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बांग्लादेश के रूप में भारत ने कल एक अच्छा दोस्त खो दिया

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बांग्लादेश के रूप में भारत ने कल एक अच्छा दोस्त खो दिया
बांग्लादेश के रूप में भारत ने कल एक अच्छा दोस्त खो दिया
सौमित्र राय

बांग्लादेश के रूप में भारत ने कल एक अच्छा दोस्त खो दिया. एक ऐसा देश, जिसने लाख दबाव के बावजूद खुद को इस्लामिक कट्टरपंथी रास्ते पर नहीं जाने दिया. आप शेख हसीना के 15 साल के राज में बेशक तानाशाही को देख सकते हैं, लेकिन, देश की सत्ता को चीन जैसे घड़ियाल के मुंह में समाने से बचाने के लिए यह जरूरी था. काफ़ी कुछ इंदिरा गांधी की तरह. लेकिन चीन ने दिखा दिया कि आखिर पैसे के दम पर सत्ता बनती है और उखाड़ी भी जा सकती है. यह एक खतरनाक चाल है. पाकिस्तान ने चीन से मिलकर बंगाल के विभाजन का बदला लिया है.

भारत की मोदी सत्ता श्रीलंका और मालदीव के बाद तीसरी बार अपने पड़ोसी मुल्कों को चीन के कब्जे में जाने से रोक नहीं पाई. यह मोदी सत्ता की सबसे बड़ी कूटनीतिक नाकामी है, क्योंकि श्रीलंका की तरह बांग्लादेश आर्थिक रूप से तबाह नहीं था. 2009 में बांग्लादेश का जीडीपी 102 बिलियन डॉलर था, जो अब 455 बिलियन है. 317% की यह बढ़ोतरी वहां के मैन्युफैक्चरिंग हब की वजह से हुआ.

आप जिस मुफ्ती के जींस को पहनकर इतराते हैं, उसे बांग्लादेश 80 रुपए में सिल देता है. हम 400 रुपए लेते हैं. सस्ता श्रम बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय को 2009 में 698 डॉलर से 2024 में 2646 डॉलर तक ले आया. नतीज़ा यह कि 2009 में बांग्लादेश जहां 17.36 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करता था, वही अब 50 बिलियन का निर्यात करता है. 300% का इजाफा भी हसीना सरकार की उपलब्धि है.

भारत में मोदी सत्ता ने आर्थिक मोर्चे पर 0% कामयाबी हासिल की है. हम एक तबाह देश हैं. बस, मुसलमानों से नफरत करते हैं. लिहाजा, बांग्लादेश के तख्ता पलट पर खुश और चुप हैं. हां, वहां की मुस्लिम आबादी पर भी गौर फरमाएं–2009 में 14.67 करोड़ की आबादी अब 17.47 करोड़ है. 15 साल में 19% की बढ़त. यही वजह है कि वहां की इकोनॉमी 6.5% की रफ्तार से बढ़ती रही, जबकि एशिया–प्रशांत क्षेत्र की औसत 4.3% से बढ़ ही नहीं सकी. फिर भी देश में 40% बेरोजगारी के साथ आरक्षण का तूफान सत्ता को ले डूबा.

यकीनन, हसीना सरकार इसे संभाल नहीं पाई. कोई नहीं संभाल सकता, क्योंकि आर्थिक विकास का मॉडल पूरी दुनिया में फेल है. लेकिन, खतरनाक यह है कि सत्ता की इस कमज़ोरी को चीन जैसा देश अपने फायदे के लिए सत्ता उखाड़ने के लिए इस्तेमाल करे. वन बेल्ट, वन रोड–का ख्वाब पूरा करने के लिए चीन को ऐसा करना जरूरी था. हम बिना लड़े पूंजीवाद के आगे हार रहे हैं. लगातार. हमारी विदेश नीति पाकिस्तान से आगे देख नहीं पा रही है.

अब बांग्लादेश की सत्ता सेना के हवाले है. हसीना सरकार ने बीते चुनाव में विपक्ष का गला घोंटकर भयानक गलती की. यही मोदी सत्ता कर रही है. चीन अब तख्ता पलट के बाद पिट्ठू सरकार चाहेगा. उसके पास बांग्लादेश का सस्ता बाजार है. कहीं न कहीं वहां की सेना का समर्थन भी. मोदी सत्ता से उम्मीद न करें कि वह चीन की घेराबंदी को तोड़ पाएगी. माफीवीरों के वंशज लड़ते नहीं, लड़वाते रहे हैं. कुल मिलाकर पड़ोस में आग लगी है और हमारे पास बुझाने को चुल्लू भर पानी भी नहीं अलबत्ता, डूबने को जरूर है.

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