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Adam’s Event : जिसने 42 हजार साल पहले नियंडरथल का सम्पूर्ण विनाश और इंसानों को बुद्धिमान बना दिया

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Adam’s Event : जिसने 42 हजार साल पहले नियंडरथल का सम्पूर्ण विनाश और इंसानों को बुद्धिमान बना दिया
Adam’s Event : जिसने 42 हजार साल पहले नियंडरथल का सम्पूर्ण विनाश और इंसानों को बुद्धिमान बना दिया

ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स द्वारा पब्लिश किये गए एक रिसर्च पेपर में कहा गया कि आज से 42,000 साल पहले अर्थ पर कुछ ऐसा भयानक हुआ था, जिसमें पृथ्वी ने अपने मैगनेटिक फील्ड को एक ही झटके में खो दिया था. जिससे हुआ ये कि जो पृथ्वी अरबोंं सालों से एक स्ट्रॉंग मैगनेटिक फील्ड के कारण जीवन के लिए एक उपयुक्त स्थान बनी हुई थी, वहां एकदम से मैगनेटिक फील्ड के खत्म हो जाने से भारी मात्रा में कॉस्मिक रेडियेशन आने लगा. और यह स्थिति पृथ्वी पर 400 से 1000 साल तक चली, जिसके कारण पृथ्वी पर अचानक कहीं बड़े बड़े विलुप्ति की घटना हुई.

साथ ही हमारे कजन नियंडरथल के जो पृथ्वी पर इस दौरान हुए ड्रमाटिक चेंजस में सर्वाइब नहीं कर सके और अचानक से विलुप्त हो गए. अब पृथ्वी के इतिहास में हुए इन ड्रमाटिक चेंजस को वैज्ञानिकों ने ‘आडम्स प्रांजीशनर जीयो मैंगेटिक इवेन्ट’ नाम दिया है, जिसे शॉर्ट में ‘आडम्स इवेंट’ भी कहा जाता है. पर इस इवेन्ट की सबसे रोमांचक बात यह है कि इस टाइम पीरियर में हम मानवों की क्रियेटिविटी और इंटेलिजेन्स अचानक से अविश्वसनीय स्तर तक बढ़ हो गए, जिससे हम अचानक शिकार के लिए पत्थर और लकडी के हथियारों का इस्तेमाल करने लगे और अलग-अलग जग़ह और जानवरों को पहचान करने के लिए पेंटिंग्स भी बनाने लगे.

इसका मतलब है कि ‘आडम इवेंट’ से पहले जो होमो सेपियन्स पृथ्वी पर किसी जानवरों की तरह रहा करते थे, वो अचानक से पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान प्राणी बन गया है. आप पूछ सकते हैं कि हमें पृथ्वी पर हुए इस मैंगेटिक रिवर्सल के बारे में कैसे बता चला ? बढ़ियां, इन बड़े बड़े प्राचीन पेडों के कारण, जिनने कौवरी कहा जाता है. ये पेड 42 से 45 हजार साल पुराने हो सकते हैं और ये एक तरह के टाइम कैप्सूल्स की तरह है, जो आज के वैज्ञानिकों को अपनी यंग एज़ के समय की अर्थ के बारे में बता रहे हैं.

तो चलिए जानते हैं अर्थ के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण अध्याय ‘आडम इवेन्ट’ के बारे में. कल्पना करिये एक ऐसी अर्थ का, जहां हर समय बड़े बिजली के तुफान चलते हैं. हर रात मैंगनेटिक फिल्ड बदलाव के कारण बड़ी बड़ी अरोरा से भरी हो और हर समय अर्थ पर इंसानी शरीर को जला देने वाला कॉस्मिक रेडियेशन पड़ता हो. कल्पना करना भी काफ़ी मुश्किल है न, पर आज से तकरीबन 42,000 साल पहले जब अर्थ एक मैंगनेटिक रिवर्सल प्रोसेस से गुजर रही थी, तब लगभग 1,000 सालों तक पृथ्वी की हालात कुछ ऐसी ही थी.

