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इतिहास बनाम इतिहास मिटाने का कुचक्र

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इतिहास बनाम इतिहास मिटाने का कुचक्र
बीजेपी और सोशल मीडिया पर बैठाये गये उनके पहरूओं ने जिस प्रकार देश के इतिहास और भूगोल पर सवालिया निशान लगाने का एक अभियान छेड़ रखा है, वह कहीं न कहीं देश को अराजकता और अंधकार की ओर घसीट कर ले जाने का एक दुष्चक्र के सिवा और कुछ नहीं है. बीजेपी शासन ने सत्ता पर आते ही पहला जो काम किया वह था अपने पिछले इतिहास को एकदम से मिटा देना या फिर पलट देना, और इसके लिए वह भरसक प्रयत्न किया. यह कुछ इसी प्रकार किया गया था जैसे एक समय चीन का एक राजा अपने आगमन के पूर्व के सारे इतिहास को मिटा डालने के लिए पूरे-के-पूरे पुस्तकालयों, विश्वद्यिालयों और पूर्व विद्वानों की लिखित साहित्यों को आग के हवाले कर दिया था और विश्व इतिहास को खुद के बाद से ही लिखा मानने के लिए लोगों को बाध्य करने लगा. शायद इसी तरह की धारणा बीजेपी ने भी अपने बारे में पाल रखी है. शायद इसी दंभ के कारण वह खुलेआम घोषणा कर रही है कि “70 साल तक देश में कुछ भी नहीं हुआ. केवल भ्रष्टाचार हुआ”, आदि-आदि.

वर्तमान परिप्रक्ष्य में हालत यह हो गई है कि वाम दलों को आपसी गुटबाजी से ही फुर्सत नहीं है और जागरूक जनता हताशा से दो-चार होकर आत्महत्या का सरल मार्ग चुन रही है. ऐसे में एक बार जोखिम उठाते हुए यह देखना जरूरी है कि क्या वास्तव में देश में बीजेपी के कथनानुसार कोई विकास नहीं हुआ ? भगत सिंह और आजाद के द्वारा सृजित की गई कुर्बानी ने कोई रंग नहीं लाया ? हलांकि इस साथ ही यह स्पष्टीकरण भी कहीं न कहीं जरूरी लग रहा है कि मैं पूर्व के कालों की कोई तारीफ नहीं कर रहा और न हीं इस बात के समर्थन में ही हूं कि उन कालों में अन्याय और अत्याचार नहीं हुए है, पर एक तुलना तो जरूरी हो जाता है.

1947 में देश में सुई तक नहीं बनती थी. सारा देश राजा-रजवाड़ों के झगड़ों में बंटा हुआ था. देश के मात्र पचास गाँवों में बिजली थी. पूरे राजस्थान में मात्र बीस राजाओं के महल में फोन था. किसी गाँव में नल नहीं थे. पूरे देश में मात्र दस बाँध थे. सीमाओं पर मात्र कुछ सेनिक थे. चार विमान थे, बीस टैंक थे. देश की सीमाएँ चारों तरफ से खुली थी. खजाना खाली था. ऐसी बदहाली की हालत में हमारा देश था.

इन साठ सालों में कोंग्रेस ने हिंदुस्तान में विश्व की सबसे बड़ी ताकत वाली सैन्य शक्ति तैयार की. हजारों विमान-हजारों टैंक-लाखों फैक्ट्रीयां, लाखों गाँवों में बिजली, हजारों बाँध, लाखों किलोमीटर सड़कों का निर्माण, हर हाथ में फोन-हर घर में मोटर साईकिल वाला मजबूत देश साठ साल में बना कर दिया है देश ने.

भारत ने पिछले 60 सालों में तरक्की भी बहुत की है और भूतपूर्व प्रधानमंत्रियों ने कई इतिहास रच दिए हैं जिसकी वजह से भारत आज एशिया की दूसरी सब से बड़ी ताकत के तौर पहचानी जाती है.

