ब्रिक्स के साथी ब्राजील में इस बार का कड़वाहट भरा, तीखा और हिंसाग्रस्त चुनावी अभियान उससे भी ज्यादा कड़वाहट भरे, तीखे और खुलेआम हिंसा की वकालत करने वाले राष्ट्रपति जैर बोल्सोनारो के चुनाव के साथ समाप्त हुआ. बोल्सोनारो को पिछले महीने, 6 सितंबर को चुनावी माहौल की जबर्दस्त गर्माहट के बीच पेट में चाकू मारा गया, जिससे उनके लीवर, आंतों और फेफड़े को नुकसान पहुंचा. उसके बाद उन्होंने किसी चुनावी बहस में हिस्सा नहीं लिया और अपना चुनाव प्रचार घर से ही संचालित किया. यह लगभग व्यक्तिगत अभियान था और इसके लिए उन्होंने हर दिन अपने यू-ट्यूब चैनल की मदद ली, जिसके 56 लाख से ज्यादा नियमित दर्शक हैं.
यह सब हीरोइज्म एक तरफ और यह सच्चाई दूसरी तरफ कि जैर बोल्सोनारो पिछले 27 वर्षों से ब्राजील के सांसद हैं और अपने घोर कम्युनिस्ट विरोधी, समलैंगिकता विरोधी और रंगभेदी विचारों के बल पर संसद के चुनाव सात बार जीत चुके हैं. अभी तीन साल पहले उन्होंने 2003 में एक वामपंथी महिला सांसद के खिलाफ दिए गए बयान की संसद में व्याख्या इस रूप में की कि ‘तुम तो बलात्कार करने लायक भी नहीं हो.’ अपने भाषणों में वे अक्सर हाथ की उंगलियों से पिस्तौल की आकृति बनाते हैं और अपराधियों को, खासकर वामपंथी अपराधियों को सड़क पर ही घेर कर मार देने की वकालत करते हैं. समलैंगिकों के बारे में उन्होंने एक बार कहा कि ‘उनका कोई बेटा अगर यह रास्ता पकड़ ले तो वे उसे मौत की नींद सुलाना ज्यादा पसंद करेंगे.’
जैर बोल्सोनारो की उम्र 63 साल है. 1985 में ब्राजील एक लंबी सैनिक तानाशाही से आजाद होकर लोकतंत्र बनने की ओर बढ़ा, तब वे खुद एक फौजी थे. उस समय बाकायदा अखबार में लेख लिखकर उन्होंने कहा था कि ब्राजीली फौजियों की तनख्वाह बहुत कम है, इसे इतना तो बढ़ाया ही जाना चाहिए कि वे अपने परिवार के साथ एक स्तरीय जीवन जी सकें. उनके अफसरान इस लेख का बहुत बुरा मान गए. तत्काल उनकी गिरफ्तारी हुई और उन पर आरोप लगाया गया कि तनख्वाह बढ़वाने के लिए वे फौजी ठिकानों पर बम लगाकर फौजी अफसरों को मारने की तैयारी कर रहे थे. लंबी मुकदमेबाजी में उनकी नौकरी तो नहीं बची लेकिन रिहाई हो गई और ब्राजीली फौज के निचले दायरे में उनकी अच्छी फैन-फॉलोइंग भी बन गई.
आश्चर्यजनक रूप से तब से लेकर अब तक वे लगातार लोकतंत्र की आलोचना और फौजी तानाशाही की वापसी की वकालत करते आ रहे हैं और इस दौरान कुछ दिन नगर पार्षद और काफी समय तक सांसद भी रह चुके हैं. गनीमत है कि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने लोकतंत्र के पक्ष में अपनी राय जाहिर की है और कहा है कि इस पद पर रहते हुए वे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेंगे !
उनकी इतनी बड़ी कामयाबी के लिए सबसे ज्यादा ब्राजील की उदार-वाम राजनीति जिम्मेदार है, जिसकी मुख्य शक्ति वर्कर्स पार्टी की सरकार पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार में लिथड़ी हुई पाई गई है. और इससे भी बुरी बात यह कि बेरोजगारी दूर करने और अपराध से लड़ने के नाम पर बातें बनाने से ज्यादा वह कुछ भी नहीं कर पाई है. यह भी दिलचस्प है कि फुटबॉल विश्व कप और ओलिंपिक के आयोजन के लिए दुनिया के लगभग सारे देश तरसते हैं, लेकिन ब्राजील के लिबरल सत्ताधीशों के लिए ये दोनों आयोजन आत्मघाती सिद्ध हुए.
ब्राजील के चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि अस्सी के दशक से ही मोटे तौर पर वामपंथी रुझान दिखाने वाले लैटिन अमेरिका में धार तेजी से पलटती हुई दक्षिणपंथी रुख अख्तियार कर रही है. और यह दक्षिणपंथ उस तरह का नहीं है, जैसा हम पिछले तीसेक वर्षों में देखते आ रहे हैं. जैर बोल्सोनारो न सिर्फ खुद लोकतंत्र की जगह सैनिक तानाशाही का समर्थन करते रहे हैं, बल्कि उन्होंने पिनोशे जैेसे जघन्य सैनिक तानाशाहों का गुणगान किया है.
ध्यान रहे, समूचे दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में और उससे बाहर के लैटिन अमेरिकी इलाकों में भी ब्राजील सबसे बड़ा, अमीर और अधिक आबादी वाला देश है. इस लिहाज से उसकी भूमिका इलाके की राजनीतिक-कूटनीतिक धुरी जैसी है और इसकी नई राजनीति का असर भी व्यापक होना तय है.
पूरी दुनिया में नया दक्षिणपंथ अभी तक के दक्षिणपंथी राजनीतिक व्याकरण को खारिज करता हुआ आगे बढ़ रहा है. वह चाहे संयुक्त राज्य अमेरिका के डॉनल्ड ट्रंप हों या रूस के पूतिन या फिलीपींस के एदुआर्द दुतार्त या फिर तुर्की के अर्दुगान, इनमें से किसी को विपक्ष, बहस, परंपरा, मर्यादा, यहां तक कि संसद से भी कोई मोह नहीं है. मार डालो, काट डालो इस उदीयमान राजनीतिक धारा की आम भाषा है. हम चाहें तो इसके उभार को पिछली मंदी का नतीजा भी कह सकते हैं, जिसने उदार राजनीति के अलावा लोकतंत्र के झीने पर्दे को भी तार-तार कर दिया है.
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