पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
ये तस्वीर देख रहे है आप ?
ये फायर फॉल अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित योसेमाइट नेशनल पार्क की एक पहाड़ी से 1500 फीट नीचे झरने की तरह गिरता है और ये साल में सिर्फ कुछ दिन फरवरी में ही गिरता है. ये बर्फीले पहाड़ों के बीच से निकलता है और गिरता है अर्थात इसके चारों ओर बर्फीले पहाड़ ही है और उन्हींं के बीच से ये निकलकर गिरता है. न तो बर्फ पिघलती है और न ही इस की आग से कोई जलता है क्योंकि ये आग बिल्कुल ठंडी है. इसके झरने की तरह गिरने की प्रक्रिया के कारण इसे फ़ायरफॉल कहा जाता है.
पहले लोग ये समझते रहे कि शायद बर्फीले पहाड़ों के बीच कोई ज्वालामुखी है, जिसका लावा गिर रहा है. मगर फिर सवाल उठा कि अगर ये ज्वालामुखी का लावा है तो सिर्फ फरवरी के कुछ दिनों तक ही क्यों गिरता है ?
बाद में जब इस पर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने शोध किया तो पता लगा कि ये लावा नहीं बल्कि एक तरह का भ्रम है क्योंकि जब जमे हुए झरने पर एक निश्चित वातावरण में धूप पड़ने पर रिएक्शन होता है तो लावा निकलने का भ्रम होता है. असल में ये जमे हुए झरने का पिघलता हुआ पानी ही है, मगर सूर्य की किरणों का परावर्तन न होने से ये आग होने का भ्रम पैदा करता है और लाल / पीला यानी आग जैसा दीखता है. मगर कुछ दिनों में जब बर्फ पिघलकर वापिस झरने का रूप ले लेती है तो जल में सूर्य की किरणों का परावर्तन होने लगता है, अतः जल का रंग ट्रांसपेरेंट होकर नार्मल दीखने लगता है.
अगर ये भारत में होता तो धर्मांध लोग इसे काल्पनिक आस्थाओ से जोड़कर अमरनाथ और ज्वालादेवी की तरह इसे भी चमत्कार बता देते जबकि दुनिया में ऐसे सेकड़ों स्थान हैं जहांं से ऐसी कांगड़ा जैसी ज्वालायें निकलती है और इसका कारण पृथ्वी की प्राकृतिक गैसों का उत्सर्जन होता है. ऑस्ट्रिया में भी ठीक इसी तरह का मगर इससे बहुत बड़ा आकार (अमरनाथ जैसा ही) बनता है.
ऑस्ट्रेलिया के पास समुद्र में बना धनुषाकार पुल कोरल या जीवाश्म है ठीक इसी तरह भारत और श्रीलंका के बीच बना कोरल यानि जीवाश्म रामसेतु है. भारत के लोगों की अजीब धर्मान्धता है. मेरे ख्याल से इन सबकी जांंच अमेरिकी वैज्ञानिकों से करवायी जाये तो इनके प्राकृतिक तथ्य उजागर हो जायेंगे, मगर बहुत से धार्मिक पाखंडियोंं का धंधा बंद हो जायेगा इसलिये वे ऐसा करने नहीं देंगे और इसे रोकने के लिये वे लोगो की झूठी और अंधी आस्था को भड़कायेंगे ताकि सच्चाई सामने न आये और उनका धंधा बरक़रार रहे.
नोट : किसी भी धर्म का मखौल उड़ाना मेरा ध्येय नहीं है बल्कि धर्म में फैली अंधी आस्था और कुरीतियों के खिलाफ समाज को जागरूक करना मेरा लक्ष्य है. मैं सभी धर्मों की कुरीतियों और रूढ़ियों पर अक्सर मैं ऐसे ही तथ्यपूर्ण चोट करता हूंं. इसीलिये बात लोग के समझ में भी आती है और वे मानते भी हैं कि मैंने सही लिखा है. जो लोग दूसरे धर्मों का मखौल उड़ाते हैं उनसे मैं कहना चाहता हूंं कि मखौल उड़ाने से आपका उद्देश्य सफल नहीं होगा और आपस की दूरियांं बढ़ेंगी तथा आपसी समझ घटेगी. अतः मूर्खतापूर्ण विरोध करने के बजाय कुछ तथ्यात्मक लिखे.
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