किसी देश में दो नेता रहते थे. एक बड़ा नेता था और एक छोटा नेता था. दोनों में बड़ा प्रेम था. दोनों मिलकर देश सेवा करते थे. फिर पता नहीं क्या हुआ कि छोटा नेता, बड़े नेता से छिपा कर अकेले देश सेवा करने लगा.
बहुत दिनों तक यह बात बड़े नेता को पता नहीं चली लेकिन एक दिन यह मालूम हो गया कि छोटा नेता अलग से देश सेवा कर रहा है.
बड़ा नेता बहुत नाराज हो गया. उसने छोटे नेता को बुलाकर कहा – ‘अकेले देश सेवा करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे पड़ी ?’
छोटे नेता ने कहा, ‘देश सेवा मेरा धर्म है.’
बड़े नेता ने कहा, ‘मैंने तुम्हें उंगली पड़कर देश सेवा करना सिखाया है और अब तुम मुझ ही को धोखा दे रहे हो ?’
छोटे नेता ने कहा, ‘देश सेवा कर रहा हूं धोखा नहीं दे रहा…’.
बड़े नेता ने कहा, ‘तुम एहसान फरामोश हो… जिसने तुम्हारे ऊपर एहसान किया है… जिस पेड़ की छाया में तुम जवान हुए उसी को काट रहे हो.’
यह सुनकर छोटे नेता को भी गुस्सा आ गया और उसने कहा, ‘मैंने आपसे ज्यादा देश सेवा की है. लेकिन आपने कभी मुझे मान्यता नहीं दी…सारा क्रेडिट खुद ले लिया… स्वार्थी तो आप हैं…’.
इस बात पर बड़े नेता ने छोटे नेता को धक्का दिया.
छोटा नेता भी बड़े नेता से भिड़ गया. दोनों के बीच मुक्के चलने लगे. फिर दोनों ने एक दूसरे के कपड़े फाड़ दिए. फिर जूते चले. उसके बाद कुर्सियां चलीं.
दोनों घायल हो गए. दोनों को अस्पताल लाया गया.
यह वही अस्पताल था, जहां दोनों ने देश सेवा की थी.
दोनों को आईसीयू में डाल दिया गया. लेकिन दोनों बच नहीं पाए क्योंकि अस्पताल में सब कुछ था, ऑक्सीजन नहीं थी.
- असगर वजाहत
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