ऑस्ट्रेलिया में होमलेस लोग भी रहते हैं. जरूरी नहीं कि जो होमलेस है वह मजबूर ही है. होमलेस होना लोगों के द्वारा अपने जीवन में चुनी गई प्राथमिकताओं के कारण भी हो सकता है. होमलेस होना लोगों के द्वारा सरकार द्वारा सुविधाओं का सवेच्छा से न लिया जाना भी हो सकता है. अरबों रुपए की संपत्तियों का वारिस भी अपनी संपत्तियों को दान करके होमलेस होने का निर्णय ले सकता है, ऐसे लोग मिलना भी अचंभे की बात नहीं.
आपको ऐसे होमलेस मिल जाएंगे जिनके पास बहुत महंगी मोटरसाइकिल या साइकिल या तिपहिया साइकिल होगी. गर्म कपड़े, गर्म स्लीपिंग सूट व बैग. किताबें भी होगीं. खाने-पीने का सामान भी होगा. किसी नदी या झील किनारे, तंबू लगाए आपको कोई व्यक्ति मोटी-मोटी किताबें पढ़ता मिल जाएगा. मालूम पड़ेगा कि वह व्यक्ति दुनिया की कई भाषाएं जानता है, हजारों किताबें पढ़ चुका है, दुनिया के कई देश घूम चुका है. वह व्यक्ति होमलेस इसलिए है क्योंकि वह अपना जीवन बाजार व मुद्रा की गदहापचीसी में नहीं लगाना चाहता है. भोजन लायक आय कर लेता है, रहने के लिए तंबू है ही या किसी पार्क में किसी शेड के नीचे अपनी व्यवस्था कर ली. आज यहां कल वहां, उन्मुक्त जीवन.
ऐसे भी होमलेस होंगे जिनके पास घर नहीं होगी लेकिन ऐसी नाव होगी, जिसमें बेडरूम होगा, टायलेट, किचेन होगा तथा नाव यात्रा भी करती होगी. यहां मैं नीदरलैंड के नाव-घरों की बात नहीं कर रहा, जो घर के रूप में पंजीकृत होते हैं. जमीन कम तथा समुद्री बाढ़ अधिक होने के कारण नीदरलैंड में लोगों ने सैकड़ों-हजारों वर्ष पूर्व स्थाई रूप से नाव-घरों में रहना शुरू किया होगा. मैं ऐसे लोगों बात कर रहा हूं जिन्होंने जीवन में चुना कि वे घर नहीं खरीदेंगे, नाव में ही रहेंगे. बहुत ऐसे लोग भी होंगे जिनकी नावों की कीमत महंगे घरों से अधिक होगी.
होमलेस लोग होमलेस क्यों हैं ? इसके अनेक कारण हो सकते हैं.
ऑस्ट्रेलिया में सरकार ने आदिवासियों के लिए आदिवासी क्षेत्रों में प्रति परिवार करोड़ों रुपए के आधुनिक सुविधाओं के साथ घर बनवा कर दिए हैं. वह अलग बात है कि आदिवासी परिवार उस घर का प्रयोग केवल टायलेट करने के लिए करें और उसी के सामने झोपड़ी या तंबू गाड़ कर रहे. आदिवासियों को बहुत सारी सुविधाएं प्राप्त हैं, साथ ही जितनी उनकी जनसंख्या है विभिन्न स्तरों पर उतना आरक्षण सरकारी नौकरियों में है.
ऑस्ट्रेलिया सरकार गैर-आदिवासी गरीब लोगों के लिए भी विभिन्न प्रकार के भत्ते व आवास सुविधाएं देती है ताकि गरीब लोग भी सम्मान व सुविधापूर्वक जीवन जी सकें.
यह फोटो ऐसे ही एक परिसर की है, जहां गरीब लोग रहते हैं. यदि मूलभूत सुविधाओं की बात की जाए तो भारत के तीन सितारा होटलों से कम नहीं.
ऐसे परिसर मुख्य रिहाइशी इलाकों में ही बनाए जाते हैं, न कि दूर-दराज व अलग-थलग इलाकों में. यदि आपको बताया न जाए तो देख कर अंदाजा नहीं लग सकता कि यह परिसर गरीबों के लिए सरकारी योजना के तहत बने आवास हैं.
- सामाजिक यायावर
Read Also –
ढोंग : हम व हमारे समाज की बेहद बीमार मानसिकता
दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति भूखमरी, गरीबी व बीमारी से पीड़ित देश के साथ सबसे बड़े भद्दे मजाक का प्रतीक है
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]
[ लगातार आर्थिक संकट से जूझ रहे प्रतिभा एक डायरी को जन-सहयोग की आवश्यकता है. अपने शुभचिंतकों से अनुरोध है कि वे यथासंभव आर्थिक सहयोग हेतु कदम बढ़ायें. ]