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उड़नतश्तरियों की दहशत और वैज्ञानिक शोधों के जीरो नतीजे

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उड़नतश्तरियों की दहशत और वैज्ञानिक शोधों के जीरो नतीजे
उड़नतश्तरियों की दहशत और वैज्ञानिक शोधों के जीरो नतीजे

ब्रह्माण्ड अनंत है तो इसके रहस्यों की श्रृंखला भी उतनी ही रहस्यमयी है. मानव विकास के बीच धर्म, भाग्य-भगवान की उत्पत्ति भी रहस्यों के साथ जीने की कोशिश के तौर पर होती आई है किंतु जैसे जैसे मनुष्य ने विज्ञान के प्रति अपनी समझ को केन्द्रित किया वैसे वैसे धार्मिक रहस्य छूमंतर होते चले गए और बचे हुए रहस्यों के मलबे में मठाधीशों ने अपनी इहलोक परलोक की बातें बेचने की दुकानें खोल ली.

हम बात कर रहे हैं उड़नतश्तरियों की यानि UFO मतलब Unidentified Flying Objective की. उड़नतश्तरियों का रहस्य हमेशा ही पृथ्वीवासियों के लिए कौतूहल व जानने का विषय रहा है. हालीवुड का आधा रोजगार तो उड़नतश्तरियों के रहस्यों ने जमाया हुआ है. अभी तक दुनिया के वैज्ञानिक उड़नतश्तरियों के होने पर दावे से बचते रहे हैं. हालांकि पिछले दो-तीन दशकों में दुनिया में उड़नतश्तरियों को देखने के ज्यादा मामले आये हैं.

भारत में तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में उड़नतश्तरियां प्रकट होने की खबरें आती रही हैं. हाल ही में नवंबर 2023 में मणिपुर के आसमान में एक घंटे तक एक रहस्यमयी चीज ने घूम-घूमकर मणिपुर शासन प्रशासन के होशो हवास के तोते उड़ा दिए थे.

यहां तक कि कुछ घंटों के लिए इम्फाल एयरपोर्ट को भारतीय वायुसेना ने कब्जे में लेकर एयरपोर्ट की सारी उड़ानें रद्द कर दी थी और आसमान में उस रहस्यमयी चीज का पीछा करने के लिए अपने दो राफेल विमान उड़ा दिए थे. राफेल विमान के पायलट और विमानों पर लगे रडारों ने उस रहस्यमयी चीज के बारे में पता करने पर असमर्थता जताई, और देर शाम एयरपोर्ट पर नागरिक आवाजाही को सामान्य बनाया गया.

पृथ्वी से अलावा ब्रह्मांड में करोड़ों ग्रह हैं, तब इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों में जीवन नहीं हो सकता. उड़नतश्तरियों की गति और उनके आकार प्रकार से यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि उड़नतश्तरियों की दुनिया के लोग और वहां का विज्ञान, पृथ्वी के विज्ञान से कम से कम 2000 साल एडवांस प्रतीत होता है.

चार साल पहले नासा वैज्ञानिकों ने सूर्य के नजदीक एक पृथ्वी से भी बड़े आकार की उड़नतश्तरी देखने का दावा किया था. वैसे पृथ्वीवासियों को पहली उड़नतश्तरी कहां और कब दिखी इस पर पुख्ता तौर पर कोई प्रमाण नहीं हैं, लेकिन एक यूरोपियन वैज्ञानिक ने 16 वीं सदी में उड़नतश्तरियों के बारे में यह कहकर तहलका मचा दिया था कि ‘सभी धर्मों में वर्णित देवदूत व उन देवदूतों के रहस्यमयी विमान, उड़नतश्तरियां व एलियन ही हैं.’

उड़नतश्तरियों पर बहुआयामी शोध के लिए दुनिया में सबसे अधिक उड़नतश्तरियां दिखाई देने वाला क्षेत्र कनाडा में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का शोध संस्थान है, जहां पर अत्याधुनिक दूरबीन व सैटेलाइट लगे हुए हैं. लेकिन अचरज की बात ये है कि पिछले साढ़े तीन दशकों के शोध में संस्थान कोई डेटा नहीं जुटा पाया है.

हालांकि उड़नतश्तरियों के मामले में अमरीका और चीन एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं कि उड़नतश्तरियां इन देशों के जासूसी उपग्रह हैं लेकिन वास्तविकता ये है कि उड़नतश्तरियां पृथ्वी के वैज्ञानिक खोज से बिल्कुल मेल नहीं खाती है. 1960 के दशक में एक रूसी समाजविद् ने कहा था कि –

‘उड़नतश्तरियां व एलियन का रहस्य गढ़ने में दुनिया के बड़े पूंजीपतियों व माफियाओं का हाथ है. यह इसलिए प्रचारित किया जाता है ताकि सामान्य नागरिकों को अदृश्य दुनिया के भय में उलझाकर अपने नाजायज शोषण के मंसूबों को इत्मीनान से पूरा कर सकें.’

लेकिन बीते नजदीकी सालों में रहस्यमयी चीज आसमान में काफी दिखाई देने लगी हैं. हाल ही में रूस यूक्रेन के मध्य जारी युद्ध के दरमियान उड़नतश्तरियों व एलियन की मौजूदगी की अफवाह उड़ी थी. मामला जो भी है दुनिया के वैज्ञानिक इस पर दुविधापूर्ण ब्यौरा ही देते रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार ‘उड़नतश्तरियों (UFO) का भ्रम विभिन्न दिशाओं से आती एक निश्चित प्रकाश के बीच सूक्ष्म धूल-कणों का एक निश्चित अनुपात का केन्द्रीयकरण मात्र है. इसे इंद्रधनुष की तरह समझें, जिसे नजदीक से नहीं देखा जा सकता है.’

  • ऐ. के. ब्राईट

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ROHIT SHARMA

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