आज एक बार फिर जब छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तीसरी मुठभेड़ में 31 माओवादियों के समेत दो पुलिसियाओं के मारे जाने की ख़बर सामने आ रही हैं, उसी समय पीयूसीएल छत्तीसगढ़ के द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति मेरे सामने पड़ी हुई है. यह प्रेस विज्ञप्ति 2 फ़रवरी को जारी किया गया था. इसमें बताया गया है बीजापुर में किस तरह से 8 ग्रामीण आदिवासियों की ठंडे दिमाग़ से इन पुलिसियों ने हत्या कर दी है.
छत्तीसगढ़ के इलाक़े में माओवादियों के साथ मुठभेड़ के नाम पर आदिवासियों की हत्या एक आम दिनचर्या बन गया है. किसी भी व्यक्ति को माओवादी बता कर हत्या करना रूटीन सा हो गया है. ऐसे में देश के मानवाधिकार संस्था PUCL की ओर से यह जारी प्रेस विज्ञप्ति एक महत्वपूर्ण क़दम है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (PUCL) छत्तीसगढ़ द्वारा जारी यह प्रेस विज्ञप्ति बीजापुर में हुए फर्जी मुठभेड़ की निंदा करते हुए दिनांक 2 फरवरी 2025 को ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के आधार पर बीजापुर मुठभेड़ (1 फरवरी 2025) पर प्रारंभिक रिपोर्ट जुनस तिर्की, महासचिव कलादास डेहरिया द्वारा जारी किया है.
बीजापुर जिले के कोर्चोली और टोडका गांवों के बीच तोलीमेटा (तोली पहाड़ियों) में 1 फरवरी 2025 को सुरक्षा बलों द्वारा की गई मुठभेड़ में 8 लोगों की हत्या का दावा किया गया है. पुलिस द्वारा इसे माओवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई बताया गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि मारे गए लोग माओवादी नहीं, बल्कि निर्दोष ग्रामीण थे.
घटना के प्रमुख तथ्य
- स्थान: कोर्चोली और टोडका गांव के बीच तोलीमेटा.
- समय: फायरिंग का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक (रुक-रुक कर गोलीबारी).
- पुलिस का दावा: 8 माओवादी मारे गए.
ग्रामीणों के विरोधाभासी दावे
- मारे गए लोग माओवादी नहीं, बल्कि स्थानीय ग्रामीण थे.
- घटना के समय न तो गांव में और न ही पहाड़ियों में कोई माओवादी उपस्थिति थी.
- कई ग्रामीण जब सुरक्षा बलों के डर से पहाड़ियों की ओर भागे, तो उन्हें पकड़कर ले जाया गया, जिसके बाद जंगल से गोलीबारी की आवाजें आईं.
गांवों में छापेमारी
- सुरक्षा बलों ने सुबह-सुबह कोर्चोली (गयतापारा, पटेलपारा) और टोडका (पूरा गांव) में घरों में छापेमारी की.
- घरों में प्रवेश करते ही ग्रामीण भयभीत होकर भागने लगे.
हिरासत एवं हताहत
- कितने लोगों को हिरासत में लिया गया, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं.
- मारे गए लोगों की पहचान अब तक स्पष्ट नहीं.
- शवों को बीजापुर ले जाया जा रहा है.
पुलिस का आधिकारिक बयान (1 फरवरी 2025, शाम 5:15 बजे)
पुलिस के अनुसार, पश्चिम बस्तर डिवीजन में माओवादियों की उपस्थिति की सूचना मिलने पर DRG, STF, CoBRA 202 बटालियन और CRPF 222 बटालियन की संयुक्त टीम ने 31 जनवरी 2025 को ऑपरेशन शुरू किया. पुलिस के अनुसार, पहली मुठभेड़ सुबह 8:30 बजे शुरू हुई और पूरे दिन रुक-रुक कर फायरिंग होती रही.
पुलिस ने 8 माओवादियों के मारे जाने का दावा किया और कहा कि कई अन्य घायल या मारे गए हो सकते हैं. पुलिस ने INSAS राइफल, बैरल ग्रेनेड लांचर (BGL) और अन्य हथियार बरामद करने का भी दावा किया है.
