पुलिस पिटाई के बाद मौत का शिकार हुए भूमिहीन कृषि मजदूर चंद्रदेव शर्मा
संसदीय चुनाव में बड़ी सफलता के घोड़े पर बैठ सुशासन बाबू श्रीमान नीतीश कुमार भूल चुके हैं कि राज्य के नागरिकों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उन्हीं की है. लेकिन जिस तरह बिहार में मासूम बच्चे इलाज के अभाव में काल के गाल में समा रहे हैं और जिस तरह आम ग़रीब जनता आपराधिक और प्राशासनिक तौर पर शोषित हो रहे हैं, उसकी बानगी दिल्ली से बिहार पहुंचने के एक हफ़्ते के भीतर ही आंखों के सामने आ गया.
सुपौल जिला के ग्राम परसौनी निवासी 35 वर्षीय भूमिहीन कृषि मजदूर चंद्रदेव शर्मा की लाश सहरसा-सुपौल मार्ग पर स्थित ग्राम परसरमा चौक पर बीच सड़क कड़ी धूप में न्याय का इंतज़ार कर रही है. ग्रामीणों और मृतक के परिजनों ने स्पष्ट रूप से बताया कि मृतक चंद्रदेव शर्मा की हत्या पुलिस-प्रशासन और जेल प्रशासन द्वारा की गई है और साज़िश के बतौर उनकी मृत्यु को स्वाभाविक मौत बताया जा रहा है. एक छोटे से झगड़े के केस में गिरफ़्तार चंद्रदेव शर्मा की अचानक मृत्यु से परिजनों और ग्रामीणों में भारी ग़ुस्सा है और उन्होंने सहरसा-सुपौल के मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. कड़ी धूप में बैठे प्रदर्शनकारियों से मिलने ख़बर लिखने तक कोई बड़ा अधिकारी जामस्थल तक नहीं पहुंचे.
विदित हो कि 5 बेटियां और एक पुत्र का पिता चन्द्रदेव शर्मा की मौत उनके भाई विशुनदेव शर्मा के अनुसार थाना और जेल में पुलिस तथा इलाज करने वाले डॉक्टर की पिटाई के कारण हुई है, जो सीधे तौर पर एक गरीब भूमिहीन मजदूर के मानवाधिकार से जुड़ा हुआ मामला है. मृतक के भाई के अनुसार जेल में बंद अन्य कैदियों ने चन्द्रदेव शर्मा की हत्या के विरोध में भूख-हड़ताल भी किया है. पूरे घटनाक्रम पर मृतक के भाई विशुनदेव शर्मा से मनोज सिंह की बातचीत का विडियो रिर्काडिंग यहां प्रस्तुत है –
मृतक भूमिहीन कृषि मजदूर चन्द्रदेव शर्मा के भाई विशुनदेव शर्मा से पत्रकार मनोज सिंह की बातचीत
किसी भी प्रशासनिक और राजकीय दमन का प्रतिरोध अब नागरिक समूहों और एकजुट प्रतिरोध द्वारा ही संभव लगता है. यह बेहद जरूरी है कि मृतक कृषि मजदूर चन्द्रदेव शर्मा की हत्या के दोषी अधिकारियों को दण्ड मिले तथा अनाथ हो चुके उनके छोटे-छोटे बच्चों को 50 लाख रूपये का मुआवजा और उनकी पत्नी को एक सरकारी नौकरी दी जाये, ताकि अनाथ हो चुके उन बच्चों के साथ न्याय हो सके.
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