इसके अलावा भारत एशियाई खेलों की मेजबानी कर चुका है. भारत में भाखड़ा और रिहंद जैसे बाँध बन चुके है. देश भामा न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर का उद्घाटन कर चुका है. देश में तारापुर परमाणु बिजली घर शुरू हो चुका है. देश में कई दर्जन AIIMS, IIT, IIMS और सैकड़ों विश्वविद्यालय खुल चुके है. नेहरु ने नवरत्न कम्पनियाँ स्थापित कर दी थी. कई सालों पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को लाहौर के अंदर तक घुसकर मारा था और लाहौर पर कब्जा कर लिया था. पंडित नेहरु पुर्तगाल से जीत कर गोवा को भारत में मिला चुके हैं. नेहरु जी ने ISR0 – (Indian Space Research Organization) की शुरुआत कर दी थी. भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत हो चुकी है. देश में उद्योगों का जाल बिछ चुका है. इंदिरा जी पाकिस्तान के दो टुकड़े कर चुकी और पाकिस्तान 1 लाख सैनिकों और कमांडरों के साथ भारत को सरेंडर कर चुका था. भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो चूका है. इंदिरा जी ने सिक्किम को देश में जोड़ लिया है. देश अनाज के बारे में आत्मनिर्भर हो गया था. भारत हवाई जहाज और हेलीकाप्टर बनाने लगा था. राजीव गाँधी ने देश के घर घर में टी.वी. पहुंचा दिया था. देश में सुपर कम्प्यूटर, टेलीविजन और सुचना क्रांति ( Information Technology) पूरे भारत में स्थापित हो चुका था. जब मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तब तक भारत सर्वाधिक विदेशी मुद्रा के कोष वाले प्रथम 10 राष्ट्रों में शामिल हो चुका था. इनके अलावा … चन्द्र यान, मंगल मिशन, GSLV, मेट्रो, मोनो रेल, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, न्यूक्लियर पनडुब्बी, ढ़ेरों मिसाइल – पृथ्वी, अग्नि, नाग आदि, दर्जनों परमाणु सयंत्र, चेतक हेलीकाप्टर, मिग, तेजस, ड्रोन, अर्जुन टैंक, धनुष तोप, मिसाइल युक्त विमान, आई एन एस विक्रांत विमान वाहक पोत. ये सब उपलब्धियां देश ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पहले हासिल कर ली थी.

इतना सब कुछ के बाद भी जब प्रधानमंत्री पद पर बैठे मोदी को लगता है कि पिछले 70 सालों में देश में कोई भी विकास नहीं हुआ और नोटबंदी, गाय, गोबर, गौ-मुत्र, देशभक्त, जय श्री राम, स्वदेशी के नाम पर लूट-खसोट, सैनिक आदि के नाम की आड़ लेकर जिस प्रकार बड़े भ्रष्ट औद्यौगिक घरानों के गोद में बैठकर जनता के हितों के खिलाफ दिन-रात षड्यंत्र रच रहे हैं और जनता की आखिरी कमाई तक पर जिस प्रकार की गिद्ध नजर डाली हुई है. मरते लोगों पर जिस तरह मजाक गढ़े जा रहे हैं. उजड़ते किसानों पर कहकहे लगाये जा रहे हैं इन सब चीजों ने फिर से हमारे पुराने प्रधानमंत्री के कामों की याद दिला दी है, जिसे मिटाने की जी-तोड़ कोशिश में बीजेपी और उनके अंधभक्त मीडिया और सोेशल मीडिया पर अपने सड़ांध फैला रहे हैं, तब एक बार यह सोचने के लिए मजबूर होना पड़ता है कि क्या भारत के ये प्रधानमंत्री मोदी, देश के प्रधानमंत्री हैं, अथवा किसी कॉरपोरेट घरानों का रखैल !

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