वैज्ञानिक रिसर्च बताती है कि इस दौरान अर्थ का मैंगनेटिक फिल्ड अपनी 94% तक स्ट्रेंथ को खो चुका था. अब ऐसा अचानक क्यों हुआ, ये तो आज भी मॉर्डन साइन्स के लिए एक मिस्ट्री है. इसके एलावा, युनिवर्स में और भी ऐसी मिस्ट्रीज भरी हुई है, जिसे अभी तक हमारी मॉर्डन साइन्स एक्सप्लोर नहीं कर पाई है. जैसे कि क्वांटम फिजिक्स और पैरडॉक्स.

आखिर पृथ्वी ने अचानक मैंगनेटिक फिल्ड क्यों खो दिया ?

पृथ्वी ने मैंगनेटिक फिल्ड क्यों खो दिया, अब इसे समझने के लिए हमें चुंबकीय ध्रुव उत्क्रमण (Magnetic Pole Reversal) को समझना होगा, जिसे मुख्यतः दो प्रकार में व्याख्यायित किया गया है. पहला, Geomagnetic Reversal (भू-चुम्बकीय उत्क्रमण). दूसरा, Geomagnetic Excursion (भू-चुंबकीय भ्रमण).

Geomagnetic Reversals, जिसे पूर्णतः चुंबकीय ध्रुव उत्क्रमण (Complete Magnetic Pole Reversal) भी कहा जाता है, ये अर्थ पर होने वाला एक दुर्लभ लेकिन प्राकृतिक प्रक्रिया (rare but natural process) है, जो हर 3,00,000 साल के समय अन्तराल के बाद अर्थ पर देखने को मिलता है. इस प्रक्रिया में पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड पूरी तरह से पलट जाती है. यानी, जो पहले उत्तरी मैगनेटिक ध्रुव (North Magnetic Pole) हुआ करता था, वो अब दक्षिणी मैग्नेटिक ध्रुव (South Magnetic Pole) बन जाएगा. और जो (दक्षिणी मैग्नेटिक ध्रुव (South Magnetic Pole) हुआ करता था, वो उत्तरी मैग्नेटिक ध्रुव (North) में बदल जाएगा.

पृथ्वी के करोड़ों साल के इतिहास में यह घटना कई बार हुआ भी है. लेकिन, Geomagnetic Reversal की सबसे खास बात यह होती है कि इसमें Magnetic Poles अचानक चेंज नहीं होते हैं बल्कि ये प्रक्रिया कई हजार या लाखों सालों तक धीरे-धीरे चलता रहता है. पर इस दौरान, पृथ्वी की Magnetic Field की ताकत धीरे धीरे कम होती जाती है, लेकिन फिर भी, वो इतनी तेजी से इतना कम नहीं होती है कि पृथ्वी पर रहने वाले जीवों पर सामूहिक विनाश (Mass Extinction) जैसा अचानक कोई बड़ा प्रभाव पड़े.

लेकिन फिर इस कमी को पूरा करता है Geomagnetic Excursion. ये भी एक तरह का Geomagnetic Reversal ही होता है, पर इसकी खास बात यह है कि इसमें पृथ्वी का मैगनेटिक फील्ड कुछ 100 सालों के बीच ही एक आकस्मिक बदलाव (Dramatic Change) से होकर गुजरता है, जिसमें अचानक ही, मैगनेटिक फील्ड की स्ट्रेंथ अविश्वसनीय तरीके से कम होने लगती है और कई बार तो Excursion के दौरान, पृथ्वी के कई हिस्सों में, मैगनेटिक फील्ड ‘जीरो’ तक हो जाता है.

अब सुनने में ये दोनों ही Reversal Event काफी समान लगता है, पर इन में सबसे बड़ा अंतर समय का है. क्योंकि जो Geomagnetic Reversal प्रक्रिया लाखों सालों में होता है, उसकी ही जगह Geomagnetic Excursion केवल और केवल कुछ सौ साल से लेकर कुछ हजार साल तक ही चलता है और इसमें Magnetic Poles Completely Change भी नहीं होते हैं. अब पृथ्वी के इतिहास में हमें Excursions सबसे ज़्यादा देखने को मिलते हैं, जिसका पूर्वानुमान कर पाना लगभग असंभव होता है.

