Home कविताएं मी लॉर्ड

मी लॉर्ड

0 second read
0
0
34
मी लॉर्ड
मी लॉर्ड

चौपाया बनने के दिन हैं
पूंछ उठा कर मादा गिनने के दिन गए
अच्छा है कि मादा के अपमान से बाहर निकल कर
अपने पशु बन जाने की प्रक्रिया पर रश्क करो

अब तो तुम्हारे चेहरे पर
थूकने का भी जी नहीं चाहता है मी लॉर्ड

भला जानवरों पर भी कोई थूकता है क्या

डार्विन को पाठ्यक्रम से हटाने के पीछे की असली वजह
आपके फ़ैसलों में दिख रहा है मी लॉर्ड

आपको देखने के बाद भी कोई कैसे यक़ीन करे
विकासवाद के सिद्धांत पर

यह एक देश है
जहां समय का पहिया
लगातार पीछे घूम रहा है

इस भिखारियों के महा स्वर्ग में
मेरे हलक से अब पानी नहीं उतरता है

फिर भी
मुझे हमदर्दी हरेक उस मादा सुअर से है
जो जनतीं हैं असंख्य बच्चे
मुंबई लोकल के हरेक स्टेशन पर

और फिर से गर्भ धारण कर
आगे बढ़ जाती है दो मिनट में

आप भी तो इनकी ही पैदाईश हैं मी लॉर्ड !

  • सुब्रतो चटर्जी

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
G-Pay
G-Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
  • मां डरती है…

    मां बेटी को फोन करने से डरती है न जाने क्या मुंह से निकल जाए और ‘खुफ़िया एजेंसी’ सुन ले बाप…
  • युद्ध में…

    युद्ध में सिर्फ़ हथियार के व्यापारी ही खुश नहीं होते कफ़न के व्यापारी देशों के राजा और अने…
  • सुनो स्त्रियों…

    सुनो स्त्रियों… पुरुषों से डरना या फिर उन्हें नकारना बंद करो उनका अपमान करना, हर पुर…
Load More In कविताएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

चीन में माओ त्से-तुङ ने वेश्यावृति और यौन रोगों का ख़ात्मा कैसे किया ?

1 अक्टूबर 1949 को चीन के मज़दूरों की क्रांतिकारी पार्टी ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी’ के नेतृ…