रविन्द्र पटवाल, सामाजिक कार्यकर्त्ताअगर आप लोगों को भी ऐसी दिक्क़ते मेट्रो में या अन्य सार्वजनिक जगहों पर पेश आ रही है, जो सैकड़ों हजारों की संख्या में आ रही होगी, तो अपना प्रतिवाद जरूर रखें, उसे दर्ज करें. हमें 26 जनवरी गण के तंत्र के रूप में मिला है, तंत्र के हमें गुलाम बनाने के लिए नहीं.
क्या आपको महसूस हुआ कि 26 जनवरी नजदीक आ रही है,और आप अधिक से अधिक अपने को आजाद महसूस करने के बजाय दम घुटने को महसूस कर रहे हैं ?
जी हां, मुझे तो दिल्ली में रहते ऐसा कई सालों से लगता आ रहा है. अभी आपको हाल का किस्सा बताता हूं.
शनिवार को हम सब “दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण और सुगम जनपरिवहन के विकल्प” पर ITO के समीप Gandhi Peace Foundation के सेमिनार से लौट ही रहे कि Mahendra Mishra जी ने फोन किया कि ITO metro Station के अंदर CISF ने सेमिनार में शामिल एक DU अध्यापिका को detain कर लिया है, अगर दिक्कत होगी और ज्यादा परेशान करेंगे तो और लोगों को लेकर पहुंचें.
हम लोग अभी सेमिनार से निकल ही रहे थे की चाय पीकर अपने अपने गंतव्य को निकलेंगे, हम ITO मेट्रो की ओर चल दिए. पहूंचते ही देखा कि तीन मित्र पहले ही CISF से बहस कर उनके सुरक्षा कक्ष में घुस चुके हैं,और हमें और अधिक लोगों को प्रवेश नहीं मिल सकता.
किस्सा क्या था ?
26 जनवरी की सुरक्षा के नाम पर CISF को केंद्र सरकार से अतिरिक्त सुरक्षा चौकसी बरतने के सख्त आदेश मिले हैं. सुरक्षा चेकिंग के नाम पर सेमिनार में शामिल दो महिला साथियों के शरीर पर चेकिंग मशीन फिराई गई, फिराई ही नहीं गई बल्कि दोनों टांगों को चौड़ा कर उसके बीच भी सेंसर नीचे से ऊपर फिराया गया और टच कराया गया. इसका जबरदस्त प्रतिवाद किसी भी जागरूक और संवेदनशील नागरिक को करना चाहिए और वही महिला प्राध्यापिका ने किया, जिसे CISF ने उनके काम में बाधा करार देकर detain कर लिया. करीब डेढ़ घंटे चली इस प्रक्रिया में विरोध को देखते हुए CISF के लोगों ने धमकी दी, क्योंकि उन्हें अहसास हो गया कि इनके पास संख्या भी है और ये आम मेट्रो सफर करने वाले सफर करके जाने वाले नहीं हैं, इसलिए धमकाने वाले लहजे में cctv फुटेज को पूरी दिल्ली में दिखाने और काम में व्यवधान डालने का दबाव डालने लगे.
एक महिला नागरिक जिसे इस देश में स्वतन्त्रता से कहीं आने जाने की आजादी इस देश का संविधान देता है, उसे इस दिल्ली में उसी गणतंत्र के नाम पर खुद को जनता से चुने कहे जाने वाले सरकार (EVM Hacking के खबर के बाद तो उसमे भी शक है), उसी नागरिक से उसके सारे जीने के अधिकार छीन लेती है, और हम इस देश के 130 करोड़ नागरिक अपराधी साबित हो जाते हैं इसी देश में ? इसी संविधान में ? जो हमारे लिए, हमारे द्वारा बनी है.
ऐसे कायर लोग ही तमाम संवैधानिक संस्थाओं को स्वायत्तता को खत्म कर बर्बाद कर रहे हैं. CISF के जवान और ठेके पर सुरक्षा जांच में लगी महिला सुरक्षाकर्मी की क्या औकात जो वे उनके दिए निर्देशों पर चूं कर सकें. CISF के अधिकारी ने खुद बताया कि हम मजबूर हैं, हमें कड़े निर्देश ऊपर से मिले हैं. हां, यह उस महिला सुरक्षाकर्मी की गलती थी.
अगर आप लोगों को भी ऐसी दिक्क़ते मेट्रो में या अन्य सार्वजनिक जगहों पर पेश आ रही है, जो सैकड़ों हजारों की संख्या में आ रही होगी, तो अपना प्रतिवाद जरूर रखें, उसे दर्ज करें. हमें 26 जनवरी गण के तंत्र के रूप में मिला है, तंत्र के हमें गुलाम बनाने के लिए नहीं.
- रविद्र पटवाल
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