स्मार्ट मीटर पर बबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजद जहां स्मार्ट मीटर के खिलाफ 1 अक्टूबर से समूचे बिहार में प्रदर्शन करने की तैयारियां कर रही है, वहीं, नीतीश कुमार की सरकार स्मार्ट मीटर वाली कम्पनियों के पक्ष में सीएमडी ने सभी जिलाधिकारी को जबरन बलप्रयोग के सहारे स्मार्ट मीटर लगाने की बात कर रही है. राजद की ओर से दावा किया जा रहा है कि 2005 में लालू जी ने हर घर बिजली पहुंचाने के लिए यूपीए-1 में सरकार के माध्यम से राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना बिहार में लागू करवाया था.
बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि जब बिहार की जनता का सवाल विपक्ष नहीं उठाएगा तो सच और सच्चाई से लोग अवगत कैसे होंगे. जो प्रश्न स्मार्ट मीटर के संबंध में हमने उठाया था, उसका एक भी जवाब राज्य सरकार के स्तर से नहीं दिया गया है. जबकि राष्ट्रीय जनता दल ने आम जनों के द्वारा जिस तरह से इस मामले पर प्रश्न खड़े किए जा रहे थे उसको हमने जिम्मेदार विपक्ष की हैसियत से सरकार से पूछा है.
राजद ने सरकार से पूछा है कि वो बताएं कि पहले के मीटर और अब के स्मार्ट मीटर के संबंध में जो बातें सामने आई है और आमलोगों की आवाज को नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने स्मार्ट चीटर कहा है, उस पर थर्ड पार्टी के समक्ष जांच करवाने की बात सरकार ने क्यों नहीं की ? आम जनता को बिना विश्वास में लिए जबऱिया स्मार्ट मीटर क्यों लगाया जा रहा है ? इसके लिए बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड के लेटर पैड पर श्री पंकज कुमार पाल, अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक ने सभी जिलाधिकारियों को बल प्रयोग के साथ मीटर लगाने की बात अपने पत्रांक संख्या 19/सीएमडी, दिनांक 15.09.2024 को क्यों लिखा ? क्या यह मुख्यमंत्री की सहमति से पत्र लिखा गया था ?
आगे उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि क्या उनकी सहमति से ही बल प्रयोग की बात पत्र में लिखी गई है ? सीएमडी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने में प्रशासन के स्तर से कार्रवाई की जाए और जबरदस्ती बलप्रयोग से स्मार्ट मीटर लगाने की बात के साथ यह भी कहा कि यह मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना का अंग है.
जगदानन्द सिंह ने राज्य सरकार से पूछा है कि 5 रूपये प्रति युनिट के हिसाब से बिजली खरीद कर 5.85 रूपये से 8 रूपये प्रति युनिट के हिसाब से क्यों बिक्री की जा रही है ? फिक्सड चार्ज और विद्युत शुल्क ये दोनों चार्ज क्यों लिए जा रहे हैं ? बिहार में बिजली का उत्पादन शुन्य है, क्या यह आम लोगों को बताया गया है ? जो बिजली बिल आ रहा है उसमें गड़बडि़यां है, उस पर सवाल खड़ा किया गया है लेकिन उस पर जवाब अब तक नहीं आया है.
बिहार में बिजली बिल के नाम पर लूट मचा हुआ है और इस मामले में षडयंत्र करने के पीछे जो थे, उसका नाम नीतीश कुमार है. जब सरकार के उर्जा मंत्री के जवाब से काम नहीं चला तो मुख्यमंत्री को स्वयं आना पड़ा लेकिन वो भी आमजनों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं. यह सवाल न आपका है न हमारा है, यह जनता का सवाल है लेकिन उस पर सरकार मौन है.
इन्होंने आगे कहा कि खेती के लिए किसानों को केवल आठ घंटे ही बिजली क्यों दी जा रही है ? भयंकर सुखाड़ के वक्त भी सरकार के स्तर से किसानों को खेती के लिए बिजली नहीं दी गई और किसानों के सोलह घंटे कटौती के बिजली को अन्य राज्यों को सस्ते दर पर बिजली बेची जा रही है. सच तो यह है कि 2023-2024 वर्ष में 22 सौ करोड़ की बिजली चार रूपये में 5280 मिलियन युनिट अन्य राज्यों को बेच दी गई. बिहार की खेती को बर्बाद करने के लिए नीतीश कुमार की डबल इंजन की सरकार दोषी है.
