तीन मिनट की जुम्मे की नमाज़ को सड़क, पार्क और सार्वजनिक प्रॉपर्टी के कब्ज़े का मुहीम बता नमाज़ रोकने वाले हरियाणे के लौंडे आजकल कांवड़ कंधे पर रख हरिद्वार को कूच किये हैं.
तीन दिन पहले मेरठ की लोकल बस बन्द करने की खबर थी. पूरे मेरठ के रुड़की रोड के कट, चौराहे, U टर्न आदि पर बेरिकेडिंग लगाकर तीन दिन पहले से ट्रैफिक पुलिस द्वारा बंद किये जा चुके हैं. रोड किनारे के सारे पार्क, फुटपाथ, सार्वजनिक भूमि पर गड्ढे कर तंबू लगा कांवड़ सेवा पंडाल खड़े होने लगे हैं. शीघ्र ही कांवड़ मार्ग के सभी जिलों के स्कूलों की छुट्टी हो जाएगी क्योंकि शिक्षक और छात्र कावंड़ियों के उत्पात के कारण विद्यालय जाने हेतु सड़क पर पैर तक न रख सकेंगे.
जैसे-जैसे उत्पात बढेगा सड़क के एक तरफ चलने वाला ट्रैफिक भी तोड़ फोड़ के बाद रोक दिया जाएगा. तब तक कांवड़ियों द्वारा कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ नागरिक भी पीटे जा चुके होंगे.
दिल्ली से हरिद्वार तक के समस्त ज़िलों का जीवन कई दिन तक बंधक की तरह गिरवी रख लिया जाएगा. मुरादनगर, मोदीनगर, मेरठ, मोदी पुरम, खतौली, मुज़्ज़फरनगर पुरकाजी जैसे शहरों कस्बोंं आदि में मुर्गा, बकरा, मछली, अंडा, मांस, नॉन वेज आदि का व्यवसाय करने वालों की रोज़ी रोटी भी ठप्प. अंतिम पड़ाव पर दिल्ली हरिद्वार रोड के सभी रोडवेज और उनकी बसें भी ठप्प.
सड़कों पर गांंजा, चरस, भांग और नशे में झूमते, कानफोडू संगीत बजाते डी जे, डाक कांवड़ और बेसबॉल के बल्लों से लैस आस्थावान लौंडे. त्रिशूल और तिरंगे का घालमेल करते आस्थावान लौंडे.
शिव जी के जलाभिषेक के उपरांत हर की पौड़ी हरिद्वार से दिल्ली गुड़गांव तक गंदगी और धार्मिक प्रतीकों के अवशेषों व धार्मिक कचरे का अंबार !
रास्ते के पेड़ों पर टंगी बेबस कावडें. किसी कारणवश यात्रा पूरी करने में असमर्थ श्रद्धालु इन्हें पेड़ों की डाल पर लटका छोड़ भागे. ये साल भर यूं ही टंगी रहेगी. कोई पाप लगने के डर से इन्हें हटाएगा भी नहीं. समय के साथ सड़-गल जाने पर ही पेड़ उनसे छुटकारा पा पाएगा.
और योगी जी के नए कानून के तहत कांवड़ मार्ग पर लगे गूलर के पेड़ चूंकि अब धर्म विरुद्ध ठहराए गए हैं, अतः सरकारी अफसरों के द्वारा हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर निर्मम हत्या को भी इस उत्पात में जोड़ लीजिये.
उपरोक्त तथ्यों को कावंड़ मार्ग पर उपस्थित किसी भी शहर के किसी भी धर्म के संतुलित नागरिक से पूछ क्रॉस चेक कर खुद जांच लीजिये. नए पुराने लोकल अखबार ही बांच लीजिये. मेरे बताये का विश्वास तो बिल्कुल मत कीजिये.
उत्तर प्रदेश भर में ऐसी कितनी छोटी बड़ी कांवड़ यात्राएं होंगी ? देश भर में फिर कितनी होंगी ? सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का अंदाज़ा खुद लगाइएगा !
रोड निर्माण, सुरक्षा, चिकित्सा आदि पर सरकारी टैक्स के पैसे का इन्वेस्टमेंट भी गिन लीजियेगा. यात्रा के दौरान दुर्घटनाओं के कारण मानव क्षति को भी एस्टिमेट कीजियेगा.
कई दिन तक … रात दिन लगातार बजने वाले कानफोडू धार्मिक संगीत से हुए प्रदूषण के नुकसान का भी एस्टिमेट कीजियेगा. गनीमत है सोनू निगम के घर के मार्ग पर शायद कोई यात्रा नहीं जाती होगी वरना वे अवश्य उन यातना के अनुभव को ट्वीट देते.
इस सब खर्च की तुलना मुसलमानों द्वारा छोड़ दी गई हज सब्सिडी से अवश्य कर लीजियेगा.
हफ्ते के चार जुमे और साल की दो ईद की दो रकअत नमाज़ जो औसतन दो से तीन मिनट में सम्पन्न हो जाती है. जानमाज, चटाइयां और चादरे नमाज़ी खुद अपनी लाते हैं, सड़क साफ कर बिछाते हैं, नमाज़ उपरांत उठा ले जाते हैं. साफ की हुई सड़क प्रशासन को मिलती है. इस नुकसान से भी कांवड़ यात्रा के सार्वजनिक फायदे का तुलनात्मक अध्ययन कीजियेगा.
यदि शर्म आये तो अपने निर्लज्ज गालों पर खुद तमाचे मार लीजियेगा !
– तनवीर अल हसन फरीदी के वाल से
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