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निर्माणाधीन पुल से गिरी कार मामले में अपनी नाकामी का ठीकरा सरकार ने फोड़ा गूगल मैप्स पर

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निर्माणाधीन पुल से गिरी कार मामले में अपनी नाकामी का ठीकरा सरकार ने फोड़ा गूगल मैप्स पर
निर्माणाधीन पुल से गिरी कार मामले में अपनी नाकामी का ठीकरा सरकार ने फोड़ा गूगल मैप्स पर

बदायूं में एक दर्दनाक हादसा हुआ है, जहां एक कार निर्माणाधीन पुल से रामगंगा नदी में गिर गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. यह हादसा बरेली-बदायूं सीमा पर फरीदपुर के खल्लपुर गांव के पास शनिवार देर रात 3:30 बजे हुआ था. मृतकों में दो चचेरे भाई और एक उनका दोस्त थे, जो गुरुग्राम से बरेली के फरीदपुर जा रहे थे. पुलिस ने कार से शवों को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.

हादसा इसलिए हुआ क्योंकि कार सवार जीपीएस का सहारा ले रहे थे और निर्माणाधीन पुल की जानकारी जीपीएस पर अपडेट नहीं थी. इसके कारण ड्राइवर को पुल के अधूरे होने की जानकारी नहीं मिली और कार पुल से नीचे रामगंगा नदी में गिर गई.

सरकार की ओर से कोई सूचना पुल पर था ? नहीं, सरकार की ओर से पुल पर कोई सूचना या चेतावनी नहीं थी कि पुल निर्माणाधीन है और वहां से गुजरना खतरनाक हो सकता है. लेकिन सरकार अपने दोष का ठीकरा गुगल मैप पर फोड़ रही है. जबकि सरकार को अपने निर्माणाधीन पुलों की जानकारी गूगल मैप्स को देनी चाहिए ताकि वे अपने मैप्स में इसको अपडेट कर सकें और लोगों को इसकी जानकारी मिल सके. अगर सरकार ऐसा करती तो लोगों को पता चल जाता कि कौन से पुल निर्माणाधीन हैं और वे उनसे बचकर चल सकते हैं.

सरकार की ओर से गूगल पर आरोप लगाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. एक कारण यह हो सकता है कि सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा गूगल पर डालना चाहती है, ताकि अपनी जिम्मेदारी से बच सके. दूसरा कारण यह हो सकता है कि सरकार गूगल को अपनी नीतियों और दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए दबाव डालना चाहती है.

इस मामले में, सरकार को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए और गूगल पर आरोप लगाने के बजाय, अपनी नीतियों और दिशानिर्देशों को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए. निर्माणाधीन पुल से गिरने की घटना पर मुकदमा पीडब्ल्यूडी और सेतु निगम के अधिकारियों के विरुद्ध दर्ज हुआ है, वहीं मृतकों के परिजनों को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2-2 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है.

इस दुर्घटना में केंद्र सरकार को सड़क सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए. इसके अलावा, केंद्र सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि निर्माणाधीन पुलों पर पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाएं और लोगों को इसकी जानकारी दी जाए.

डबल इंजन सरकार में ऐसी दुर्घटनाएं इसलिए होती हैं क्योंकि सरकार की नीतियों और कार्यों में कमियां होती हैं. जैसे कि सड़कों की खराब स्थिति, यातायात प्रबंधन में कमियां और सुरक्षा उपायों की अनुपलब्धता. यानी, डबल इंजन की सरकार किसी भी जवाबदेही से मुक्त होती है.

इसके अलावा, डबल इंजन सरकार में भी भ्रष्टाचार और लापरवाही की समस्याएं हो सकती हैं, जो ऐसी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं. इसलिए, सरकार को अपनी नीतियों और कार्यों में सुधार करना चाहिए और सुरक्षा उपायों को मजबूत करना चाहिए ताकि ऐसी दुर्घटनाएं न हों.

भारत में इस तरह की दुर्घटनाएं काफी आम हैं. हालांकि, सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन यह कहा जा सकता है कि देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत होती है और कई घायल होते हैं. मुझे लगता है कि अगर ऐसी दुर्घटना विपक्षी सरकार के राज्यों में होती, तो मीडिया और विपक्षी दलों द्वारा इसकी कड़ी आलोचना की जाती.

भारत में सड़क हादसों का आंकड़ा बहुत चिंताजनक है. वर्ष 2023 में देश में लगभग 1,73,000 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा बैठे. यह आंकड़ा विश्व में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के 10% के लिए उत्तरदायी है. उत्तर प्रदेश सहित छह बड़े राज्यों में लगभग 55% मौतें हुईं. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2025 तक सड़क हादसों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा है.

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