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“बिन ईवीएम सब सून !”

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ईवीएम के जादूई तिलिस्म अब अपना रंग छोड़ रहे हैं. कभी न टेम्परर्ड होने वाली ईवीएम मशीन ने वीवीपैट मशीन के लगते ही उसका जादुई तिलिस्मी रंग उतर गया है और अब बगल झांकने लगा है. कहा जाता है कि ईवीएम ने उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब और दिल्ली एमसीडी चुनाव में अपना तिलिस्मी रंग खूब दिखाया था. पर साॅफ्टवेयर क्षेत्र के दिग्गज विशेषज्ञों ने जब अपनी दबिश बढ़ाई तो ईवीएम के होश-फाख्ते हो गये. पर मोदी सरकार की दलाली में अपना जमीर बेच चुका चुनाव आयोग अब भी इसी दलील को दिये जा रहा है कि ‘‘ईवीएम के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती.’’

ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता पर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं पर यह सवाल मजबूती से तब उठा जब भौचक्क कर देने वाली चुनाव परिणामें देश के सामने आने लगी. मुम्बई नगर निकाय के चुनाव में एक प्रत्याशी को जब शून्य वोट मिलते हैं तब भी सारा देश ही भौचक्क रह जाता है. पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली एमसीडी में ईवीएम के माध्यम से कराये जा रहे चुनावों के चैंकाने वाले परिणाम न केवल अप्रत्याशित ही हैं वरन् यह एक गहरी साजिश को भी रेखांकित करती है. देश भर के तमाम विशेषज्ञों ने ईवीएम के इस्तेमाल को लोकतंत्र के साथ खिलबाड़ बताने के बावजूद धृतराष्ट्र बने दल्ला चुनाव आयोग न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की ही अवहेलना कर वीवीपैट मशीन लगाने से परहेज कर रही है, उल्टे प्रथम जेनेरेशन की पुरानी पड़ चुकी ईवीएम मशीन को दिल्ली एमसीडी चुनाव के दौरान जानबूझकर प्रयोग में लाया.

इसकी दलाली की पराकाष्ठा तो यह है कि जब देश के सारे विपक्षी दलों ने मिलकर चुनाव आयोग के सामने सवाल को उठाया तो चुनाव आयोग न केवल उस सवाल को खारिज ही कर दिया बल्कि उल्टे दलों को ही ईवीएम को टैम्परर्ड करने की चुनौती दे डाली. इसमें मजे की बात यह रही है कि चुनाव आयोग ने यह साफ कर दिया कि अगर टैम्परर्ड नहीं हो पाई तो दलें देश से माफी मांगेगी. पर जो चुनाव आयोग ने नहीं बताया वह यह कि अगर टैम्परर्ड कर दिया गया तो क्या होगा ? क्या चुनाव फिर से करायें जायेंगे ? क्या चुनाव आयोग ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर देश से माफी मांगेंगी ?

बहरहाल चुनाव आयोग ने ‘हैकाथाॅन’ नाम की एक प्रतियोगिता करवाने का समय व तिथि तय कर दिया और दलों को ईवीएम हैक करने की चुनौती दे डाली. जैसे-जैसे हैकाथाॅन की तिथि पास आती गई चुनाव आयोग की बदचलनी साफ होती गयी. इसी बीच दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने ईवीएम हैक करने की दर्जनों में से एक विधि का लाईव डमो दिखा डाला. दलाली की राग अलाप रहे मुख्यधारा की लगभग तमाम मीडिया इसे अपने चैनल पर दिखाने के बजाय मौके से भाग खड़ा हुआ और गिरफ्तारी की मांग करने लगा. दलाली में पूरी तरह अंधा हो चुका चुनाव आयोग इसके बाद भी ईवीएम हैक के न हो सकने का राग अलापती रही. हैकाथाॅन के लिए बुलाई गयी सर्वदलीय मीटिंग में चुनाव आयोग ने यह साफ कर दिया कि ‘‘हैकाथाॅन आयोजित ही नहीं की जायेगी.’’

चुनाव आयोग के इस मैराथन ने साबित कर दिया कि चुनाव आयोग ईवीएम को लेकर लगातार झूठ बोल रही है और देश को गुमराह कर रही है. चुनाव आयोग देश के लोकतंत्र की हत्या करने के लिए एक ‘‘भाड़े का गुण्डा’’ साबित हो रही है. पर ईवीएम की कलई तब खुल गई जब अफ्रीका के एक छोटे से देश बोत्सयाना ने भी भारत से खदीदे गये ईवीएम से चुनाव कराने की चेष्टा की. बोत्सयाना में उठे विरोध के स्वर के बाद बोत्सयाना देश की चुनाव आयोग ने भारत से खरीद कर लाये जा रहे ईवीएम को हैक करने के लिए भारत के चुनाव आयोग की ही तरह निरक्षर और तकनीक से अनजान दलों को चुनौती देने के बजाय उच्च कोटि के विशेषज्ञों को ‘‘हैकाथाॅन’’ में हैक करने का आमंत्रण भेजा. इस चुनौती के लिए भारत में ईवीएम की निर्माता कम्पनी बीईएल अपने ईवीएम को भेजे जाने से साफ मना कर दिया. इससे तो यह पूरी तरह साफ हो गया कि ईवीएम मशीन न केवल संदिग्ध ही है वरन् यह पूरी तरह से नियंत्रित है, जो देश में लोकतंत्र की हत्या करने के लिए प्रयोग में लाई जा रही है. इसका जनता से कोई लेना-देना नहीं है. लोकतंत्र पूर्णतः चुनाव अयोग की दलाली पर आ कर टिक गई है.

इसकी कलई पूरी तरह तब खुल गई जब चुनाव आयोग को मजबूरन कुछ जगहों पर वीवीपैट मशीन और अन्य तरीके से चुनाव कराने पड़े. गुजरात के बोटाद जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महीने पहले ही दौरा कर चुके थे और सिंचाई से जुड़े एक स्कीम का उद्घाटन भी कर चुके थे. इसके बावजूद स्थानीय एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी के ईवीएम के बिना हुए चुनाव में भाजपा के सभी 8 उम्मीदवार बुरी तरह हार गये तो वहीं महाराष्ट्र के परली बाजार समिति के चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी शून्य पर आ गई. बंगाल के भी एक स्थानीय चुनाव में भाजपा बिन ईवीएम कुछ नहीं कर पायी.

इन छोटे पर बिन ईवीएम हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह मात खाई है. यह तथ्य ही यह साबित करने को काफी माने जाने चाहिए कि ईवीएम मशीन, चुनाव आयोग और भ्रष्ट मीडिया मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी के हाथों में पड़ी वह मजबूत हथियार है, जिसके सहारे केन्द्र की मोदी सरकार देश में लोकतंत्र का गला घोंटने पर उतारू है. विरोध करने वाले दलों, संस्थाओं और व्यक्तियों को खत्म करने पर बुरी तरह आमादा है.

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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One Comment

  1. cours de theatre paris

    September 30, 2017 at 2:23 pm

    Really informative article post.Really looking forward to read more. Want more.

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