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अतीत में महान होने के नशे में डूब जाना गुलामी का रास्ता खोलता है

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अतीत में महान होने के नशे में डूब जाना गुलामी का रास्ता खोलता है

हिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ताहिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ता

भारत को अतीत-जीवी बनाने में इसकी गुलामी का बहुत बड़ा हाथ है. गुलामी से जो हीन भावना आई, भारत ने उससे निकलने के लिए अपने अतीत में महान होने के नशे में डूब जाने का रास्ता चुना. आज़ादी के बाद भारत को अतीत की महानता के इस नशे से निकालने के लिए ज़ोरदार कोशिश करी जानी चाहिए थी लेकिन जनसंघ जो बाद में बाद में भाजपा बनी और राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ और भारत के धर्म गुरुओं ने एक योजना के तहत भारतीयों के दिमागों में इस नशे को और गहरा किया. आज भी भारत राम रावण के युग में जी रहा है.

भारत आज की बेरोजगारी, शिक्षा की बदहाली और दंगा प्रधान राजनीति के प्रति ध्यान देने की हालत में है ही नहीं. रही सही कसर टीवी के सीरियलों ने पूरी कर दी, जिनमें मिथ्या को इतिहास की तरह दिखाया जाता है. आज भी भारत का युवा हनुमान के उड़ने राम के भगवान होने और सारे चमत्कारों की कहनियों पर ना सिर्फ यकीन करता है बल्कि उसे अपने महान होने के सबूत के तौर पर बहस भी करता है.




आज के युवा को अपनी जाति व्यवस्था पर गर्व है. उसे वह अपनी महान परम्परा मानता है. भारत में कोई लडकी प्रेम करे तो कहा जाता है कि लडकी ने अपने परिवार की नाक कटवा दी. लेकिन अगर वही लडकी अपने पड़ोस में रहने वाले परिवार से उनके दूसरी जात का होने के कारण नफरत करे तो उस लड़की को परम्परा की इज्ज़त करने वाली कह कर बहुत लायक कहा जाएगा. यानी भारत प्रेम करने को नाक कटाने वाला काम और बिना वजह नफरत करने को महान काम मानता है.

पिछले दशहरे पर पंजाब में रेल की पटरी पर जो दुर्घटना हुई है. मक्का में या हर साल मन्दिरों में भगदड़ में जो लोग मरते हैं. उससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि लोग किस कदर काल्पनिक कथाओं को सच मानकर आज भी उसी युग में जी रहे हैं. कोई भी देश धर्म में डूब कर अपनी हालत नहीं बदल सकता. किसी भी कौम की हालत सिर्फ तर्क विज्ञान और समझदारी के रास्ते से ही बदली जा सकती है.

मुसलमान जितने ज़्यादा कट्टर मुलमान बनेंगे वह उतना ही पिछड़ते जायेंगे. हिन्दू जितना ज्यादा कट्टर हिन्दू बनेंगे वह भी उतना ही पिछड़ते जायेंगे. जहां धर्म है वहां गरीबी, बीमारी और युद्ध है. जहां विज्ञान तर्क विज्ञान और समझदारी है वहां शान्ति तरक्की और स्थिरता है लेकिन धर्म में डूबे हुए इंसान की आंखों पर अपने अतीत में महान होने और मरने के बाद मिलने वाले स्वर्ग के सुखों का झूठा नशा छाया रहता है.

धार्मिक कभी भी वर्तमान को नहीं बदल पाता. भारत जब तक आंखें खोल कर अपनी बदहाली को नहीं समझेगा और इसे बदलने के लिए अपने महान होने का झूठा भ्रम नहीं त्यागेगा. भारत इसी भूख, बीमारी, दंगे फसाद और जातिगत नफरत के कीचड़ में लिथड़ता रहेगा.




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