सोचो कि तुम सज धज कर
मुझसे मेरे घर मिलने आई हो पहली बार
और मैं तुम्हें वहां
ब्रुकलिन ब्रिज पर खड़ा
मेडुसा वध की भंगिमा में मिलूं
राक्षसी को उसके झोंटे से पकड़ कर
उसके सीने में छुरा घोंपते हुए
नहीं नहीं
यह शूर्पणखा के नाक काटने से
कुछ अलग बात है
मेरे चेहरे और सारे शरीर पर
भीषण युद्ध के निशान हैं
रक्त और स्वेद
और आंखों में प्रचंड घृणा
क्या तुम इस आततायी से
प्रेम कर सकोगी
यद्यपि मेरा लक्ष्य
इस पृथ्वी को थोड़ा और ज़्यादा
रहने लायक़ बनाना था ?
ब्रुकलिन के पानी और गंगा के पानी
कोई अंतर नहीं है
यह मैंने उन्हें पी कर जाना है
वोल्गा और टेम्स भी वही है
सीन और यांग त्सी भी
मिसिसिपी मिसौरी और अमेजन
का पानी भी
नदियां अपने साथ
बहा ले जातीं हैं सभ्यताएं
जो उनकी ही कोख के जने हैं
उन्हीं नदियों के पानी का
एक शतांश का एक परमाणु
अगर तुम्हारी आंखों में अब तक मौजूद है
तो मेडुसा वध करने वाले देव के प्रति
तुम्हारी संवेदनाएं जीवित नहीं रह सकतीं हैं
तिरस्कार के और भी अहिंसक तरीक़े हैं
जैसे किसी बच्ची को मुस्लिम होने के नाते
क्लास में जबरन दूसरे स्थान पर ला देना
या गांव के बाहर हरिजन बस्ती बसा देना
या मेस में पंडित जी को कुक रखना
अनेक छोटे छोटे तरीक़ों से हम
अपना अपना मेडुसा बना कर
ड्रैगन की गुफा में दाखिल हैं दोस्त
ऐसी ही एक गुफ़ा में तुम आई हो
सज धज कर अभिसार के लिए
जबकि मेरे पास वह बांसुरी भी नहीं है
नन्दन कानन को मंत्रमुग्ध करने के लिए
- सुब्रतो चटर्जी
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