इन्होंने कहा कि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के केन्द्रीय मंत्री रहते हुए यूपएी-1 की सरकार ने 4 अप्रैल, 2005 को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना शुरू की तभी से हीं बिहार के गांवों में बिजली लगाने का कार्य शुरू हुआ और बिहार को बिजली से रौशन करने में राष्ट्रीय जनता दल और लालू प्रसाद की जो भूमिका रही है, उसे बताने में भाजपा-जदयू और एनडीए के अन्य नेता संकोच क्यों कर रहे हैं ? जनता सच्चाई जानती है कि वर्ष 1998 से 2004 तक नीतीश भाजपा की केन्द्रीय सरकार ने मंत्री रहते बिहार को बिजली के मद में एक भी पैसे का योगदान नहीं करा पाये.
अटल के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के रहते हुए वर्ष 2003 में नया विद्युत एक्ट बना उसमें युनिवर्सल विद्युत दर के बदले उत्पादन केन्द्रों द्वारा तय बिजली की दर लागू कराने में अपनी भूमिका के बारे में बतायेंगे, उसी समय से बिहार को अधिक कीमत पर बिजली खरीदना पड़ रहा है. संध्या काल में तो दस रूपये तक की युनिट चुकानी पड़ रही है. बिहार में नीतीश सरकार ने जो कार्य किया वही बिजली की बढ़ी दरों के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उस समय केन्द्र की सरकार में नीतीश जी मंत्री थे. इतिहास का ज्ञान रखकर ही सत्तारूढ़ दल के नेता आमलोगों को सच्चाई बताएं.
इन्होंने कहा कि ईडी ने पूर्व सीएमडी के संबंध में कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने वाली कम्पनियों से करोड़ों का घुस लिया गया और जो करोड़ों का घुस देगा वो अरबों कमाने के लिए लुट तो करेगा ही. इन कम्पनियों का हिस्सा किन-किन तक पहुंचा है ये आपकी पार्टी के नेता क्यों नहीं बता रहे हैं ? इन्होंने कहा कि विरोधी अफवाह नहीं फैला रहे हैं बल्कि इस तरह के लूट और अत्याचार के खिलाफ जनता उठ खड़ी हुई है और आमजन सरकार के खिलाफ खड़ी है, ये सरकार को नहीं दिख रहा है. जनता के सवालों के साथ राष्ट्रीय जनता दल हमेशा खड़ी रही है और खड़ी रहेगी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने जिस निर्लज्जता की हदें पार करके नेता प्रतिपक्ष के संबंध में जिन शब्दों का प्रयोग किया है, यह संसदीय परंपरा मानक और मर्यादा विहीन शब्द है और इस पर राष्ट्रीय जनता दल को घोर आपति है. क्योंकि इस तरह की आपतिजनक भाषा संवैधानिक पद पर बैठे हुए नेता के संबंध में किया जाना कहीं से उचित नहीं है.
राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में जबरन स्मार्ट मीटर लगाए जाने तथा स्मार्ट मीटर के नाम पर गरीबों तथा आम जनों से हो रही लूट के खिलाफ कल 1 अक्टूबर 2024 को पटना सहित राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया जाएगा, इन्होंने आगे कहा कि पुराने मीटर की तुलना में स्मार्ट मीटर से बढ़ा हुआ बिल उपभोक्ताओं के पास आ रहा है बिजली बिल देने में असमर्थ गरीब और वंचित परिवार के घरों की बिजली काटी जा रही है. और अब तो इस तरह के हालात बन गए हैं कि पूरे गांव की ही बिजली काटी जा रही है.
बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सीएमडी के द्वारा सभी जिलाधिकारी को बल प्रयोग करके स्मार्ट मीटर लगाने के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया है, जो कहीं से उचित नहीं है और इस मामले पर राज्य सरकार या विद्युत विभाग के पदाधिकारी यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर क्या कारण है कि बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए जबरन मीटर लगाने की बातें की जा रही है ? और राज्य सरकार कहीं ना कहीं इन कंपनियों के प्रभाव में आकर उपभोक्ताओं और गरीबों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार को देख रही है. राज्य सरकार को जनता और जनता के हितों से कोई मतलब नहीं है.
एजाज में आगे कहा कि जातिगत गणना की रिपोर्ट देखें तो पाते हैं कि लगभग 35 प्रतिशत परिवार 6000 रूपये से कम में गुजारा कर रहे हैं और लगभग 30 प्रतिशत परिवार 10,000 रूपये से कम में गुजारा कर रहे हैं. यह एक भयावह तस्वीर हमारे सामने है. बिहार के ग्रामीण इलाकों में 70% आबादी के पास या तो स्मार्टफोन नहीं है या उन्हें नेटवर्क सही से नहीं मिल पाता है. इस तरह की स्थिति परिस्थितियों के बाद भी जबरन स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य किया जा रहा है या स्मार्ट मीटर नहीं बल्कि स्मार्ट चीटर के रूप में लोगों के सामने नजीर प्रस्तुत कर रहा है.
इन्होंने ने आगे कहा कि बिहार में लगभग 2.76 करोड़ हाउस होल्ड है. स्मार्ट मीटर के खराबी के कारण अगर इन सभी उपभोक्ताओं से 100 रूपये भी वसूला जाता है, तब यह संख्या लगभग 276 करोड़ प्रत्येक महीने कम्पनी के पास अलग से मुनाफा होगा. सिर्फ बिहार ही नहीं अपितु अन्य राज्यों में भी स्मार्ट मीटर लाया गया है, क्योंकि उपभोक्ताओं को सहूलियत होगी, परंतु यह तो आफत बन गई है और शिकायतों का अंबार लगा हुआ है.
जब स्मार्ट मीटर को पूरे भारत में एक करोड़ 16 लाख के करीब लगाये गये हैं, वहीं सबसे गरीब प्रदेश बिहार में सर्वाधिक 50 लाख लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं. अब गुजरात और महाराष्ट्र सरकार ने स्मार्ट मीटर योजना पर रोक लगा दिया है, जबकि केरल सरकार ने इस योजना से अपने आप को अलग ही कर लिया है. एजाज ने आगे कहा कि राज्य सरकार के द्वारा पूरे बिहार में जिस तरह से स्मार्ट मीटर के नाम पर लूट मचा रही है.
वहीं, राजद की ओर से पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सूचीबद्ध तरीक़े से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा है. उन्होंने कहा कि देश भर में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य बिहार में स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली दरों को दोगुना एवं सबसे महंगी बिजली बेच नीतीश-भाजपा सरकार बिहारवासियों पर अत्याचार कर रही है. स्मार्ट मीटर के नाम पर हो रही सरकारी लूट से हर बिहारवासी त्रस्त है.
- लगभग शत-प्रतिशत उपभोक्ताओं का ऐसा क्यों मानना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनका बिजली बिल दोगुना या डेढ़ गुणा बढ़ा है ? पूरे बिहार से शिकायतें आ रही हैं कि बिजली का बिल डबल हो गया है. सरकार बतायें कि ऐसा क्यों हो रहा है ?
- स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी होने के कारण अगर यह मान लिया जाए कि हर घर से केवल ₹100 का ही फर्जीवाडा हो रहा है तो नीतीश सरकार बिहार भर के उपभोक्ताओं से हर महीने हजारों करोड़ रुपए की अवैध राशि वसूल रही है.
- स्मार्ट मीटर मुद्दा हर घर से जुड़ा हुआ है और हर घर से स्मार्ट मीटर के विरुद्ध आवाज आ रही है. स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली कंपनियों, अधिकारियों और सत्तारूढ़ नेताओं की जो मिलीभगत है, उसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए.
- बिहार इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेट्री कमीशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के ग़ज़ट में स्मार्ट मीटर लगाने की कोई बाध्यता नहीं है तो फिर सरकार किसके फ़ायदे के लिए ऐसा कर रही है ?
