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70 साल के इतिहास में पहली बार झूठा और मक्कार प्रधानमंत्री

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70 साल के इतिहास में पहली बार झूठा और मक्कार प्रधानमंत्री

नरेन्द्र मोदी देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री हैं, जिसने खुलेआम यह घोषणा किया है कि वह अमीरों और कॉरपोरेट घरानों की हिफाजत करता है.

70 साल के इतिहास में नरेन्द्र मोदी भारत के पहले ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने हैं, जिनका सब कुछ न केवल अजूबा है वरन् आश्चर्य की हद तक निर्लज्ज भी है. यह न केवल अनपढ़ ही है, वरन् ताल ठोक के अपनी अनपढ़ता और मूर्खता का सरेआम प्रदर्शन भी करते हैं. जब नरेन्द्र मोदी सरेआम यह घोषणा करते हैं कि नाली के गंदे पानी के दुर्गंध से निकली गैस से एक चायवाला चाय बनाता है और लोगों को पिलाता भी है, तो विज्ञान अपना सर पीटने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता. देश तो दूर अब विदेशों में भी मोदी के अनपढ़ता और मूर्खता का ढोल बजने लगा है.




आईये, नरेन्द्र मोदी के अजूबे और निर्लज्जता के कुछ नमूनों को देखते हैं, जो इससे पहले कभी भी देश में न तो सुना गया और न ही देखा गया है :

    •  पेट्रोल-डीजलों के दाम में बेहिसाब बढ़ोतरी के बाद भी विकास का नायाब ढोल.
    • डॉलर की कीमतें 75 रूपये तक छू लेने वाला कार्यकाल.
    • रातोंरात नोटबंदी जैसे घातक निर्णय लेकर देश को 70 साल पीछे ढकेलने वाले पहले प्रधानमंत्री.
    • नोटबंदी के दौरान 50 दिन में 125 झूठ बोलने वाले पहले प्रधानमंत्री.
    • 520 मिलियन डॉलर के राफेल विमान को 1644 मिलियन डॉलर में खरीदने वाले पहले प्रधानमंत्री.
    • रॉफेल विमान के इस महाघोटाले पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को प्रोटोकॉल तोड़कर मिलना और उसे धमका कर क्लीनचीट लेने वाले पहले प्रधानमंत्री.
    • पूरे अफरातफरी में जीएसटी जैसे काले कानून को दोगूने टैक्सों के साथ लागू करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री.
    • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बतौर गाली देने वाला पहला मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी.




    • एफडीआई, आधार कार्ड, जीएसटी का विरोध करने वाला मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनते ही जबरन लागू करने वाला पहला प्रधानमंत्री.
    • भारत का पहला ऐसा प्रधानमंत्री जिसके बातों की कोई विश्वसनीयता नहीं है, उसकी हर बातें जुमला है.
    • प्रधानमंत्री के बतौर मोदी पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिसका कार्य विदेशों में घूमना और देश में चुनावी प्रचार करना ही है.
    • मोदी के कार्यकाल में भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट का चार जजों का देश के नाम प्रेस विज्ञप्ति जारी करना और यह कहना कि ‘लोकतंत्र खतरे में है’.
    • जनता के टैक्स से जमा पैसा से मीडिया को खरीदकर अपना जरखरीद गुलाम बना लेना.
    • देश के इतिहास में पहली बार देश के प्रगतिशील बुद्धिजीवियों की गोली चला कर खुलेआम हत्या करना और उसे जेल में बंद करना. हत्यारों को बजाय जेल में बंद करना के उसका मंहिमामंडित करना.
    • देश के इतिहास में पहली बार नरेन्द्र मोदी का विरोध करना देश का विरोध करना माना जा रहा है.




    • नरेन्द्र मोदी देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री हैं, जिसने खुलेआम यह घोषणा किया है कि वह अमीरों और कॉरपोरेट घरानों की हिफाजत करता है.
    • नरेन्द्र मोदी देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री हैं, जिसने देश के शिक्षण संस्थानों को बर्बाद कर दिया है और छात्रों को या तो जेल में देशद्रोही के आरोप में बंद कर दिया अथवा उसकी हत्या ही करवा दिया है.
    • नरेन्द्र मोदी देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री बना है जिसने खुलेआम दलितों, आदिवासियों, स्त्रियों, अल्पसंख्यकों पर हमले करवाये और हमलावरों को महिमामंडित करवाया.
    • नरेन्द्र मोदी देश का पहला प्रधानमंत्री है जिसने प्रधानमंत्री जैसे पदों की गरिमा का इस्तेमाल अपने राजशाही भोग-विलास हेतु किया है.
    • सीबीआई जैसी संस्थानों को पालतू बना कर उसके प्रतिष्ठा से खिलवाड़ करने वाला देश का पहला प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी.
    • चुनाव आयोग जैसी संस्था जिस पर देश के लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाना होता है, के पदों पर अपने जरखरीद गुलाम बिठाकर पूरे लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली को ही अविश्वसनीयता की हद तक पहुंचा दिया.




  • देश के शिक्षण संस्थानों के शीर्ष पर आरएसएस के एजेंट बैठाना.
  • देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने वाला आरबीआई को और ज्यादा लूटने में बाधक बने अपने ही दलाल उर्जित पटेल को बाहर का रास्ता दिखा दिया और उसकी जगह एक दलाल आईएसएस को गवर्नर पद पर बिठा दिया, यह भी देश के इतिहास में पहली बार हुआ है.

उपरोक्त कुछ उदाहरण मात्र भर है. असल में नरेन्द्र मोदी का आपराधिक इतिहास इस देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर दिया है. इस देश की तमाम संवैधानिक संस्थानों में या तो अपने पालतू गुंडों को बिठा दिया है अथवा उसे डरा दिया है, चाहे वह संस्थान सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था ही क्यों न हो.

अब यह देश की जनता के हाथों में है कि यह देश और उसके देशवासी बचेंगे अथवा देश एक बार फिर गुलामी की नई जंजीरों को पहन लेगी.




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