Home लघुकथा कमलेश

कमलेश

1 second read
0
0
85
कमलेश
कमलेश

राम लाल पेशे से कुम्हार था. दिन भर मेहनत करके बमुश्किल अपने बीवी बच्चों को खाना नसीब करवा पाता था. दिये, गुल्लक, छोटी मोटी मूर्तियां, मिट्टी के खिलोने तो जैसे उसके हाथ लगते ही जीवित हो उठते थे. राम लाल की कला का दीवाना लगभग आसपास का सारा इलाका था. लेकिन चीन की झालर और मूर्तियों ने उसके व्यापार का बेड़ा गर्क कर रखा था. राम लाल की पत्नी कलावती दुकान संभालती थी और राम लाल अपनी चकिया में व्यस्त रहता था. दीपावली के लिए उसने बहुत मेहनत की थी. काफ़ी सारा माल तैयार किया था. आखिर इसी त्यौहार की बिक्री से तो उसे अच्छे दिनों की उम्मीद थी.

राम लाल का एक बेटा था कमलेश. 17 साल का जवान बेटा अभी पढ़ रहा था. बेटी अनीता तो बहुत छोटी थी. मात्र 10 साल की लेकिन अपने स्कूल में टॉप किया था. राम लाल अपने बच्चों पर गर्व करता था. बेटा कमलेश रोज शाम को अपने मास्टर गिरधारी से ट्यूशन पढ़ने जाता था. मास्टर साहब कमलेश की मेहनत और लगन की तारीफ करते थे. मास्टर साहब बहुत साधारण तरीके से रहते थे. एक भूरी पैंट और सफ़ेद कमीज़, सिर पर काली टोपी. कोई आडम्बर नहीं, कोई नखरे नहीं. इधर कुछ दिनों से कमलेश उनके घर ज्यादा देर तक रुकता और धर्म और इतिहास की बातें सीखता था.

गिरधारी मास्टर ने उसे बताया की आज़ादी की लड़ाई में ‘वीर’ सावरकर बहुत आगे रहे. आज़ादी गोलवरकर, सावरकर, गोडसे बंधु और श्यामा प्रसाद मुख़र्जी की वजह से मिली थी. नेहरू, गांधी, बोस, पटेल सब अंग्रेजों के मुखबिर थे. मास्टर ने कमलेश को एक फ़ोन भी दिया और उसमें व्हाट्सएप्प पर डेली तरह तरह के ज्ञान की बातें उसे पढ़ाते थे. नेहरू पटेल की आखिरी यात्रा में नहीं गए, नेहरू के कपड़े पेरिस में धुलते थे, गांधी ने चंद्रशेखर आज़ाद की मुखबिरी कर उन्हें मरवा दिया, मुस्लिम रेजिमेंट ने आज़ादी की लड़ाई में शामिल होने से इंकार कर दिया था इत्यादि इत्यादि.

कमलेश के दिमाग़ में यह बात बैठ चुकी थी कि हिन्दू धर्म को सिखों यानी ख़ालिस्तानीयों और मुसलमान यानी पाकिस्तानियों से खतरा था. गिरधारी मास्टर ने उसे लाठी के अनेक इस्तेमाल बताए थे. लाठी एक असलहा भी है, यह भी उस बालक ने सीख लिया था. मास्टर ने यह भी कहा था कि कमलेश ऐसे जवान लड़कों के कंधों पर ही हिन्दू धर्म टिका हुआ था. यह भी कि दिवाली से 4 दिन पहले गांव में हिन्दुओं का एक धार्मिक जुलूस निकलेगा और अगर कमलेश उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेगा तो उसे सरकार इनाम में 1 लाख रूपये भी देगी.

इनाम की राशि सुन कमलेश की आंखों में हसीन सपने तैर गए. बस उसने जुलूस में हिस्सा लेने की ठान ली. फिर वह दिन भी आया. कमलेश अच्छे कपड़े व जूते पहन जुलुस के साथ चल दिया. धीरे-धीरे जुलूस अपने निर्धारित मार्ग से हटकर एक मस्जिद की तरफ जाने लगा. मस्जिद के सामने पहुंचते ही कमलेश के कान में मास्टर की आवाज़ आई. मास्टर ने उसे एक लाख का इनाम याद दिलाया और इशारे से भगवा झंडा लेकर मस्जिद पर चढ़ जाने को बोला. कमलेश का खून उत्तेजक नारों और डीजे के अश्लील गानों से गर्म था ही. उसने आव देखा न ताव, और मस्जिद पर चढ़ गया. मस्जिद के मीनार पर लगा झंडा नीचे गिराकर भगवा झंडा लहरा दिया.

कमलेश की आंखों के सामने तो एक लाख रूपये थे. उसे दौलत का नशा सवार था. सही गलत का फर्क धुंधला हो गया था. लेकिन जो कमलेश ने नहीं देखा वह यह कि मास्टर अब उस भीड़ से गायब हो चुका था. पुलिस ने इलाके को घेर लिया था और एसपी साहब ने फायरिंग के आर्डर दे दिए थे. कमलेश झंडा ठीक से लगा भी नहीं पाया था कि एक पुलिसिया गोली उसके सीने को छेदते निकल गई. मस्जिद की मीनार से कमलेश सीधा जमीन पर औधे मुंह गिरा और उसके मुंह से एक चीख निकल गई. उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

राम लाल, उसकी पत्नी कलावती और बेटी अनीता का रो रोकर बुरा हाल था. ताज्जुब यह कि भीड़ गायब थी. उसके घर पर बेटे का शव, उसके कुछ रिश्तेदार और खुद उसका परिवार ही नज़र आ रहा था. कमलेश को ‘इनाम’ मिल चुका था. राम लाल और उसके परिवार का भविष्य अंधकारमय हो चुका था. आखिर जवान बेटा खोया था.

गिरधारी मास्टर गांव से जरूर गायब हो गया था लेकिन सही सलामत था, सुरक्षित था. वह फ़ोन पर किसी को बता रहा था कि इस गांव का किला फतह हो गया था. उसके आका ने शाबाशी दी और बगल वाले जिले के एक अन्य गांव का पता देते हुये कहा – अब इस गांव का किला फतह करो.

गिरधारी उस दूसरे गांव में एक और कमलेश ढूंढने चल पड़ा…

  • राजीव श्रीवास्तव

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • अपना-अपना भालू

    एक बार एक वैज्ञानिक जंगल में किसी काम से जा रहा था. तभी उसने ‘सोनू आर्या’ नामक…
  • चूहा और चूहादानी

    एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी…
  • देश सेवा

    किसी देश में दो नेता रहते थे. एक बड़ा नेता था और एक छोटा नेता था. दोनों में बड़ा प्रेम था.…
Load More In लघुकथा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

जहां अन्याय है, वहां शांति संभव ही नहीं है !

दो ज़िले हैं. एक ज़िले में बहुत सारे बड़े उद्योग हैं और दूसरे ज़िले में कोई भी बड़ा उद्योग नहीं…