हिमांशु कुमार
नरेंद्र मोदी ने हरियाणा चुनाव में भाषण देते हुए कहा है कि कांग्रेस अर्बन नक्सल पार्टी है. इसका अर्थ है जो नरेंद्र मोदी का विरोधी है, वह नक्सली है, माओवादी है. यदि आप अडानी, अंबानी द्वारा भारत के जल, जंगल, जमीन की लूट का विरोध करते हैं तो आप नक्सलवादी है, माओवादी है. यदि आप भारत को तोड़ने वाली सांप्रदायिक नफरत की भाजपा की कार्यवाहियों और नीतियों का विरोध करते हैं तो आप नक्सली और माओवादी है.
यानी अगर आप जनता के हितों और देश के हितों के साथ हैं तो आप नक्सलवादी और माओवादी हैं. यानी अगर आप इस देश की जनता और इस देश से प्यार करते हैं तो आप नक्सलवादी और माओवादी हैं. यदि आप संविधान, कानून, इंसानियत, लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं तो आप नक्सलवादी और माओवादी हैं.
यह मैं नहीं कह रहा हूं नरेंद्र मोदी ने खुद कहा है कि जो संविधान की बात करते हैं, वे लोग नक्सलवादी हैं और हमें उनकी सोच को अपराध मानकर उन पर कार्रवाई करनी है. यह बयान नरेंद्र मोदी ने सूरजकुंड में भारत के विभिन्न राज्यों के गृह मंत्रियों के सम्मेलन में दिया है. क्या आपको खतरे का अंदेशा है ?
इस देश की कुर्सी पर देश को तोड़ने वाले, राष्ट्रीय एकता को खत्म करने वाले, भारत को लूटने वाले, भारत की जनता को बर्बाद करने वाले लोग बैठ गए हैं. और यह लोग देश प्रेमियों, जनता के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और अच्छे लोगों को आतंकवादी, नक्सलवादी, अर्बन नक्सली, माओवादी, विदेशी एजेंट कहकर उन पर हमला कर रहे हैं.
एनआईए, सीबीआई, ईडी आज किन पर छापे डाल रही है और किन को जेल में डाल रही है ? आज एनआईए उन लोगों पर छापे डाल रही है जो लोग देश की जनता के पक्ष में लिख रहे हैं, देश को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, संविधान को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
अभी हाल ही में एनआईए ने उत्तर प्रदेश में एक छात्र कार्यकर्ता, हरियाणा में एक मानव अधिकार वकील और चंडीगढ़ में हाई कोर्ट के वकीलों के यहां छापा मारा. हाई कोर्ट के चंडीगढ़ में वकील अजय कुमार को गिरफ्तार किया. अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी निशाने पर लिया गया है.
असल में मोदी के मलिक इस देश के पूंजीपति हैं, जो नक्सलवाद-माओवाद का हव्वा खड़ा करके भारत की जनता के मानव अधिकारों को कुचलकर उनकी जमीनों, रोजगारों, बैंक में रखे पैसे पर कब्जा करना चाहते हैं.
आप ध्यान दीजिए मोदी के दोस्तों द्वारा ना सिर्फ इस देश की जल, जंगल, जमीन को लूटा गया है बल्कि बैंकों में रखा हुआ आपका पैसा भी लूट कर विदेश भाग गए हैं और आपके रोजगार भी खत्म कर दिए गए हैं. मोदी की योजना आपको बिल्कुल कंगाल कर देने की है और जो भी मोदी के इन करतूतों की पोल जनता के सामने खोलते हैं, उन्हें मोदी नक्सली और माओवादी कहकर जेल में डलवा देता है.
अगर इस देश को बचाना है, लोकतंत्र को बचाना है, भारत के संसाधनों को बचाना है, रोजगार को बचाना है, बैंकों में रखे हुए पैसे को बचाना है तो भारत की जनता को हिंदू-मुसलमान के बनावटी झगड़े से निकलकर अपने जीवन से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना पड़ेगा. वरना मोदी गैंग आपको बर्बाद कर देगा और कहीं का नहीं छोड़ेगा.
