Home गेस्ट ब्लॉग दिल्ली में पानी का संकट : आप समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का चिल्लपों आपके लिए है ?

दिल्ली में पानी का संकट : आप समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का चिल्लपों आपके लिए है ?

6 second read
0
1
204
यहां के लोग 3 महीने से पानी के बगैर तड़प रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. आज असल में पानी इतना कम हो चुका है कि लुटियन दिल्ली को भी पानी की सप्लाई पर दिल्ली सरकार ने सवाल खड़े कर दिए हैं. ये सब ड्रामा इसीलिए हो रहा है. और आप समझते हैं कि ये सब आपके लिए इतना चिल्लपों मचा हुआ है ?
दिल्ली में पानी का संकट : आप समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का चिल्लपों आपके लिए है ?
दिल्ली में पानी का संकट : आप समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का चिल्लपों आपके लिए है ?
Ravindra Patwalरविन्द्र पटवाल

दिल्ली के 2.5 करोड़ नागरिकों में से करीब 1.5 करोड़ लोग पिछले 3 महीने से पानी की भयानक किल्लत से परेशान हैं. कल सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को जमकर लताड़ लगाई, और स्पष्ट इशारा किया कि दिल्ली में टैंकर माफिया के चलते पीने के पानी की समस्या गहरा गई है. कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर आप कोई एक्शन नहीं लेते तो हम दिल्ली पुलिस को टैंकर माफिया के पीछे लगा देंगे.

ये सब आप सभी सुधीजन देख और पढ़ चुके होगे. लेकिन पूरी तहकीकात करेंगे तो पूरे मामले में बड़ा खेल हुआ है. यह एक ऐसा संगीन अपराध है, जिसमें जो दोषी है वह असल में पीड़ित है और जो इल्जाम लगाने वाला है, उसने इस चक्रव्यूह को रचने में अपनी शैतानी खोपड़ी का जबर्दस्त इस्तेमाल किया है.

अभी तक दिल्ली की केजरीवाल सरकार ऐसे सभी चक्रव्यूहों को तोड़ने में कामयाब रही थी. लेकिन इस बार लगता है अनुभव, लोमड़ी दिमाग काम नहीं कर रहा, क्योंकि शराब आबकारी मामले के साथ-साथ सारे बड़े नेता जेल में बंद हैं. याद कीजिये 6 महीने की खबरों को तो आप पाएंगे कि दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार की खबरें विपक्षी दलों के मार्फत सुर्ख़ियों में बनी हुई थी. इसे आधार बनाकर एक लंबा खेला लगता है खेला गया है.

डीजेबी में हजारों करोड़ रूपये के भ्रष्टाचार के आरोप को आधार बनाकर बिल पास नहीं किये गये. फिर जाड़े में हर साल की तरह प्रदूषण बड़ा मुद्दा बन गया. देखते ही देखते हजारों टैंकरों (इनके पुराने बिल पेंडिंग पड़े थे, और नए काम पर तो रोक लगा दी गई थी) का काम पूरी तरह से ठप पड़ गया.

अप्रैल में जब पानी की किल्लत हुई, जो अमूमन हर वर्ष दिल्ली के अनधिकृत रिहायशी इलाकों में होती ही है, तो टैंकर नदारद थे. कई लोगों ने तो धंधा ही बदल लिया था. कई टैंकर दिल्ली से बाहर चले गये थे. 70% आबादी पिछले 3 महीने से इस संकट से जूझ रही थी. इंडिया गठबंधन को कुछ कम वोट इस वजह से भी पड़े हैं, लेकिन इसकी सही-सही संख्या का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है.

इस बीच चुनाव भी संपन्न हो गये. अब पानी की घनघोर कमी हो चुकी है. हालांकि मानसून में चंद हफ्तों की देरी है. सब भूल गये कि दिल्ली जल बोर्ड किस स्थिति में है, और सप्लाई के लिए टैंकर जो बोर्ड के साथ अनुबंधित थे, वे अब किस हाल में हैं ?

दिल्ली की लंगड़ी-लूली राज्य सरकार (काहे की राज्य सरकार, जिसके हाथ में एक सिपाही तक नहीं), मेरी समझ में इस बार गच्चा खा गई. वह तो दो-तीन सीट पर जीत की तैयारी में व्यस्त थी, और अपने नेता की रिहाई पर उसका सारा ध्यान था. लेकिन दिल्ली प्रशासन जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद विशेष बिल के माध्यम से अब पूरी तरह से एलजी+गृह मंत्रालय के कब्जे में है, अधिकारियों को अब सिर्फ उनकी सुननी है.

