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मौत के भय से कांपते मोदी को आत्महत्या कर लेना चाहिए ?

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मौत के भय से कांपते मोदी को आत्महत्या कर लेना चाहिए ?

देश की सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, देश की किसी भी एजेंसी को पूर्व सूचना तक नहीं मिल सकी. उनके सुयोग्य पुत्र एवं प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बम से हत्या कर दी गई और देश की किसी भी एजेंसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. परन्तु नरसंहार कर देश का प्रधानमंत्री बनने वाले हत्यारे नरेन्द्र मोदी आये दिन ‘‘मौत’’ के खौफ में रह रहे हैं. आये दिन कभी आतंकवादी तो कभी माओवादी उनकी ‘‘हत्या’’ की सुपारी लिये फिरते हैं. यहां तक कि वे इसके लिए वकायदा चिट्ठी लिख कर कभी तकिये के नीचे रखकर सो जाते हैं तो कभी ई-मेल से मेल करते हैं.

बेहद शर्मनाक है एक देश के ‘‘प्रधानमंत्री’’ का इस तरह भयभीत होकर जीना और देशवासियों को इस ‘‘अपराध’’ के नाम पर गिरफ्तार कर जेल में डालना. क्या यह बेहतर नहीं होता कि मौत के भय से कांपते प्रधानमंत्री नरेन्द्र को देश की सत्ता छोड़ देनी चाहिए अथवा देश के किसानों की भांति उन्हें भी किसी पेड़ पर रस्सी डालकर फांसी लगा लेना चाहिए ?

मोदी की हत्या के सुपारी का ताजा मामला एक ई-मेल से आया है, जिसे संभवतः आसाम से आया माना जा रहा है. खुफिया विभाग फिर किसी निर्दोष को फंसा कर जेल में डालेगी. आखिर क्यों कोई इस सनकी-हत्यारे मोदी की हत्या करना चाहेगा, जबकि सारा देश यह जान रहा है कि मोदी अब दुबारा प्रधानमंत्री बनने नहीं जा रहे हैं ?

असली बात यह है कि कोई भी मोदी की हत्या करने नहीं जा रहा है. अगर मोदी की हत्या होती भी है तो इनकी हत्या केवल आरएसएस ही कर अथवा करवा सकती है, ताकि मोदी की हत्या के बहाने मिले सांत्वना वोट के नाम पर एक बार फिर से भाजपा सत्ता पर काबिज हो सके और कंगाल हो चुके देश का खून एक बार फिर पी सके. आरएसएस के अलावे और किसी को मोदी की हत्या करने में दिलचस्पी नहीं है. इसका कारण यह है कि भाजपा का दुनिया की तमाम आतंकवादी संस्थानों के साथ न केवल शानदार संबंध ही है बल्कि वह भाजपा की हर संभव सहायता भी करता है. पाकिस्तान के नाम पर देश की जनता को डराने वाले मोदी आये दिन पाकिस्तान की यात्रा करते रहते हैं, बिरयानी खाते रहते हैं. पाकिस्तान की आईएसआई जैसी जासूसी संस्थानों के साथ भाजपा और आरएसएस के न केवल मैत्री संबंध ही हैं, वरन् यह उसके लिए देश और सेना की जासूसी भी करते हैं. उसके गोपानीय जानकारी मुहैय्या भी कराते हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि कौन मोदी जैसी निहायत बेवकूफ और सनकी प्रधानमंत्री की हत्या कराना चाहता है ? सीधा जबाव है आरएसएस. क्यों ? इसका भी सीधा जबाव है देश की जनता मोदी से उब चुकी है. उसकी बेवकूफाना हरकतें इस कदर दिन की रोशनी की तरह साफ हो गई है कि उसे अब देश की जनता से छिपाना संभव नहीं रह गया है. 23 लाख करोड़ रूपये की सलाना बजट वाले इस देश में 14 लाख करोड़ रूपये देश के चंद अंबानी-अदानी जैसी कॉरपोरेट घरानों की सेवा में दान कर चुके हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो गई है.. भूख से मरते देश के नौनिहालों, आत्महत्या करते किसान, बेरोजगार तो छोड़िये रोजगार प्राप्त युवा बेरोजगार हो चुके हैं. उद्योग-कारखाने-व्यवसाय ठप्प पड़ चुका है. रूपये की ढहती कीमतें, देश भर में पेट्रोल-डीजल संग-संग आसमान छूती मंहगाई आज किसी डायन से कम नहीं है.




महज 5 साल में देश को भूखमरों के 51वीं लिस्ट से धकेलकर 103वीं रैंक में ला चुकी मोदी सरकार देश-विदेश सर्वत्र लुच्चे-लंपटों के रूप में कुख्यात हो चुकी है. ऐसे में 2019 ई. की होने वाली लोकसभा के चुनाव में केवल मोदी की हत्या का ड्रामा ही भाजपा को देश की सत्ता पर बिठा सकता है. यही कारण है कि बार-बार देश में मोदी की ‘‘हत्या’’ के नाम पर देशवासियों को गुमराह किया जा रहा है ताकि देश की भावुक जनता से सहानुभूति हासिल कर सके.

परन्तु एक यह सच है कि देश में जिस प्रकार मोदी की नाकाबिलयत का चितेरा पूरी तरह साफ हो चुका है, मोदी की हत्या के ड्रामा को कौन कहे, अगर आरएसएस उनकी हत्या कर भी दे तब भी भाजपा देश की सत्ता पर आने वाली नहीं है. अब यह दिन के उजाले की भांति स्पष्ट हो चुका है, चाहे कितने मौत के ड्रामा क्यों न कर लें. इतिहास गवाह है कुख्यात हिटलर की मौत भी लोगों के दिलों में उसके प्रति संवेदना न जगा सकी थी.





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