अंग्रेजों ने अपना लगान वसूलने के लिए ज़मींदार और जागीरदार नियुक्त किए थे, जो किसानों से लगन वसूलते थे और जमीन ज़मींदार के नाम रहती थी. आजादी के बाद जमीदारी अबोलिशन एक्ट आया. जो किसान खेती कर रहे थे, जमीन उनके नाम चढ़ गई.
महाराष्ट्र और गुजरात के बहुत सारे गांव ऐसे हैं, जहां के आदिवासी सैकड़ो सालों से वहां रह रहे हैं खेती कर रहे हैं, लेकिन जमीन अभी भी ज़मींदारों के नाम है. ज्यादातर ज़मींदार ब्राह्मण, बनिए और कुछ पारसी हैं. यह ज़मींदार शहरों में रहते हैं और वहीं बैठे-बैठे अपनी जमीनों को बेच देते हैं. खरीदने वाले उद्योगपति लैंड माफिया बिल्डर लॉबी के लोग होते हैं.
आदिवासियों को पुलिस और गुन्डों की मदद से मारपीट कर डरा धमका कर उनकी वीडियो से की जा रही खेती वाली जमीनों से बेदखल कर दिया जाता है. क्योंकि यह ज़मीनें आदिवासी किसानों के नाम पर नहीं चढ़ी हुई है इसलिए यह बैंक से ऋण लेकर अपनी खेती में सुधार नहीं कर पाते हैं और गरीबी में जीने के लिए मजबूर हैं.
उनके इलाके में क्योंकि सरकार को बड़े-बड़े पूंजीपतियों और अमीरों को जमीन हड़प करवानी है इसलिए इन्हें जानबूझकर सड़क, पाइपलाइन से पानी आदि से वंचित रखा जाता है. आजादी के बाद कितनी सरकारें बनी लेकिन इन करोड़ों आदिवासियों के लिए किसी ने कुछ नहीं किया.
मैंने गलत कहा कि सरकार में कुछ नहीं किया. सरकार ने एक बहुत महत्वपूर्ण काम किया. सरकार ने इन आदिवासियों के बीच काम करने वाले, उनके मुद्दे उठाने वाले, उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को नक्सलवादी, माओवादी कहकर जेल में डाला.
तलोजा जेल में ऐसे ही महत्वपूर्ण बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता आज भी जेल में पड़े हैं, जिन्होंने आदिवासियों की बदहाली और उनके अधिकारों के मुद्दे उठाए. इतना ही काफी नहीं था. अभी महाराष्ट्र सरकार एक और कानून लेकर आई है जिसमें सरकार ऐसे ही दूसरे सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डालेगी जो आदिवासियों के मुद्दे उठाएंगे.
किसी को यह संदेह नहीं रह जाना चाहिए कि इस देश में अमीरों की अमीरी के लिए सरकार जिम्मेदार है और गरीबों को गरीब बनाए रखने के लिए भी सरकार ने बहुत मेहनत की है.
पिछले लगभग 10 दिनों से आदिवासी खबर भेज रहे हैं कि सीआरपीएफ द्वारा उनके गांव में मोर्टार बमबारी की जा रही है. आज इस बात के सबूत भी मिल गए हैं सीआरपीएफ ऑफिसर ने खुद पीटीआई को इस बात की जानकारी दी है कि वह इन गांव पर कार्रवाई कर रहे हैं क्योंकि इस गांव के आदिवासी नक्सलवादियों को अनाज सप्लाई करते हैं. यह खबर बस्तर के एक न्यूज़ पोर्टल सवितर्क न्यूज़ ने प्रकाशित की है. अब जानते हैं सीआरपीएफ की इस रणनीति की सच्चाई के बारे में.
