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एम.सी.डी. चुनाव और शासकीय राजनीति की अर्थी

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भ्रष्टाचार और दलाली की पराकाष्ठा को कब का पार कर चुकी शासक वर्गीय पार्टियां अपने कंधों पर राजनीति की अर्थी को उठाये आज दिल्ली के आम आदमी के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. शासकीय राजनीति पार्टी का सबसे बदबूदार चेहरा बन चुकी भारतीय जनता पार्टी एम0सी0डी0 को आगे कर दिल्ली को कूड़े के ढ़ेर पर बिठा रखा है और आये दिन डेंगू-चिकनगुनिया और प्रदूषण मौत बनकर दिल्ली के आकाश में मंडराती रहती है. आम आदमी पार्टी की सरकार को बदनामी की कीचड़ से लिथेड़ने के घृणित प्रयास में खुद के चेहरे को कीचड़ से लिथराये भारतीय जनता पार्टी जब एम0सी0डी0 जैसे छोटे निकाय के चुनाव में आम आदमी पार्टी जैसे ईमानदार ताकतों से टकराती है तो जन-जागरूकता की एक विशाल ज्वाला निकलती है जिसके तेज रोशनी की चमक में एम0सी0डी0 सहित पूरी भारतीय जनता के पार्टी के तमाम काले कारनामें पूरे देश भर में कौंध जाती है. पूरा देश ही एकबारगी ऊनिंद्रा से जागकर सवाल पूछने लग जाता है.

नवोदित आम आदमी पार्टी की ईमानदार मौजूदगी में जन-जागरूकता की उस तेज रोशनी की चमक ही वह कारण है कि बिना किसी हो-हल्ले के सम्पन्न हो जाने वाली एम0सी0डी0 जैसी छोटी निकाय का चुनाव, जिसके हो जाने के बाद भी किसी को पता तक नहीं चलता था, जिसका मीडिया संज्ञान तक नहीं लेता था, वही आज – एम0सी0डी0 चुनाव – मीडिया का केन्द्र बना हुआ है. दिन-रात बहसों का शोर मचा रहता है. आम आदमी पार्टी की मौजूदगी ने ही यह सम्भव बनाया है कि लोग आज एल0जी0, पुलिस, ए0सी0बी0, चुनाव आयोग, ई0वी0एम0, एम0सी0डी0 आदि के बारे में जाना और उसके अधिकार और कर्तव्य के बारे में भी बहस कर रहे हैं. लोग सवाल उठा रहे हैं. दिल्ली को कूड़े के ढे़र पर लाने वाली पिछले 15 सालों से एम0सी0डी0 की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के अगाध भ्रष्टाचार आज सवाल के घेरे में हैं.

आम आदमी पार्टी की मौजूदगी के कारण ही आज यह सम्भव हो पाया है कि आम आदमी के सामने दो तरह के मुद्दे साफ तौर पर दीखने लगे हंै. भ्रष्टाचार के उपासक भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जनित मुद्दों के केन्द्र में गाय, गोबर, अजान, मंदिर, मस्जिद, योगी, मोदी, पाकिस्तान, विश्व-गुरू आदि जैसे काल्पनिक विचार हैं तो वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के मुद्दे आधी दरों पर बिजली की उपलब्धता, मुफ्त पानी की सुनिश्चता, उच्चकोटि के शिक्षण-संस्थान, स्वास्थ्य हेतु मुहल्ला क्लिनिक-पाॅली क्लिनिक, भ्रष्टाचार का खात्मा, सड़कों सहित नली-गली की सफाई, कर्मचारियों की नियमित वेतनमान की सुनिश्चता, डेंगू-चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बिमारी का सफाया, हाऊस टैक्स की माफी सहित ऐसे ही छोटे-छोटे परन्तु जीवन जीने की बुनियादी जरूरत की सुनिश्चता है. इन दोनों ही विचारों के केन्द्र में हैं दिल्ली में वोट डालनेवाली दिल्ली की आम मतदाता.

काॅरपोरेट घरानों की चाकरी करने वाली भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी की आपसी दूरियां भी लगभग खत्म हो गई है. दोनों ही पार्टी संयुक्त रूप से आम आदमी पार्टी पर हमला कर रही है. जहां भारतीय जनता पार्टी के जीतने की गुंजाईश नहीं बचती है, वहां कांग्रेस पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए भ्रष्ट और दलाल चुनाव आयोग के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने ई0वी0एम0 के साथ छेड़छाड़कर समूची चुनाव प्रक्रिया को ही हस्तगत कर लिया है. आम आदमी का वोट डालने के तथाकथित मौलिक अधिकार पर ही सवालिया निशान लगा दिया है. वहीं मुख्यधारा की मीडिया में भारी मात्रा में – लगभग 11 हजार करोड़ – रूपयों को खपा कर अपना भोंपू बना लिया है. यह सब केवल इसलिए कि आम आदमी की बुनियादी मूलभूत जरूरत की बात करने वाली आम आदमी पार्टी को बदनाम कर आम आदमी का ध्यान उसके अपने मौलिक समस्या से भटकाकर गाय, गोबर, अजान, मंदिर, मस्जिद, योगी, मोदी, पाकिस्तान, विश्व-गुरू आदि जैसे काल्पनिक विचारों की ओर मोड़ा जा सके और इस प्रकार काॅरपोरेट घराने के हितों को बरकरार रखा जा सके. यही कारण है कि पंजाब विधानसभा चुनाव में ई0वी0एम0 के द्वारा वोटों को कांग्रेस की ओर स्थानान्तरित करने के बाद भी पहली हीं बार चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी के मुख्य विपक्षी दल बन जाने के बाद भी आम आदमी पार्टी को ऐसे दिखाया जा रहा हो मानो वह पराजित हो गई हो. यह सब केवल इसलिए कि आम आदमी की बुनियादी जरूरत रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा का वास्तविक स्वरूप सच में कहीं राष्ट्रीय बहस के केन्द्र में न आ जाये.

दिल्ली के आम आदमी के सामने एम0सी0डी0 चुनाव के रूप में एक बार फिर मौका मिला है कि वह इन दोनों तरह के मुद्दों को केन्द्र में रखकर अपनी बुनियादी जरूरत रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा को सुनिश्चित कर आम आदमी पार्टी के जीत के माध्यम से हल करने की दिशा में आगे बढ़ें.

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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