जोधा अकबर आई ! राजपूत संस्थाएं उग्र हो उठी ! फिर लेन-देन कर समझौता कर ली. फिल्म हिट रही. कई अवार्ड भी जीती !
अब पद्मावती आई ! राजपूत संस्थाओं की अस्मिता फिर दांव पर लग गई. कुछ ले-देकर फिर सेट हो गया सब कुछ !
क्या आपको अब भी कुछ समझ नहीं आया ? तो आप सचमुच बड़े भोले हैं और पानी को अभी भी ‘मम’ कहते हैं या आप हद दर्जे के कुटिल और दोगले हैं.
राणा सांगा, महाराणा प्रताप क्या करते रहे होंगे … अपने काल में ?
राणा के वंशज अमर सिंह ने कैसे समझौता किया होगा मुग़लों से ???????
आम राजपूतों की इतनी बहादुरी, युद्धप्रेम और रणकौशल की झंडू कहानियों के बावजूद चौहान तराइन के दूसरे युद्ध से क्यों भागा होगा जो सिरसूती में गिरफ्तार हुआ ?
बाबर के सामने राणा सांगा क्यों भाग खड़ा हुआ होगा जबकि उससे कुछ समय पहले पानीपत के युद्ध में भारत का सुल्तान इब्राहिम लोदी लड़ाई के मैदान में ही बाबर की सेना के विरुद्ध शहीद हुआ था ?
वीरता शौर्य और रणबांकुरेपन का आदर्श बताया जाता महाराणा, कमसिन शहज़ादे जहांगीर और अकबर के साले मानसिंह के समक्ष हल्दी घाटी के मैदान से अपनी सेना को मरते छोड़ चेतक पर सवार हो सरपट क्यों भाग खड़ा हुआ होगा ?
क्या बाद के भगोड़े जीवन में घास की रोटी खाने और दर्जनों विवाह करने हेतु ?
इतने महान योद्धाओं के होते हुए मुग़ल कैसे शासन करते रहे !?
बाबर और हुमायूं को छोड़ कर तकरीबन सभी मुग़ल शहज़ादे और सम्राट हिंदू राजपूत रानियों के पुत्र थे. किस बहादुर राजपूत ने अपनी पुत्रियां उस मुस्लिम शासकों को ब्याही होंगी ?
तब क्यों न तो लव जिहाद हुआ और न ही हिन्दू जनसंख्या मलेच्छों से कम हो गयी ?
जोधा अकबर, पद्मावती फ़िल्म के निर्माता की तरह उन्हें किसने, कैसे और कितने में सेट किया होगा ? आखिरकार मुग़ल किसी हिन्दू हृदय सम्राट के हटाये तो हटे ही नहीं ! अंग्रेजों के हटाये ही हटे …
मुग़लों, टीपू, तुर्कों, अफगानों, सैयदों, गुलामों, तुग़लक़ां, खिलजियों के वंशज आज कहां हैं ? कांग्रेस, भाजपा व अन्य राजनैतिक दलों में कितने लोग ऐसे सांसद, विधायक, मंत्री हैं जो उपरोक्त के वंशज हों ?
अंग्रेजों से लड़ते उनका समूल नाश कैसे हो गया ?
सिंधिया, राजपूत राजवंशों, सिक्खों, और अन्य हिन्दू राजे-रजवाड़ों के वे कौन से वंशज हैं जो गुलामो, खिलजियों, तुग़लक़ों, सैयदों, लोधियों, मुग़लों और अंग्रेज़ों से लड़ने के बावजूद आज भी विभिन्न राजनैतिक पार्टियों में अपना अस्तित्व बचाये हुए हैं ?
कुछ समझ आया बकलोल ?
इतिहास को महाकाव्य और भाट कवियों की लेखनी के अनुसार समझने की बजाय तत्कालीन consequences और परिणामों के आलोक में समझना होगा.
- फरीदी अल हसन तनवीर
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