गंभीर प्रश्न जो उठाए जाने चाहिए
- मारे गए लोग कौन थे ?
- क्या मृतक पहले से माओवादी कैडर के रूप में सूचीबद्ध थे, या वे निर्दोष ग्रामीण थे ?
- पुलिस को मिली खुफिया जानकारी क्या थी, जिसके आधार पर यह ऑपरेशन चलाया गया ?
- क्या बल प्रयोग आवश्यक और उचित था, या यह सुनियोजित रूप से ग्रामीणों को निशाना बनाकर की गई कार्रवाई थी ?
- क्या माओवादी होने के संदेह में किसी को गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया, या केवल मार गिराने का ही लक्ष्य था ?
- कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है और क्या उन्हें कानूनी रूप से हिरासत में लिया गया है ?
- पुलिस का दावा है कि माओवादी मौजूद थे, जबकि ग्रामीण कहते हैं कि कोई बैठक या माओवादी गतिविधि नहीं थी. यदि माओवादी थे, तो ग्रामीण क्यों मारे गए ?
- पुलिस ने जो हथियार बरामद करने का दावा किया है, वे कहां से मिले ? क्या वे मारे गए लोगों के पास थे या ऑपरेशन के बाद रखे गए ?
- यदि ऑपरेशन माओवादियों के खिलाफ था, तो गांवों में घरों की तलाशी क्यों ली गई ?
- क्या यह माओवादी विरोधी ऑपरेशन के नाम पर स्थानीय ग्रामीणों को निशाना बनाने की कार्रवाई थी ?
PUCL की मांगें
- तत्काल न्यायिक जांच: हाईकोर्ट के वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में इस मुठभेड़ की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाए.
- निष्पक्ष पोस्टमॉर्टम: सभी मृतकों का पोस्टमॉर्टम स्वतंत्र फोरेंसिक विशेषज्ञों की उपस्थिति में किया जाए और उसकी वीडियोग्राफी की जाए (NHRC के दिशानिर्देशों के अनुसार).
ग्रामीणों की अपील
कोर्चोली और टोडका के ग्रामीण इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए न्याय की मांग कर रहे हैं. कई परिवार अभी भी अपने लापता सदस्यों की तलाश कर रहे हैं और चिंता में हैं कि कहीं उन्हें माओवादी बताकर मार दिया गया हो या वे हिरासत में हों.
PUCL छत्तीसगढ़ इस फर्जी मुठभेड़ की कड़ी निंदा करता है और सरकार से न्यायिक जांच और जवाबदेही की तत्काल मांग करता है. हम नागरिक समाज, पत्रकारों और मानवाधिकार संगठनों से अपील करते हैं कि वे इस मामले की स्वतंत्र जांच में सहयोग करें और ग्रामीणों के साथ खड़े हों.
ज्ञात हो कि केंद्र की तानाशाह मोदी सत्ता ने देश के संविधान और उसके मातहत तमाम संस्थाओं को या तो निष्प्रभावी बना दिया है अथवा उसमें अपने एजेंटों को घुसा कर अपने अनुसार बना कर देश के तमाम जनवादी ताक़तों समेत विपक्षी दलों को कुचल दिया है. ऐसे में अब एकमात्र माओवादी ही है जो जनता पर ढ़ाये जा रहे उसके हैवानियत का खुलकर विरोध कर रहा है.
यही कारण है कि मोदी सत्ता, जिसने खुलेआम मंच से ऐलान किया है कि वह ज़मींदार, सामंतों, कॉरपोरेट घरानों और विदेशी साम्राज्यवादी ताक़तों के हितों के लिए काम करेगा, अब वह ग़रीबों, दुखियों, महिलाओं के दुख-दर्द को जड़ समेत ख़त्म कर सुन्दर दुनिया बनाने का दावा करने वाले माओवादियों को 31 मार्च 2026 तक ख़त्म करने का दावा कर रही है.
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