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नोटबंदी से सजा नकली नोटों का बाजार

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नोटबंदी से सजा नकली नोटों का बाजार

देश में 8 नवंबर को नोटबंदी का फैसला लागू होने के बाद 500 और 2000 रुपये के नए नोट बाजार में लाए गए. लेकिन इसके कुछ वक्त बाद ही देश के अलग-अलग हिस्सों से 5 सौ और 2 हजार रुपये के नकली नोटों की खेप पकड़ी जाने लगी. आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, दो हजार रुपये मूल्य वर्ग में नकली नोटों की संख्या में 28 गुना इजाफा हुआ है तो 500 रुपये के मूल्य वर्ग में करीब 50 गुना. बुधवार को सामने आई रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट ने मोदी सरकार के कई दावों पर पानी फेर दिया है. कालेधन के मामले के साथ-साथ नकली मुद्रा पर भी आरबीआई ने कई तथ्य पेश किये हैं.

केंद्रीय बैंक ने बताया है कि नोटबंदी के दौरान 15.44 लाख करोड़ रुपए के नोटों पर प्रतिबन्ध लगाया गया था. इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपए बैंकों में वापस आ चुके हैं. मतलब केवल 13000 करोड़ रुपए ही बैंकों में वापस नहीं आ सके, यानि की प्रतिबन्ध किए गए नोटों के 1 प्रतिशत से भी कम. नोटबंदी के दौरान बंद किये गए 500 और 1000 रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट वापस आ गए हैं.



प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया था कि नोटबंदी से नकली मुद्रा का धंधा चौपट हो जाएगा. वहीं आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नए नोटों में नकली नोटों की संख्या तेजी से बढ़ी ही है. पिछले सालों के मुकाबले देश में वर्ष 2017-18 के वित्तीय वर्ष में छोटे मूल्य वर्ग के नकली नोट भी बेतहाशा बढ़े हैं. हालांकि आरबीआइ ने इस वर्ष नए नोटों में नए सुरक्षा फीचर का हवाला दिया है लेकिन नकली नोटों में नए मूल्य वर्ग की संख्या वृद्धि डरा रही है. दो हजार रुपये मूल्य वर्ग में नकली नोटों की संख्या में 28 गुना इजाफा हुआ है तो 500 रुपये के मूल्य वर्ग में करीब 50 गुना. 100 रुपये के जाली नोट की पहचान में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 50 रुपये का जाली नोट 154.3 फीसदी बढ़ा है.





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