Home ब्लॉग पश्चिम बंगाल : एक गुंडे के खिलाफ जनप्रतिरोध

पश्चिम बंगाल : एक गुंडे के खिलाफ जनप्रतिरोध

19 second read
0
0
713

पश्चिम बंगाल : एक गुंडे के खिलाफ जनप्रतिरोध

एक दिन पहले भाजपा अध्यक्ष और हत्यारों का सरगना अमित शाह ने ममता बनर्जी को चैलेंज करते हुए कहा था कि ‘वह बंगाल आ रहे हैं, दीदी को हिम्मत है तो उसे गिरफ्तार करके दिखाये.’ अब वही अमित शाह प्रलाप कर रहा है कि :अगर सीआरपीएफ के जवान न होते तो उसकी हत्या हो जाती.’ इससे एक चीज जो स्पष्ट हो जाती है वह है, ‘गुंडे हमेशा निरीहों को अपना निशाना बनाते हैं. ज्यों ही उसका सामना ताकतवरों से हो जाती है, भय से थरथर कांपने लगता है और उसका रोना-बिलखना शुरू हो जाता है.’

ऐसी ही हालत अमित शाह की है, जिसने कॉलर ऊंचा करके जज लोया को तो मरवा दिया, सुप्रीम कोर्ट के जजों तक को धमका दिया, चुनाव आयोग में अपने चाटुकार को बिठालकर चुनाव आयोग को अविश्वसनीयता की हद तक पतित बना दिया, पर उसका सामना जब बंगाल की धरती पर मौजूद लोगों से हुआ तो अपनी मौत का प्रलाप शुरू कर दिया.




अमित शाह को याद रखना चाहिए कि यह वही बंगाल की धरती है जहां देश भर के संघर्षशील ईमानदार लोगों और राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं को सीबीआई का भय दिखाकर डराने वाला हजारों लोगों के नरसंहार का अभियुक्त नरेन्द्र मोदी जो प्रधानमंत्री पद पर विराजमान हैं, ने जब बंगाल की धरती पर ‘भ्रष्टाचार’ का बहाना लेकर पुलिस अधिकारी पर कार्रवाई हेतु सीबीआई के 40 अधिकारियों को छापा मारने भेजा तो सीबीआई की मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा तक धूल में मिल गई, जिससे उबरने में सीबीआई को वर्षों लगेंगे.

वहीं अब, तड़ीपाड़ अमित शाह जो हत्यारों का देश में सबसे बड़ा गिरोह चला रहे हैं, उसने बंगाल की धरती का गलत आंकलन कर लिया और अब प्रतिरोध के दावानल के भय से कांप रहे हैं और बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, जिसका कोई भी महत्व नहीं है क्योंकि देश का हर एक आदमी भाजपा के चाल-चरित्र और उसके मक्कारी से वाकिफ हो गया है.

जब भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह अपनी गुंडागर्दी का प्रदर्शन करते हुए कहते हैं कि ‘हिंसा की खबर सुबह से थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की’, साथ ही कि ‘टीएमसी के लोगों ने ही झूठ फैलाने के लिए मूर्त्ती तोड़ी’ तो गुंडे अमित शाह की बातों का कोई वजूद नहीं है क्योंकि सच्चाई का दूसरा पहलू भी लोगों के सामने है, जो वहां से निकल कर सामने आयी है.




भाजपा के गुंडे लगातार बंगाल में दंगे भड़काने का काम पूरी सक्रियता के साथ कर रहे थे, और इसी परिप्रेक्ष्य में अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा के गुंडों ने ईश्वरचंद विद्यासागर कॉलेज में तोड़फोड़ की और 19वीं सदी के महान समाज सुधारक ईश्वरचंद विद्यासागर के स्थापित प्रतिमा को तोड़ दिया, जिसके बाद ही भाजपा के गुंडों और उसके सरगना अमित शाह का वहां की आम जनता ने प्रतिकार किया, जिसका उसे उम्मीद भी होगा. परन्तु प्रतिरोध इतना तीखा हो जायेगा, इसकी कल्पना भी गुंडे अमित शाह नहीं कर सके होंगे.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार, ‘अगर आप विद्यासागर तक हाथ ले जाते हैं तो मैं आपको गुंडे के अलावा क्या कहूंगा. मुझे आपकी (अमित शाह और भाजपा के) विचारधारा से घृणा है. मुझे आपके तरीकों से नफरत है.’ और यही नफरत भाजपा -आरएसएस के खिलाफ देश की समूची जनता करती है, परन्तु इसका सक्रियता से प्रतिकार बंगाल की धरती के लोगों ने किया है. जिसकी जितनी तारीफ की जाये, कम है.

विदित हो कि अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ भी प्रतिकार बंगाल की धरती से ही शुरू हुआ था, जिसे अंत में देश के लोगों ने मारकर भगा दिया. अब अंग्रेजों के दलाल-चापलूस और जासूस आरएसएस नये खाल में लोगों को अंबानी-अदानी जैसे कॉरपोरेट घरानों का गुलाम बना रही है, जिसके सफल प्रतिरोध भी बंगाल की धरती से वहां के लोगों ने किया है. हलांकि इसी कड़ी में गांधी की कर्मभूमि बिहार के पश्चिम चम्पारण के लोगों ने भी भाजपा के दूसरे गुंडे सांसद पर जवाबी हमला किया था. असल में भाजपा और उसके गुंडों के खिलाफ सक्रिय प्रतिरोध ही एक मात्र रास्ता बचता है, वरना उसने तो देश की तमाम संवैधानिक ढ़ांचों को ही ध्वस्त कर दिया है.




Read Also –

साध्वी प्रज्ञा : देश की राजनीति में एक अपशगुन की शुरुआत
बनारस में जवान और किसान vs मोदी
कैसा राष्ट्रवाद ? जो अपने देश के युवाओं को आतंकवादी बनने को प्रेरित करे
मोदी की ‘विनम्रता’ !
पुलवामा में 44 जवानों की हत्या के पीछे कहीं केन्द्र की मोदी सरकार और आरएसएस का हाथ तो नहीं ?
लुम्पेन की सत्ता का ऑक्टोपस
मौत के भय से कांपते मोदी को आत्महत्या कर लेना चाहिए ?




प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]




Load More Related Articles

Check Also

माओवादी आंदोलन में गुमुदावेली रेणुका का जीवन और शहादत

31 मार्च को दक्षिण छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पुलिस ने ठंडे दिमाग़ से पकड़ कर हत्या दिय…