बीजेपी आईटी सेल के द्वारा कहा जा रहा है कि ‘पीएम मोदी ने चार साल में विश्व बैंक से एक रुपये का भी कर्ज नहीं लिया है.’
गूगल खोलिए. अंग्रेजी में डालिए ‘world bank loan to india’. पहला ही लिंक विश्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट का आएगा. इसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि ‘भारत और विश्व बैंक के बीच इसी साल 2 फरवरी, 2018 को एक करार हुआ है. इसके तहत विश्व बैंक ने भारत को वाराणसी से हल्दिया के बीच 1360 किमी का जलमार्ग बनाने के लिए 375 मिलियन डॉलर (करीब 251 अरब रुपये) का कर्ज दिया है’. इस करार पर भारत की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के जॉइंट सेक्रेटरी समीर कुमार खरे, इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी के वाइस चेयरमैन प्रवीर पांडेय और भारत में विश्व बैंक के डायरेक्टर जुनैद अहमद ने सिग्नेचर किए हैं. इसके अलावा भी मोदी सरकार ने विश्व बैंक से लोन लिया है.
1. तेईस जनवरी, 2018 को उत्तराखंड में पानी की सप्लाई के लिए विश्व बैंक ने भारत सरकार को 120 मिलियन डॉलर (करीब 8 अरब रुपये) का कर्ज दिया है.
2. इकत्तीस जनवरी, 2018 को विश्व बैंक की ओर से तमिलनाडु के गांवों की हालत सुधारने के लिए 100 मिलियन डॉलर (6.5 अरब रुपये) का कर्ज लिया गया है.
3.चौबीस अप्रैल, 2018 को मध्यप्रदेश के गांवों की सड़कों की हालत दुरुस्त करने के लिए 210 मिलियन डॉलर (करीब 14 अरब रुपये) का कर्ज विश्व बैंक ने भारत को दिया है.
4. आठ मई को भारत में चल रहे राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के लिए विश्व बैंक ने 200 मिलियन डॉलर (13.5 अरब रुपये) का कर्ज दिया है.
5. उन्तीस मई को विश्व बैंक ने राजस्थान के लिए 21.7 मिलियन डॉलर (1.5 अरब रुपये) का कर्ज दिया है. भारत सरकार ने वाराणसी से हल्दिया तक के इनलैंड वॉटर हाईवे के लिए विश्व बैंक से कर्ज लिया है.
6. इसके अलावा अप्रैल, 2018 में ही भारत सरकार ने विश्व बैंक से 125 मिलियन डॉलर (8 अरब 36 करोड़ रुपये) का कर्ज दवाइयों को बनाने और उनकी गुणवत्ता को सुधारने के लिए लिया है.
अगर पिछले साल की बात करेंः
1. भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश में टूरिज्म को विकसित करने के लिए 40 मिलियन डॉलर ((2 अरब 67 करोड़ रुपये) का कर्ज विश्व बैंक से लिया है.
2. इक्कीस नवंबर, 2017 को भारत ने विश्व बैंक से सोलर पार्क प्रोजेक्ट के लिए 100 मिलियन डॉलर (6.5 अरब रुपये) का कर्ज लिया है.
3. इकत्तीस अक्टूबर, 2017 को विश्व बैंक ने असम में ग्रामीण परिवहन के लिए 200 मिलियन डॉलर (13.5 अरब रुपये) का कर्ज दिया है.
4. तीस जून, 2017 को विश्व बैंक ने नेशनल बायोफार्मा मिशन के लिए भारत सरकार को 125 मिलियन डॉलर (8 अरब 36 करोड़ रुपये) का कर्ज दिया है.
सरकार ने असम के गांवों की सड़कों को बनाने के लिए विश्व बैंक से कर्ज लिया है. और ऐसा कोई पहली बार नहीं है कि भारत को विश्व बैंक से लोन लेना पड़ रहा है. विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 1945 से 21 जुलाई 2015 के बीच भारत पर कुल 101 बिलियन डॉलर (676 अरब रुपये) का कर्ज सिर्फ और सिर्फ विश्व बैंक का था. इसके अलावा इंटरनेशनल बैंक फॉर रिक्शंट्रक्शन एंड डेवलपमेंट नाम की एक संस्था है, जो विश्व बैंक का ही हिस्सा है. इसने भारत को कुल 52.7 मिलियन डॉलर (3.5 अरब रुपये) का कर्ज दे रखा है. इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन एक और विश्व बैंक की संस्था है, जिसने भारत को पिछले 70 साल में 49.4 बिलियन डॉलर (330 अरब रुपये) का कर्ज दिया.
साभार – मार्कंडेय पांडेय
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