- बिहार का इलेक्ट्रिसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर Outdated है. उपभोक्ता कहता है कि मीटर Fast है, सरकार कह रही है कि Meter Fast नहीं है तो यह निर्णय कौन करेगा कि मीटर तेज है या नहीं ? गड़बड़ी करने वाला विभाग ख़ुद ही कह रहा है कि सब ठीक है. हमारी मांग है कि इस मुद्दे के निपटारे के लिए कोई निष्पक्ष कमेटी होनी चाहिए.
- बिहार में 2 करोड़ बिजली उपभोक्ता है, इसमें से केवल 50 लाख उपभोक्ताओं ने ही स्मार्ट मीटर लगवाया है. नए मीटर लगाने से पूर्व सरकार को पहले वर्तमान 50 लाख उपभोक्ताओं की शंकाओं, संदेहों को दूर कर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए.
- सरकार की बिजली कंपनियों के साथ क्या सांठ-गांठ है ? क्या मीटर का Calibration (मापांकन) गलत नहीं हो सकता है ?
- क्या बिजली मंत्री के सुपौल घर में स्मार्ट मीटर है ? है तो कब लगा ? कितने माननीय और अधिकारियों के सरकारी तथा व्यक्तिगत आवास पर स्मार्ट मीटर लगा है ?
- पिछले 20 वर्षों में तीन बार मीटर बदला जा चुका है, हर बार मीटर बदलने की जरूरत क्यों पड़ी ? क्या मीटर वाली कंपनियां, बिल वसूलने वाली एजेंसियां, सत्तारूढ़ जदयू नेताओं तथा अधिकारियों के बीच कोई कमर्शियल रिश्ता है ?
- स्मार्ट मीटर के इंस्टालेशन का जो चार्ज है, वह बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से पहले के दो या तीन महीने में वसूलती हैं लेकिन बताती क्यों नहीं है ? ₹200 के मीटर पर उपभोक्ताओं से मीटर की कुल कितनी लागत वसूली जाती है ?
- अगर तथाकथित स्मार्ट मीटर सचमुच स्मार्ट है तो इसका यूजर इंटरफेस और सिस्टम इतना धीमा और खराब क्यों है कि हर जगह असमंजस, परेशानी, जानकारी का अभाव और पैसों का इधर-उधर हो जाना होता है ? और इस परेशानी के कारण और अधिक वसूली तथा भ्रष्टाचार होता है.
- प्रीपेड स्मार्ट मीटर के इंटरफेस और सिस्टम में इतनी गड़बड़ और खराबी क्यों है कि पब्लिक को मालूम ही नहीं पड़ता है कि उनका पैसा कहां चला गया ? कितना पैसा बचा हुआ है, बिजली उपभोक्ताओं को यह भी पता नहीं चलता कि उनकी राशि कहां कट रही है और क्यों कट रही है और किस दर से कट रही है ?
- उपभोक्ताओं को पैसे के लिए तो मैसेज आता है लेकिन जब पैसा जमा किया जाता है तब पैसा मिला या नहीं इसका कोई मैसेज नहीं आता है. कब बिजली कनेक्शन कटने वाला है या कितनी कम राशि बची हुई है इसका भी कोई मैसेज नहीं आता है. पैसा आ गया है जल्दी ही बिजली वापस आ जाएगा इसका भी कोई मैसेज नहीं आता है. नया रिचार्ज हुआ है या नहीं हुआ है, हुआ है तो पुन: बिजली शुरू होने में घंटों क्यों लगते है ? कुछ भी रियल टाइम अपडेट नहीं होता है और पूछताछ करने पर कोई यह बताता ही नहीं है और ना ही किसी के बिल में यह बात स्पष्ट जाहिर होती है. इन सब कारणों से उपभोक्ता हमेशा परेशान ही रहता है.
Read Also –
स्मार्ट मीटर की धांधली और 200 यूनिट फ्री बिजली की मांग को लेकर 1 अक्टूबर से राजद का प्रदेश भर में आंदोलन
तालकटोरा में मजदूरों और किसानों का अखिल भारतीय संयुक्त सम्मेलन और उसका घोषणा-पत्र
मोदी सरकार का बिजली बिल में खतरनाक संशोधन
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]