बहुत सारे फिलिस्तीन हैं
और इस्राईल भी बहुत हैं
असल में हम सब के भीतर इस्राईल भी है
और
फिलिस्तीन भी
दुनिया में कितनी ही बार मार डाले गए
कमज़ोर
जैसे फिलिस्तीन में मारे जा रहे हैं अभी अभी
भारत में भी एक फिलिस्तीन है
जहां बच्चों के हाथ काटते हैं हमारे सिपाही
जहां के खनिज लूट कर झोंके जाते हैं
अमीरों के कारखानों की भट्टियों में
ये बच्चे बीच में आ जाते हैं
हमारी कार, बंगले और आरामतलब जिंदगी के
इसलिए हम सभ्य लोग
इन बच्चों के हाथ काटने के लिए
भेज देते हैं अपने सिपाही
बस्तर के जंगलों में
इन बच्चों की चीखें हमारे कानों तक नहीं पहुंचती
अदालतें अपने कान में रुई के फाये ठूंस लेती है
ये लोग मर रहे हैं धीरे धीरे
वैसे ही जैसे
बाकी लोग मर गए
कुछ अमरीका में मरे
कुछ अफ्रीका में मरे
बाकी फिलिस्तीन में मरे
वैसे ही ये बस्तर में मर रहे हैं
हमारी सभ्यता अपने दामन से इनके खून के दाग
साफ़ कर लेगी
और हम बन जायेंगे
सभ्य, आधुनिक और बुद्धिमान
जो मर गए
वो असभ्य थे
इसलिए उनकी अस्थियों का अध्ययन करेंगे
हम सभ्य लोगों के बच्चे
भविष्य की पढ़ाई में
हमारी आंखें दूर के फिलिस्तीन को नहीं देख पाती हैं
नज़दीक के फिलिस्तीन अनदेखे कर देते हैं हम जान बूझ कर
- हिमांशु कुमार
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