हिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ता
भारत एक राष्ट्र नहीं था. भारत एक राष्ट्र अंग्रेजों के जाने के बाद भारत के संविधान के लागू होने पर सन 1950 को बना. उससे पहले भारत में एक धर्म का शासन कभी नहीं रहा. भारत कभी हिंदू राष्ट्र नहीं था. हिंदू शब्द तो बहुत नया है. भारत में कभी एक धर्म भी नहीं था.
भारत में हज़ारों धर्म थे. हजारों मान्यताएं थीं. हजारों समुदाय थे. भारत का एक इतिहास नहीं है. भारत के हजारों इतिहास हैं. जितने समुदाय, उतने इतिहास हैं. उन समुदायों के इतिहास को दबा दिया गया. आक्रमणकारी पुरोहितों और राजाओं के इतिहास को भारत का इतिहास कह कर पढ़ाया जा रहा है.
इन आक्रमणकारियों की संस्कृति को भारत की संस्कृति कह कर उसे बाकी के समुदायों पर थोपने की कोशिश की गयी. आज़ादी के बाद सभी समुदायों की बराबरी ना हो जाए, इसलिए इस आक्रमणकारी शासक तबके नें एक चालाक राजनीति खेली. इन्होनें भारत की राजनीति को साम्प्रदायिक खेल में उलझा दिया.
आज़ादी मिलते ही गांधी की हत्या कर दी गयी. बाबरी मस्जिद में राम लला की मूर्ती रख दी और कहा कि भारत की राजनीति का उद्देश्य बराबरी की राजनीति नहीं है बल्कि भारत की राजनीति का लक्ष्य हिंदू प्रभुत्व प्राप्त करना और मुसलमानों को बढ़ने से रोकना है. तब से भारत की राजनीति को इस तरफ ले जाने की कोशिशें शुरू कर दी गयी.
आज हम वहाँ पहुच चुकें हैं जहां यह नफरत की राजनीति सत्ता पर कब्ज़ा कर चुकी है. मोदी को इसलिए नहीं चुना गया कि उसने गुजरात में बहुत विकास किया था बल्कि इसलिए चुना गया कि उसने मुसलमानों को मारा था. अगर भारत के बहुसंख्य वर्ग को दूसरे बड़े समुदाय के खिलाफ़ नफरत के आधार पर राजनैतिक तौर पर संगठित किया जाता है और उसे कोई पार्टी अपनी राजनीती का केन्द्रीय मुद्दा बनाती है तो साफ़ समझ लीजिए कि वह पार्टी राष्ट्र के टुकड़े करने की तरफ देश को ले जा रही है.
अम्बेडकर साहब ने कहा था कि भारत अभी एक राष्ट्र बन रहा है. इण्डिया इज़ के नेशन इन मेकिंग अगर यहाँ के सभी समुदाय एक दूसरे के साथ रहना नहीं सीख पाए तो एक राष्ट्र के तौर पर भारत का अस्तित्व समाप्त भी हो सकता है.
मत भूलिए कि सोवियत संघ जैसी महाशक्ति पन्द्रह टुकड़ों में बंट गयी. भारत एक राष्ट्र के रूप में तभी तक रह सकता है. जब यहाँ की राजनीती का मुख्य मुद्दा सभी समुदायों की एकता और सभी को एक सामान न्याय होगा. किसी समुदाय का प्रभुत्व बनाना और किसी दूसरे समुदाय को आतंकवादी और देशद्रोही कह कर बदनाम करने की राजनीति करने वाले ही राष्ट्र के शत्रु साबित होंगे. इस लिहाज़ से भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही असली राष्ट्रद्रोही संगठन हैं. इन संगठनों से भारत को बचाना ही भारत के अस्तित्व को बचाए रखने की गारंटी है.
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