआईडी के लोग स्वयं सेेेवक बन कर इन मीटिंगों में शामिल होते थे. सारी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को मिलती थी.
जब गांधी जी ने घोषणा की कि मैं पकिस्तान से आये हुए हिन्दुओं को वापिस पाकिस्तान लेकर बसाने जाऊंगा और जो मुसलमान भारत छोड़ कर पाकिस्तान चले गये हैं, उन्हें वापिस भारत लाऊंगा. उसके बाद इन लोगों ने गांधी जी की हत्या कर दी.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भारत की सत्ता पर कब्ज़ा करने के लिए मुसलमानों से सिर्फ और सिर्फ नफरत की राजनीति की है. आज भारत उस नफरत की राजनीति में फंस गया है. यह नफरत हमें बुरी हालत में ले जायेगी.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इस नफरत की राजनीति से मुसलमानों का कम नुकसान होगा, हिन्दुओं का ज़्यादा नुकसान होगा . इस नफरत की राजनीति की वजह से हिन्दू नौजवान मूर्ख और पिछड़ी सोच वाले बन जायेंगे. पहले यह हिन्दू मूर्ख मुसलमानों पर हमले करेंगे, उसके बाद दलितों और आदिवासियों को मारेंगे.
मैंने देखा है कि जो हिन्दू वीर का टैग लगाये फेसबुक पेज बनाये बैठे हैं, और मुसलमानों को गालियांं लिखते हैं. वही हिन्दू वीर युवा, सोनी सोरी की योनी में पत्थर भरने का समर्थन करने वाले कमेन्ट लिखते हैं और गुजरात में दलितों को बांंध कर पीटने का समर्थन करते हैं और समानता मांगने वाली हिन्दू औरतों को रंडी कहते हैं.
आप साफ़ साफ़ समझ लीजिये या तो आप नीचे को गिर सकते हैं या ऊपर को उठ सकते हैं. अगर आप नीचे गिरने का विकल्प चुनते हैं तो मजहबी नफरत, जातिवाद, औरतों का दमन की नफरत भरी दुनिया में आप का स्वागत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बाहें फैलाए खड़ा है.
अगर आप जाति मुक्त, साम्प्रदायिकता मुक्त, स्त्री पुरुष समानता वाला ऊपर उठने का रास्ता चुनते हैं तो आपको अपने परिवार और दोस्तों से ही पहला संघर्ष करना पड़ेगा.
जल्दी फैसला कीजिये आपकी बर्बादी की पूरी तैयारी कर ली गई है. अब नहीं संभले तो यह लोग आगे का माहौल और भी ज़्यादा बिगाड़ देंगे.
(शिलापट की तस्वीर कृष्णनन अय्यर के एक पोस्ट से साभार)
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