Home कविताएं स्थानीयता के सारे संघर्ष ख़तरनाक हैं

स्थानीयता के सारे संघर्ष ख़तरनाक हैं

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आसान है करना प्रधानमंत्री की आलोचना
मुख्यमंत्री की करना उससे थोड़ा मुश्किल
विधायक की आलोचना में ख़तरा ज़रूर है
लेकिन ग्राम प्रधान के मामले में तो पिटाई होना तय है.

अमेज़न के वर्षा वनों की चिंता करना कूल है
हिमालय के ग्लेशियरों पर बहस खड़ी करना
थोड़ा मेहनत का काम

बड़े पावर प्लांट का विरोध करना
एक्टिविज्म तो है जिसमें पैसे भी बन सकते हैं
लेकिन पास की नदी से रेत-बजरी भरते हुए ट्रेक्टर की शिकायत जानलेवा है.

स्थानीयता के सारे संघर्ष ख़तरनाक हैं
भले ही वे कविता में हों या जीवन में.

  • प्रदीप सैनी

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