बस्तर में खेती इतनी पिछड़ी हुई है कि आदिवासी अपने लिए भी साल भर पूरा हो सकने लायक अनाज नहीं उगा पाते हैं, उन्हें राशन की दुकान पर निर्भर रहना पड़ता है. इसलिए यह कहना कि गांव के आदिवासी नक्सलवादियों को अनाज सप्लाई करते हैं, बिल्कुल बच्चों वाली बात है.
सीआरपीएफ के अधिकारी बस्तर के आदिवासी और उनके जीवन के बारे में कुछ भी नहीं जानते. यह चिंता की बात है कि बस्तर के आदिवासियों को ऐसे नासमझ सीआरपीएफ अधिकारियों के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है, जो उन्हें धान न काटने देने के लिए उनके खेतों पर बमबारी कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार कोई भी सरकार अपने नागरिकों पर बमबारी नहीं कर सकती. लेकिन भारत में इतनी भयानक घटना घट रही है कि सरकार अपने ही नागरिकों पर बमबारी कर रही है. चिंता की बात यह है कि भारत का कोई भी मीडिया इतनी बड़ी खबर को प्रकाशित करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है.
देश की जेलों में कई सौ सामाजिक कार्यकर्ता व विद्यार्थी बंद हैं. इनका अपराध क्या है ? इनकी सोच. इनका अपराध यह है कि यह लोग सोचते हैं. अगर यह लोग सोचते नहीं तो जेल भी नहीं जाते. आखिर यह ऐसा क्या सोचते हैं जो इतना खतरनाक होता है कि इन्हें जेल में बंद करना पड़ता है ?
यह लोग बिलकुल सीधी बात सोचते हैं. सीधी बात सबसे खतरनाक होती है. जैसे प्रकृति ने अपनी नेमतें सबके लिए बनाई हैं इसलिए अडानी, जिंदल या अडानी को किसी दुसरे नागरिक से ज्यादा जमीन हडपने में सरकार को मदद नहीं करनी चाहिए. लेकिन जैसे ही आप यह बात सोचेंगे, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री, जो अडानी के पैसे से चुनाव लड़ कर कुर्सी पर बैठे हैं, वो नाराज हो जायेंगे. फिर पुलिस आपके खिलाफ एक झूठा केस बनायेगी. इसके बाद आपको जेल में डाल दिया जाएगा.
जो सामाजिक कार्यकर्ता आज जेलों में हैं, आप उनकी योग्यता देखेंगे तो चौंक जायेंगे. उनमें से कोई भी फर्जी डिग्री वाला दंगाई या गुंडा नहीं है. जेलों में बंद लोगों में ज़िन्दगी भर यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले प्रोफेसर हैं, हाईकोर्ट के वकील हैं, विश्वप्रसिद्ध पुस्तकों के लेखक और संपादक, पीएचडी हैं, डाक्टर लोग हैं.
इनमें वो लोग भी हैं जिन्होंने दिल्ली में जब अमित शाह ने पुलिस की मदद से मुसलमान बस्तियों पर यूपी से गुंडे बुला कर हमले किये, बस्तियां जलाई, इन लोगों ने उसका विरोध किया था. जिन लोगों ने दंगे रोकने की कोशिश की, भाईचारा बचाने की कोशिश की, उन्हें भाजपा ने जेलों में डाल दिया है.
आजादी के 75 साल बीत चुके हैं. आज अगर भारत ऐसे लोगों के कब्जे में है, जो अच्छी सोच वाले लोगों को जेल में डाल रहे हैं तो मामला बहुत गंभीर है. इससे होगा यह कि लोग अच्छी बात सोचने में डरेंगे. माता पिता अपने बच्चों से कहेंगे कि तुम भी जेल चले जाओगे भाईचारे बराबरी इन्साफ की बात मत करो. तुम भी दंगाइयों गुंडों की जयजयकार करो कम से कम जिन्दा तो रहोगे. अगर कोई समाज इस जगह पहुंच जाए, तो उसका पूरा नाश नजदीक है.
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