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कांग्रेस और भाजपा एक सिक्के के दो पहलू

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कांग्रेस और भाजपा एक सिक्के के दो पहलू

कांग्रेस, आरएसएस का अपना पुराना घर है. कांग्रेस, आरएसएस का पहला प्यार है. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पहला प्यार कभी भूलता नहीं है. भारतीय राजनीति में पर्दे के पीछे रहते हुए आरएसएस हमेशा अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाया है.

अपने पुराने और नये घर या प्रेम के जरिए संघ अपने राजनीतिक हस्तक्षेप को छुपाते हुए सांस्कृतिक संगठन के रूप में अपने आप को बनाये रखा. किसी को यह बात हजम नहीं हो रहा है,तो उनके लिए एक उदाहरण पेश कर रहा हूं.




बात 1983 की बात है. जम्मू-कश्मीर की विधानसभा चुनाव में भाजपा की बुरी तरह से पराजय हुई थी, जबकि भाजपा ने काफी मिहनत की थी. दावे भी जबरदस्त ठोंकी थी. मीडिया व राजनीतिक हलकों में भी यही चर्चा थी क्योंकि हिन्दू एजेंडे पर जबरदस्त काम हुआ था. ध्रुवीकरण की राजनीति भाजपा की ओर झुकी थी किंतु परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जारी हुआ. अप्रत्याशित जीत कांग्रेस की हुई. भाजपा की जबरदस्त हार हुई. इसी संदर्भ में भाजपा के उस समय के सिद्धांतकार के. आर. मलकानी ने प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा हार गई है किंतु हमारी विचारधारा की जीत हुई है. यही बात मलकानी जी के मायने समझने की जरूरत है.

उनके बातों से स्पष्ट है कि कांग्रेस उनकी विचारधारा को माननेवाली पार्टी है.  कांग्रेस और भाजपा एक सिक्के के दो पहलू हैं. यह बात जितनी आज स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है अथवा समझ में आ रहा है, उतना कभी भी शायद ही दिखाई दिया अथवा समझ में आया होगा.




मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में भाजपा या संघ जैसा बनकर उससे टक्कर लेने की सोच का उल्लेख करके उक्त बातें सिद्ध कर दी है. इससे यह बात भी सही प्रतीत होती है कि आज आर्थिक रूप से संकटग्रस्त भारत के मुट्ठीभर बड़े पूंजीपतियों को हिंदुत्व, दंगा-फसाद, जनता को आपस में बांटनेवाली और जुमलेबाजी करनेवाली सोच या विचार धारा की ही पार्टी की सख्त अत्यधिक जरूरत है.

कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में आध्यात्मिक विभाग बनाने, गो-संवर्धन करने और राम वन गमन पथ निर्मित करने का वादा किया है अर्थात् कांग्रेस-भाजपा एक ही हैं और पूंजीपतियों द्वारा उत्पन्न आर्थिक संकट से और इससे उत्पन्न जनता के कोपभाजन से पूंजीपतियों की हित साधक राजसत्ता को बचाने के लिए लोकतंत्र का खोल ओढ़कर छुपा रुस्तम बनके पक्ष-विपक्ष का खेल खेल रहे हैं.




जब भी भाजपा और मोदी सरकार कहीं फंसती है, तो पहले कांग्रेस को राजनीतिक रूप से प्रधान दुश्मन के तौर पर पेश करते हुए कांग्रेस को सामने रखकर उस पर दोष थोप देती है.

दूसरे, ओवैसी साहब को सामने करके बयानबाजी शुरू कर देती है जबकि ओवैसी साहब भारतीय मुसलमानों के एक मात्र प्रतिनिधि नहीं है. उन्हें बेहतर मुस्लिम प्रतिनिधि तो जम्मू-कश्मीर के नेता हैं, जिसके पास सांसदों विधायकों का जमावड़ा है.




तीसरे, भाजपा व मोदी सरकार कांग्रेस की पूर्व नीति पर चलते हुए पाकिस्तान एवं आतंकवाद को देशवासियों के सामने खड़ा करने उनको कसूरवार बताकर अपना पिंड छुड़ाने में कामयाब हो जाती हैं.

भाजपा को आईने के सामने खड़ा कर दीजिए और आईने में उसकी दिखाई देनेवाली छवि कांग्रेस पार्टी है, आज यह समझना जरूरी है.

  • विनोद सुखद





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भाजपा और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू
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