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अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडशिप-डे के जन्मदाताः महान फ्रेडरिक एंगेल्स

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अन्तर्राष्ट्रीय फ्रेंडशिप-डे के जन्मदाताः महान फ्रेडरिक एंगेल्स
एंगेल्स और मार्क्स की महान मित्रता

मित्रता दिवस आज तुम भी मना रहे हो. जान लो इसकी शुरुआत कैसे हुई ! एक वामपंथी की मित्रता को आज पूरी दुनिया सलाम कर रही है और इस दिन को मित्रता दिवस के दिन दक्षिणपंथी भी मना रहे हैं ! एक अंतरराष्ट्रीय त्योहार वामपंथी ने दिया मित्रता दिवस !

फ्रेडरिक एंगेल्स का ‘स्मृति दिवस’ (5 अगस्त) पूरी दुनिया में ‘मित्रता दिवस’ के रूप में विख्यात है. एंगेल्स और मार्क्स की मित्रता काे ऐसे ही समझा जा सकता है कि एक का नाम लेते ही दूसरे की छवि आंंखाें में उभर आती है. मज़दूर वर्ग की मुक्ति का दर्शन खाेजने वाले, हर तरह के शाेषण काे जड़ से ख़त्म कर न्याय व समता पर टिके समाज के निर्माण का वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत करने वाले इन दाेनाें क्रान्तिकारियाें की मित्रता की ज्याेति आज भी सच्चे क्रान्तिकारियाें के दिलाें में जल रही है.

अपने निजी सुख, लाभ, मन बहलाने के लिए मित्रता नहीं ! एक दूसरे के लिए सब कुछ त्याग कर देने की मित्रता, उसूलाें की मित्रता, शाेषण विहीन समाज के लिए अपना सब कुछ न्याैछावर कर देने की मित्रता, कांंच की तरह पारदर्शिता वाली मित्रता ! एंगेल्स और मार्क्स की मित्रता ने ‘मित्रता’ शब्द काे वास्तविक अर्थ प्रदान किया. आज कॉमरेड शब्द वामपन्थी हाेने का पर्याय बन गया है जबकि ‘कॉमरेड’ का मतलब ‘साथी’ हाेता है. चूंकि सच्चे कम्युनिस्ट ही सबसे सच्ची मित्रता निभा सकते हैं इसलिए ऐसा हाेना अस्वाभाविक नहीं है. सच्ची मित्रता के लिए सच्ची समानता का भाव अनिवार्य शर्त है. इसलिए उत्पीड़िताें काे मुक्ति का विज्ञान देने वाले ये क्रान्तिकारी मित्र “महात्मा”, “साहब”, या “भगवान” के रूप में नहीं जाने जाते बल्कि अधिक से अधिक ‘फ्रेंड फिलॉस्फर गाइड’ के रूप में वाे मज़दूर वर्ग क्रान्तिकारी प्रतिनिधियाें के बीच में जाने जाते हैं.

एंगेल्स ख़ुद दर्शन, गणित, विज्ञान, इतिहास, सैन्य विज्ञान के महारथी थे. उनकी लिखी किताबाें में ‘परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति’, ड्यूहरिंग मत-खण्डन, वानर से नर बनने में श्रम की भूमिका जैसे विश्व प्रसिद्ध क्लासिकीय रचनायें हैं. लेकिन मार्क्स की प्रतिभा काे वे समझते थे. मार्क्स के काम में वित्त आड़े न आने पाये इसके लिए अपनी गहरी नापसन्दगी के बावजूद अपने पारिवारिक व्यवसाय में उन्हाेंने काफी समय तक हिस्सा लिया.

एंगेल्स कहते हैं कि- ‘मैं उतना और किसी चीज के लिए लालायित नहीं हूं जितना कि इस निकम्मी व्यवसाय से मुक्त होने के लिए, जो समय की बर्बादी करने के साथ मुझे निरुत्साहित भी कर रहा है. जब तक मैं इस व्यवसाय में हूं तब तक मैं हर काम के लिए बेकार हूं.’

लेकिन उनकी चिंता यह थी कि 2 वर्षों के बाद वह व्यवसाय छोड़ देंगे और तब मार्क्स के लिए वह क्या करेंगे ? यहां उनका अदम्य आशावादी रूप उभर कर आता है, वह आगे कहते हैं- ‘इसी बीच शायद क्रान्ति भी आ जाए और सब वित्तीय परियोजनाओं का अंत कर दे.’ मार्क्स ने लिखा- ‘तुम्हारे बिना मेरी यह पुस्तक (पूंजी) कभी पूरी नहीं होती और मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं कि मेरे दिमाग पर पहाड़ के समान बाेझ बना रहा है कि मेरे कारण तुमने अपनी महान शक्तियों को वाणिज्य में बर्बाद होने और जंग लगने दिया.’

16 अगस्त 1867 को मार्क्स ने अपनी महान कृति के पहले खंड के अंतिम पन्नों का प्रूफ़ शुद्ध किया और उसी दिन एंगेल्स को लिखा –

‘प्रिय फ्रेड,

‘अभी-अभी अंतिम पन्ना शुद्ध किया है. परिशिष्ट -मूल्य के रूप-छोटी छपाई में सवा सीट होगा.

‘भूमिका कल शुद्ध कर ली थी और वापस भेज दी थी. इस तरह यह खंड समाप्त हुआ. सिर्फ तुम्हारे कारण यह संभव हो सका. मेरे लिए तुम्हारा आत्मबलिदान ना होता तो मैं तीन खंडों वाली यह वृहद कृति कभी पूरा नहीं कर सकता था. हार्दिक धन्यवाद देते हुए मैं तुम्हारा आलिंगन करता हूं.’

मित्रता दिवस के अवसर पर मित्रता दिवस के जनक फ्रेडरिक एंगेल्स के स्मृति दिवस पर फ्रेडरिक एंगेल्स को भावभीनी श्रद्धांजलि.

– संजय श्याम की ओर से प्रेषित

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मार्क्स की 200वीं जयंती के अवसर पर

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