
उत्तर प्रदेश स्थित प्रयागराज के कुंभ मेला में बस्तर से आये Bastar Takies के पत्रकार विकास तिवारी ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से प्रश्न किया- ‘बस्तर में आपने नक्सलवाद और माओवाद का नाम सुना होगा. लगभग एक साल में 200-250 लोगों को मारा गया माओवादियों के नाम पर, माओवादी उसमें थे भी. उनके लिए कोई संदेश, जो जंगलों में बन्दूक लेकर घूम रहे हैं.
शंकराचार्य ने दिमाग़ झन्ना देने वाला जवाब देते हुए बताया कि- ‘बात यह है कि हमको एक इंस्पेक्टर मिले थे. वहीं छत्तीसगढ़ गए थे, वो हमसे मिलने के लिए आये थे, मैंने पूछा उससे कुछ कहना है ? उन्होंने कहा कि महाराज जी हमारा थाना अगर नक्सली थाना घोषित हो जाये तो बहुत अच्छा हो जाये. हम बड़े आश्चर्य में पड़ गए. हमने कहा – तुम्हारा थाना नक्सली क्यों घोषित हो जाये ? क्या तुम्हारे यहां नक्सलवाद है ?
‘वो बोला – नहीं है. हम चाहते हैं कि थोड़ी नक्सली गतिविधियां हो जाये तो हमारा थाना नक्सली हो जाये. मैंने पूछा ऐसा क्यों चाहते हो ? कान खड़े हो गए हमारे. शरीर एकदम रोमांचित हो गया. धक्का सा लगा. उन्होंने कहा कि महाराज जी हमारे भत्ते बढ़ जायेंगे. हमारी कई चीजें बढ़ जायेगी अगर नक्सली थाना घोषित हो जाये तो.
शंकराचार्य ने आगे बताया कि- ‘जहां ऐसी परिस्थिति है कि लोग (पुलिस) चाहते हैं कि नक्सली आ जाये, वहां नक्सली नहीं आयेगा तो क्या…! नक्सली पुलिस पर उपकार कर रहा है आकर. नक्सली जो है वह पुलिस पर उपकार कर रहा है आकर. नक्सली थाना घोषित करवा दे रहा है दो चार बारदात करके. यह तो एक बात हुई.
‘दूसरी बात है, जो नक्सली लोग है अब उनसे तो कभी बात करने का अवसर हमें मिला नहीं. जब उनसे बात हो, उनकी समस्याएं सुनी जाये और उसको समझा जाये कि क्या उनकी मजबूरी है. या तो किसी ने इनको बरगला दिया है या इनकी कोई स्वयं की अपनी परिस्थिती है, मजबूरी है. बिना समझे किसी के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते हैं. हम कोई पहले से धारणा बना के चलने वाले व्यक्ति नहीं है.
‘इसलिए कोई नक्सली किसी दिन जब हमसे मिलेगा और वो भी गहरा जानकार होगा, हम उनसे समझना चाहेंगे पूरी बात को. कि भाई तुम खुद बताओ हमने अख़बारों में, इंटरनेट पर, अधिकारियों से सुना है, जाना है लेकिन अभी हम संतुष्ट नहीं है. हम चाहते हैं कि कोई पक्का नक्सली कभी मिले वह हमको बतायें.’
ज्ञातव्य हो कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव में हुआ था. उनका संन्यास लेने से पहले का नाम उमाशंकर उपाध्याय है. उन्होंने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य की पढ़ाई की है और अपने बेवाक टिपण्णियों के लिए जाने जाते हैं. माओवादियों के संदर्भ में बयान देकर उन्होंने भारत के शासकों का असली चेहरा बेनक़ाब कर दिया है, जो आये दिन देश के ग़रीबों, उत्पीड़तों को अपना शिकार बना रहा है.
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