42,000 साल पहले हुए जिस Adam Event की हम बात कर रहे हैं, वो भी एक Geomagnetic Excursion का ही परिणाम था, जिसे इस रिसर्च में Lashamp Excursion कहा गया है. इस Geomagnetic Excursion के शुरुआत तकरीबन 42,000 साल पहले अचानक से होती है, जिससे पृथ्वी के कुछ हिस्सों में जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूरोप में तो मैगनेटिक फील्ड की Value level 0-6% तक ही पहुंच गई थी.

अब इसे पृथ्वी के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण Excursion कहा गया है, जिसके उपर पहले भी काफी सारी Studies भी की गई है. और इसे Study करना सबसे आसान भी है. क्योंकि ये भूवैज्ञानिक पैमाना (Geological Scale) पर काफी हाल की गतिविधि (Recent Activity) है. जिससे जुुुड़े सबूत हमें आज भी यूरोप के विभिन्न प्राचीन लावा चट्टानों में, ग्रीनलैंड के पुराने ग्लेशियरों में, और न्यूजीलैंड के Famous Kauri Trees में Carbon-14 और Beryllium-10 के रूप में देखने को मिलता है, जो बताता है कि आज से 42,000 साल पहले इन इलाकों में बेहिसाब Cosmic Radiation आया करता था.

न्यूजीलैंड में इस तरह के बहुत से Giant Kauri Trees को आज भी संरक्षित करके रखा गया है, जो 40 से 45 हजार साल पुराने हैं और इनसे Lashamp Excursion के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है. अब वैज्ञानिकों की माने तो ये Trees एक तरह के Time Capsules हैं, जो आज हमें अपने अतीत की जानकारी दे रहे हैं कि उस समय अर्थ का वातावरण कैसा था, उसमें गैसों की संघटन (Composition) कैसी थी.

Kauri Trees पर रिसर्च के लिए वैज्ञानिक इस Giant Tree के तनों को अलग-अलग स्लाइस (Slices) में काटते हैं, जिसे Rings कहा जाता है. और इन्हीं Rings में इन पेड़ों द्वारा आज से हजारों साल पहले अवशोषित की गई गैसों की जानकारी होती है, जिसका वैज्ञानिक अध्ययन करते हैं. UNSW सिडनी के वैज्ञानिकों ने, जब इन trees से मिली जानकारी से Global Climate Model को बनाया, तो ये पता चला कि इस समय अर्थ के कई हिस्सों का वातावरण लगभग पूरी तरह नष्ट (Destroy) हो चुका था.

इसमें सबसे शॉकिंग बात तब सामने आई, जब वैज्ञानिकों ने देखा कि इस Lashamp Excursion की समय अर्थ पर हुए कई प्रमुख विलुप्ति घटनाएं (Major Extinction Events) के काफी नजदीक है, जो एक इशारा है कि शायद विलुप्त होने के पीछे, Excursion के दौरान अर्थ के वातावरण में हुए Sudden Changes और Cosmic Radiation का ही हाथ था. क्योंकि Researchers के अनुसार, इस समय पृथ्वी के आसमान में हमेशा खतरनाक बिजली के दुफान चलते रहते थे, और Cosmic Radiation इतना ज्यादा था कि इससे पेड़ों के कुछ Species को छोड़कर, लगभग सभी पौधों का Grow कर पाना काफी मुश्किल हो गया था, जिससे हुआ ये कि धीरे-धीरे इन पेड़-पौधों पर निर्भर करने वाले बहुत से जानवर विलुप्त होने लगे.

कुछ जानवर, Cosmic Radiation से होने वाली बिमारियों के चलते विलुप्त हो गई. जैसे 3 मीटर या 10 फीट ऊंची और 2780 किलोग्राम की जाइन्ट बॉम बेट, ऑस्ट्रेलियाई मेगा पॉर्णा का अचानक विलुप्ति जो लाखों सालों से पृथ्वी पर मौजूद थी, पर Lashamp Excursion के दौरान वो अचानक पूरी तरह से विलुप्त हो गई. पहले इस अचानक विलुप्ति को मानवों के द्वारा शिकार से जोड कर देखा जाता था, लेकिन हालिया की रीसर्च में ये तथ्य सामने आया कि मानवों के द्वारा शिकार से इतनी जल्दी इस पूरी स्पीसीज का विलुप्त हो जाना संभव ही नहीं था. जबकि उस दौरान मैग्नेटिक फील्ड में हुए अचानक बदलाव के वातावरणीय प्रभाव के कारण ही ये विलुप्त हुए थे.

