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राजनीतिक बहसों का उच्च मापदंड !?

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राजनीतिक बहसों का उच्च मापदंड !?

हॉकी इंडिया में अपनी पुत्री को वकील नियुक्त करवाकर बिलकुल भाई-भतीजावाद न फैलाने वाले वित्त मंत्री जी राहुल गांधी को ’जर्सी गाय का बछड़ा’ बोलकर सार्वजनिक बहस के स्तर को आपके ’साहेब’ ने कितना ऊंचा स्थापित किया था ? ’साहेब’ ने केजरीवाल को ’अनार्किस्ट’ और ’नक्सली’ कह बहस के कौन से मानदंड तय किये थे ? रामज़ादे / हरामज़ादे के ज़रिये चुनावी प्रचार की बहस के उच्च मानदंड किस राजनैतिक दल ने स्थापित किये थे ? अरविन्द केजरीवाल के गोत्र को ही ’उपद्रवी’ बता बहस के उच्च आदर्श स्थापित करने वाला पोस्टर किस राजनैतिक दल ने लगाया था ?

20,000 रूपये की कुल कीमत वाले लैपटॉप के लिए प्रतिदिन 16,000 रुपये किराया देने वाले देश के माननीय वित्त मंत्री जी ने फेसबुक में अपने लेख में फ़रमाया था कि ‘अरविन्द केजरीवाल को अभद्रता का अधिकार नहीं.’ उन्होंने सार्वजानिक बहस के स्तर को नीचा ले जाने का आरोप अरविन्द पर लगाया था.

3,000 रूपये प्रतिदिन प्रिंटर का किराया देने वाले मितव्ययी वित्तमंत्री ने कांग्रेस पर भी अभद्रता के ज़रिये वोटों की उम्मीद पालने का तोहमद लगाया था. डीडीसीए के लिए 5,000 रुपये की पूजा की थाली खरीदने का बिल डालने वाले वित्त मंत्री जी शायद भूल गए कि ’अगर सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बनी तो में बाल मुंडवा के सफ़ेद साड़ी पहन चना-चिड़वा खाकर विरोध करुंगी’, राष्ट्रीय मीडिया के सामने छाती पीट-पीट कर किसने कहा था ?

हॉकी इंडिया में अपनी पुत्री को वकील नियुक्त करवाकर बिलकुल भाई-भतीजावाद न फैलाने वाले वित्त मंत्री जी राहुल गांधी को ’जर्सी गाय का बछड़ा’ बोलकर सार्वजनिक बहस के स्तर को आपके ’साहेब’ ने कितना ऊंचा स्थापित किया था ? ’साहेब’ ने केजरीवाल को ’अनार्किस्ट’ और ’नक्सली’ कह बहस के कौन से मानदंड तय किये थे ? रामज़ादे / हरामज़ादे के ज़रिये चुनावी प्रचार की बहस के उच्च मानदंड किस राजनैतिक दल ने स्थापित किये थे ? अरविन्द केजरीवाल के गोत्र को ही ’उपद्रवी’ बता बहस के उच्च आदर्श स्थापित करने वाला पोस्टर किस राजनैतिक दल ने लगाया था ?




चांद-सूरज मुट्ठियों में पकड़ने की अठखेलियां करने वाला प्रधानमंत्री देश को थोपने के लिए शालीन मनमोहन को गूंगा, म्यूट रिमोट संचालित जैसे उपनामों से नवाजने का काम कर कौन से उच्च मापदंडों की स्थापना आपके दल के द्वारा की गई थी ?

बिहार इलेक्शन के आखरी दिन इलेक्शन कमीशन द्वारा बैन किया गया गाय वाला कुख्यात पोस्टर किस पार्टी ने अख़बारों में छपवाया था ? और इससे कौन-सी बहस का स्तर ऊंचा उठाया जा रहा था ? आप भली-भांति जानते होंगे. दादरी में वायुसैनिक के पिता की ’हिंसक हत्या’ को किसके मंत्री ने ’हादसा’ बोलकर उसकी जघन्यता को हल्का करने का प्रयास किया था ? हरियाणा में दलित बच्चों को जला दिए जाने पर किसके मंत्रिमंडलीय सहयोगी ने ’दलितों की तुलना कुत्तों’ से की थी ?

वो कौन से माननीय थे जिन्होंने ’गुजरात के दंगों को गोथरा का परिणाम’ बता कर दंगों के कारणों की बहस को एक नई ऊंचाई दी थी ?




भारत के राजनैतिक इतिहास में ’पोलिटिकल डिस्कोर्स’ की भाषा और स्तर को सबसे निम्न स्तर पर ले जाने का यदि सबसे बड़ा कोई दोषी है तो वो आपका दल है, आपके मंत्रिमंडलीय सहयोगी हैं और आपके नेता हैं. आपके दल को भारतीय राजनीति के इतिहास में सार्वजनिक बहस को जनता के रोज़ी-रोटी और शिक्षा-चिकित्सा के मुद्दों से भटका कर ’धार्मिक उन्माद’ पर केंद्रित कर उसके स्तर को नीचा गिराकर सत्ता में आने के लिए सदैव याद किया जाता रहेगा.

आप भी कितने दूध के धुले हैं, ये भी जनता ने खूब देखा जब आपने पोलिटिकल क्षेत्र से अलग रचनाशील, बौद्धिक, वैज्ञानिक और कलाकारों की ओर से आपके लोगों के असहिष्णु कृत्यों के विरोधस्वरुप एक बहस प्रारम्भ करने का प्रयास किया, तो आपने उस बहस को ’मैन्युफैक्चर्ड’ बता कर उसका वध करने का भरपूर प्रयास किया.




अंत में एक उदाहरण, कॉलेज में मेरे एक टीचर हुआ करते थे. उनका बेटा हमारा क्लासमेट था. एग्जाम के दौरान वो अपनी ड्यूटी प्रिंसिपल से कह उस क्लास से हटवा लेते थे जिसमें उनके बेटे के भी पेपर देने की सम्भावना होती थी. काश उन्होंने आपसे और सुषमा जी से अपने ’वकील पुत्रियों और भतीजों’ के कैरियर को प्रमोट करने की कला सीखी होती. ललित मोदी प्रकरण के बाद पंजाब आतंकवाद के विरुद्ध हमारे हीरो रहे केपीएस गिल भी हॉकी इंडिया की बातें सार्वजनिक करते रहे हैं. अब तो माल्या का भाग जाने से पहले संसद में मिलना-जुलना भी सार्वजनिक हो चुका है. रघुराम राजन की एनपीए वाली लिस्ट की बात भी सार्वजनिक हो चुकी है.

2019 अप्रैल मई में चुनाव आ रहे हैं सोचा आपके साथ सारे देश को सच्चा पोलिटिकल डिस्कोर्स याद दिला दूं.

  • फरीदी अल हसन तनवीर





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ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

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