बी.एस.एफ. के जवान तेजबहादुर यादव की अधिकारियों के द्वारा खाने में भ्रष्टाचार की गंभीर सप्रमाण शिकायत करने के बाद जिस प्रकार उसे बर्खास्त कर दिया गया, इसमें भ्रष्टाचार में संलिप्त पूरी सरकारी मशीनरी और खुद भारत सरकार के भी शामिल होने का पुख्ता प्रमाण है. वहीं एक दूसरे जवान की संदेहास्पद हत्या केवल इसलिए कर दी गई कि उसने सेना में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही बेगारी प्रथा के खिलाफ सवाल उठाया था. सेना के नाम पर राजनीति करने वाली और विरोधियों को मूंह बन्द कर देने वाली भारतीय जनता पार्टी सेना के जवानों के सवाल पर जहां उसी सेना के जवानों पर आक्रमक रूख अख्तियार कर उसे बी0एस0एफ0 से बर्खास्त कर देती है और उस भ्रष्ट अफसरों का बचाव पूरी ताकत से करती है तो सवाल तो उठेंगे ही आखिर सरकार किसके लिए और क्यों हैं ?
फसल खराब हो जाने के वजह से लिये गये कर्ज की अदायगी न होने पाने और कर्ज वसूली की सख्त प्रक्रिया के कारण चन्द वर्षों में तकरीबन 30 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं. तलिमनाडु के कंगाल हो चुके किसान इन कर्जों की माफी के लिए जंतर-मंतर पर पिछले 38 दिन से धरना दे रहे हैं. किसान अपने शरीर को ही भाषा के रूप में इस्तेमाल कर अपनी बातों को प्रधानमंत्री जो खुद को प्रधानसेवक कहते अघाते नहीं हैं, तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं वह उनकी विवशता और तंगहाली को ही दर्शाती है. एक तरफ देश के प्रधानमंत्री मोदी के कान पर जूं तक नहीं रेंगने वाली किसानों का यह दर्दनाक दृश्य है, वहीं दिल्ली आयी बंगलादेश के प्रधानमंत्री से मिलने की आतुरता में प्रधानमंत्री मोदी प्रोटोकाॅल को तोड़कर उनसे मिलने दौड़े, केवल इसलिए कि अंबानी जैसे काॅरपोरेट घरानों का व्यापार बढ़ सके.
चंद दशक पहले भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक नारा दिया था – जय जवान, जय किसान. पर आज वह नारा एक मखौल का पात्र बन चुका है. जिस देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद कृषि केन्द्रित हो उस देश का किसान जब मामूली कर्ज के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाये और काॅरपोरेट घरानों के लिए प्रधानमंत्री विज्ञापन तक करने और उसके लाखों करोड़ की कर्ज तक पलक झपकते माफ होने लगे तो देश के प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम एक स्पष्ट संदेश जाता है कि इस देश को सेना और किसान की कोई जरूरत नहीं है. सेना और किसानों को अपना अलग देश खोज या बना लेना चाहिए. यह देश तो केवल अंबानी-अदानी जैसे काॅरपोरेट घरानों और भ्रष्ट सरकार के लिए है. अगर कोई इस संदेश को न समझ पाये तो देश का तथाकथित प्रधानमंत्री मोदी आखिर इसमें क्या कर सकता है ?
Krishna sarkar
April 29, 2017 at 3:59 pm
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