ऐसे विषम हालात में उन्हीं अधिकारियों से काम लेना (जो मानने से साफ़ इंकार कर सकते हैं), वो भी केंद्र की मर्जी के विपरीत कोई हंसी-ठट्ठा नहीं है. हरियाणा कहता है हम तो पानी बराबर दे रहे हैं. पिछले शुक्रवार से हिमाचल से 136 क्यूसेक दिल्ली को मिलना तय हुआ था. यह सर्वोच्च न्यायालय का फैसला था. कल खंडपीठ इसी आदेश की बिना पर दिल्ली सरकार को जमकर धो रही थी. आज सुनवाई हुई. हिमाचल प्रदेश ने साफ कह दिया है कि उसके पास फ़ालतू पानी नहीं था, इसलिए कोई फालतू पानी नहीं दिया. अब हरियाणा की जांच भी होनी चाहिए. लेकिन जब तक ये तीन-पांच होगा तब तक मानसून ही आ जायेगा.

बहुत संभव है कि इस बार नार्मल की बजाय बहुत ज्यादा बरसात हो. याद कीजिये पिछले साल दिल्ली का लाल किला हरियाणा सरकार की मेहरबानी से घुटनों तक डूब गया था. तब दिल्ली की जनता को पहली बार पता चला कि आईटीओ बैराज की चाभी तो असल में हरियाणा सरकार के पास है. क्या गजब का नियम और व्यवस्था बनाई गई है !

दिल्ली में दो दिल्ली हैं. एक है एनडीएमसी (इसमें सांसद, जज, नौकरशाह और विदेशी राजनयिक और दूतावास सहित बड़े बड़े धन्नासेठों की कोठियां और केंद्रीय सरकार के कर्मचारी अफसर रहते हैं.) ये अंग्रेजों की बस्ती है. इस दिल्ली में पानी हर समय उपलब्ध है. पार्क यहां तक कि स्विमिंग पूल तक के लिए नियमित पानी की उपलब्धता दिल्ली सरकार को करनी ही करनी है.

दूसरी दिल्ली वह है जिसे एमसीडी के हिस्से में झोंक दिया गया है.
दिल्ली की सरकार के पास इन 2 करोड़ दिल्लीवासियों को देने के लिए वही है, जो लुटियन दिल्ली से बच जाये. फिर इस दिल्ली में भी कई श्रेणियां हैं: मसलन हौजखास, ग्रेटर कैलाश और दूसरी तरफ संगम विहार, बदरपुर महिपालपुर और छतरपुर के पीछे के हिस्से.

यहां के लोग 3 महीने से पानी के बगैर तड़प रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था. आज असल में पानी इतना कम हो चुका है कि लुटियन दिल्ली को भी पानी की सप्लाई पर दिल्ली सरकार ने सवाल खड़े कर दिए हैं. ये सब ड्रामा इसीलिए हो रहा है. और आप समझते हैं कि ये सब आपके लिए इतना चिल्लपों मचा हुआ है ?

कायदे से दिल्ली सरकार को हाथ जोड़कर एलजी साहब और केंद्र सरकार को कहना चाहिए कि माफ़ कीजिये, पूरे देश में डबल इंजन की सरकार आप चला ही रहे हैं. दिल्ली की जनता मूर्ख है जो उसने आपको न चुनकर अपनी ऐसी तैसी करवाने की ठानी थी. हमी हट जाते हैं रास्ते से, आप छककर राज कीजिये.

दिल्ली सरकार की बहुत सी कमियां हो सकती हैं लेकिन इस जल संकट की असली वजहों को जाने बिना बहुत से लोग सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से ही सब कुछ जान लेने का दावा कर रहे थे, उनके लिए लिखा है कि आज हिमाचल प्रदेश ने अपने हलफनामे में बता दिया है कि उसने कुछ भी एक्स्ट्रा पानी जारी ही नहीं किया तो पानी दिल्ली देगी कैसे ?

Read Also –

 

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
G-Pay
G-Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

चूहा और चूहादानी

एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी…