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खुश रहना अच्छा है पर खुशफहमी में रहना नहीं

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विश्व के टॉप 4000 वैज्ञानिकों में सिर्फ 10 भारतीय हैं. यह कहना है clarivate Analytics का जिसने ग्लोबल लेवल पर most influential researchers की लिस्ट तैयार की है. 130 करोड़ लोगों के देश से सिर्फ 10 वैज्ञानिक ! ऐसा क्यों ?

यूं तो हमसब IITs, IIsc बंगलुरु, JNU इत्यादि की शेखी बघारते नहीं थकते. पर सच्चाई खुल जाती है जब विश्व स्तर पर तुलना होती है.

अकेले USA से 2639 नाम हैं, और उसमें भी सिर्फ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 186 नाम. मतलब सिर्फ एक विश्वविद्यालय में समूचे भारत से ज्यादा वैज्ञानिक हैं. जो चीन 15 वर्ष पहले भारत के लेवल में था वहां से भी 482 नाम इस सूची में हैं. भारत से ये 10 नाम भी नहीं होते यदि cross field नाम से एक अतिरिक्त कैटगरी शामिल न की गई होती.

क्या सोच रहे हैं ? अब भी यथार्थ के धरातल पर उतर कर सोचना है और कुछ करना है या वही पुरानी खुशफहमी में जीना है … कि हमी बेस्ट हैं, हमारी ताकत, हमारी सेना, हमारी शैक्षणिक संस्थाएं, हमारे वैज्ञानिक.

दुनिया लगातार आगे निकलती जा रही है और हम हैं कि खुशफहमी छोड़ने को तैयार नहीं. कब तक दुनिया को कॉपी करते रहेंगे. विज्ञान, खेल, साहित्य या सेना हमें इनोवेटिव-इंवेंटिवे बनना होगा और जो ऐसे कार्यों में लगे हैं उन्हें न सिर्फ प्रोत्साहित बल्कि उन्हें असफल होने पर एक सुरक्षित जीवन की गारंटी भी सुनिश्चित करनी होगी. साथ ही आमलोगों को दिन-रात राजनीति के अधकचरे समाचारों से बाहर निकलकर, दुनिया में क्या हो रहा है उसकी भी खबर प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए. हमें खुद को बेस्ट न मानकर अपनी तुलना सिर्फ अपने बीच नहीं, दुनिया के साथ करनी चाहिए, निरन्तर करनी चाहिए, निष्पक्षता से करनी चाहिए और उसी मुताबिक स्वयं को अपग्रेड करते रहना चाहिए . याद रखिये की खुश रहना अच्छा है पर खुशफहमी में रहना नहीं.

  • सुनील कुमार सिंक्रेटिक




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