जिसने नियंडरथल को खत्म कर दिया, उससे होमो सेपियंस कैसे बच गए ?

इसके अलावा इस दौरान हुआ सबसे बड़ा विनाश था, हमारे कजन्स यानी नियंडरथल का अचानक आज से 42,000 साल पहले गायब हो जाना. आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि जब हमारे कजन्स यानी, नियंडरथाल इस जीयो मैग्नेटिक के Excursion को servive नहीं कर सके तो हम होमो सेपियंस ने इसे कैसे servive कर लिया ? यहां पर चीज़ें सबसे ज्यादा रोमांचक हो जाती है.

Lashamp Excursion पर की गई स्टडीज कहती है कि इसका प्रभाव होमो सेपियंस पर भी हुआ लेकिन एक अलग तरीके से. मानो जो Excursion नियंडरथल के लिए एक श्राप बना था, वो हमारे (होमो सेपियंस) लिए एक वरदान बन गया. मानो Lashamp Excursion के कारण कमजोर हुए मैंगनेटिक फील्ड के चलते पृथ्वी पर आने वाले कॉस्मिक रेडियेशन ने उन होमो सेपियंस के डीएनए में कोई खास तरह का म्यूटेशन कर दिया हो.

इसके अलाबा एक और ऐसा प्रूफ है जो उस दौरान इंसानों की अचानक बुद्धिमत्ता पर आई थी. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उस समय होमो सेपियन्स ने भी इससे 42,000 साल पहले वे Excursion में अपनी स्कीन पर कोई लेप लगाकर कॉस्मिक रेडियेशन से अपना बचाव किया होगा.

क्या हो अगर geomagnetic excursion अभी शुरू हो जाये ?

इस समय इस तरह का कोई Excursion Event हुआ तो ये इंसानों के लिए सबसे बड़ा आपदा होगा. और परेशानी बात तो ये है कि कई वैज्ञानिकों का मानना है कि हम इस तरह के जियो-मैंगेटिक एक्सकर्चन इवेंट के बिल्कुल दहलीज पर खड़े हैं. क्योंकि पिछले 170 साल में ही अर्थ की मैंगेटिक फिल्ड बहुत तेजी से कमजोर हुआ है. और ये अपनी लगभग 10% स्ट्रेंथ खो चुका है.

एक और सवाल, क्या हो अगर geomagnetic excursion अभी शुरू हो जाये ? वैसे दुआ करिये कि ये ना हो क्योंकि इससे इंसानों का अंत भले ही ना हो, लेकिन इससे होने वाले नाटकीय जलवायु परिवर्तन (dramatic climate changes) जैसे ice age के कारण इंसानों की जनसंख्या अचानक 70-80% खतम हो जाएगी. आपके न चाहते हुए भी बिना बिजली, इंटरनेट और बिना फोन्स के रहने के लिए मजबूर हो जाओगे. क्योंकि cosmic radiation अर्थ का सारा electric grid system और satellite system का नाश कर देगा.

साथ ही साथ अर्थ पर मौजूद लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी इस radiation के कारण पूरी तरह से बेकार हो जाएंगे, जिसके कारण अगर किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी, चाहे वो हवा में उडने वाले जहाज हो या फिर सड़क पर चलने वाली कारें या फिर पानी में चलने वाले जहाज भी क्यों न हो, सभी किसी काम के नहीं होगे. इस से भी बड़ा आपदा तो ये होगा कि कमजोर magnetic field के कारण जब cosmic radiation अर्थ पर पड़ेगा तो climate change और radiation मिलकर अर्थ पर खेती करना काफी मुश्किल कर देंगे और सबसे खराब हालत में तो असंभव ही बना देंगे.

मतलब, सामान्य शब्दों में कहें तो इस geomagnetic excursion में रहना कुछ वैसा ही होगा, जैसे हम आज के समय में मंगल ग्रह पर जाकर रहने की कोशिश में है. अब आप ही बताये क्या आप इस तरह का adventure अपने life में करना चाहते हैं ?

  • कौशिक

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