Home गेस्ट ब्लॉग राम राज्य : सच कहना आसान नहीं होता है !

राम राज्य : सच कहना आसान नहीं होता है !

2 second read
0
0
179
राम राज्य : सच कहना आसान नहीं होता है !
राम राज्य : सच कहना आसान नहीं होता है !
Subrato Chatterjeeसुब्रतो चटर्जी

अगर सच कहूं तो 60 लाख अपनों को खोने के बाद भी भारत की निकृष्टतम जनता ने, जिसे किसी भी पैमाने पर आदमी की परिभाषा में नहीं शामिल किया जा सकता है, दुनिया के भ्रष्टतम और पैशाचिक व्यक्ति को अपना रहनुमा यूपी में चुना.

बात आज सिर्फ़ हिंदी पट्टी की नहीं है. बात भारत के हरेक व्यक्ति और इलाक़े की है जिसे क्रिमिनल और गलित कुष्ठ (नैतिक रूप से) के असाध्य रोगियों, यानि भाजपा पसंद है.

मुझे दुनिया के इतिहास में ऐसा कोई भी युग नहीं दिखता है जिसमें किसी भी देश की इतनी बड़ी जनसंख्या विष्ठा को भोजन के रूप में ग्रहण करने के लिए इतना उद्यत हो. हिटलर की जर्मनी में भी नहीं, मुसोलिनी की इटली में भी नहीं.

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी के साथ हुए अन्याय के विरूद्ध हिटलर एक आवाज़ बन कर उभरा और राष्ट्रवाद के नैरेटिव के ज़रिए जर्मनी पर क़ब्ज़ा कर लिया. भारत में ऐसी कोई स्थिति नहीं थी.

विभाजन का दंश ज़रूर था, लेकिन विभाजन के लिए ज़िम्मेदार शक्तियों को समाज के सबसे घृणित व्यक्तियों के समूह के द्वारा समर्थन की परिधि इतना बढ़ जाएगी, किसी ने सोचा नहीं था.

हम कांग्रेस को दोष देते हैं कि उसने संघ पर बैन नहीं लगाया और 2002 के नरसंहार के दोषियों को फांसी पर नहीं चढ़ाया, लेकिन इसकी प्रतिक्रियास्वरूप नरसंहारी लोगों को चुनने की मजबूरी हमें कभी नहीं थी, ये हम भूल जाते हैं.

अपनी कमज़ोरियों का दोष दूसरों पर मढ़ने का इससे बेहतर नज़ीर दुनिया के किसी देश के इतिहास में आपको कहीं नहीं मिलेगा. दरअसल ये लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच है ही नहीं, ये लड़ाई दरअसल हमारे अंदर की कुंठा और हमारे लॉजिक के बीच है. दरअसल हमारा rationale हमारे पशुत्व से हार चुका है. हम जितनी जल्दी इस सत्य को मान लें उतना ही अच्छा है.

19 लाख चोरी की गई इवीएम मशीनों का खेल अब शुरू हो गया है. आप दुनिया के इतिहास के सबसे बड़े क्रिमिनल लोगों के खिलाफ इतनी आसानी से नहीं जीत सकते हैं. 6% वोटों का बढ़ना कोई मामूली बात नहीं है ।

अभी भी अगर विपक्षी दल जनता को सरकार के विरुद्ध सीधी लड़ाई में सड़कों पर नहीं उतारे तो यह देश गृहयुद्ध की तरफ़ बढ़ जायेगा. जब तक गोबर पट्टी के स्वैच्छिक ग़ुलामों को यह बात समझ आयेगी तब तक लुटिया डूब जायेगी.

न्यायपालिका ग़ुलाम हो चुकी है. विपक्ष हिजड़ों की फ़ौज है. जनता ठगी का शिकार है. प्रेस रंडी से बदतर है. ऐसे में जनता को देश बचाने के लिए खुद आगे आना होगा. हम एक बहुत लंबी और अंधकार सुरंग में समा गए हैं. कल शायद कोई सूरज नहीं उगे. हमने सूरज की संभावनाएं ख़त्म कर दीं हैं.

आपने राम राज्य के लिए मोदी को वोट दिया. राम राज्य में बिजली, नल का पानी, रेलवे, स्कूल कॉलेज, अस्पताल, ऑक्सीजन सिलेंडर, विज्ञान प्राद्यौगिकी, उद्योग धंधे, सरकारी नौकरी, कुछ नहीं था. आज जब मोदी जी प्राण पण से अठारह घंटे तक काम कर ये सारी चीज़ें देश में ख़त्म कर रहे हैं, तब आप क्यों रोना रो रहे हैं ?

पूर्ववर्ती सरकारों ने राम राज्य लाने की कोशिश नहीं की थी. इसलिए, धोबी की शिकायत पर कोई अपनी पत्नी को नहीं छोड़ता था और झूठी शिकायत करने पर धोबी को सज़ा मिलती थी.

मोदी जी के राम राज्य में प्रश्न पत्र लीक होने की ख़बर छापने पर पत्रकारों को जेल मिलती है. रेप की शिकायत करने पर लड़की समेत उसके सारे ख़ानदान को जेल भेज दिया जाता है. मुस्लिम नाम होने से उसके घर पर बुलडोज़र चला दिया जाता है.

अब लोगों को इससे भी शिकायत है. हैरत की बात है कि आपको इतना भी नहीं मालूम कि राम राज्य में जंबूद्वीप में कोई मुसलमान नहीं था. आज जब मोदी जी भारत को मुस्लिम मुक्त करने में लगे हैं तो आप उनकी शिकायत करते हैं.

रामराज्य में कोई ग़रीब नहीं था, इसलिए मोदी जी ने फ़ैसला किया है कि एक भी ग़रीब को भारत में जीने नहीं देंगे. इसके लिए हरेक वस्तु और सेवा की क़ीमत इतनी बढ़ा दिया जाए कि ग़रीबों की मृत्यु सुनिश्चित हो सके.

अभी अभी कपड़ों पर जीएसटी इसलिए बढ़ाया गया है कि लोग रामराज्य के समय में पहनी जाने वाली लंगोट में लौट जाएं. दरअसल, आप समझते ही नहीं हैं कि महामानव कैसे सोचते हैं. मैंने कुछ उदाहरण दिये हैं, आप इनमें जोड़ते जाईए.

Read Also –

राहुल सांकृत्यायन की पुस्तक ‘रामराज्य और मार्क्सवाद’ की भूमिका – ‘दो शब्द’
हिन्दुत्व का रामराज्य : हत्या, बलात्कार और अपमानित करने का कारोबार
रामराज्य : गुलामी और दासता का पर्याय
बलात्कार और हत्या : मोदी का रामराज्य
राम के नाम पर भारत के 7 हजार सर्वोच्च शोषक-शासकों के प्राण प्रतिष्ठा का मेगा शो

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे… एवं ‘मोबाईल एप ‘डाऊनलोड करें ]

scan bar code to donate
scan bar code to donate
Pratibha Ek Diary G Pay
Pratibha Ek Diary G Pay
Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

शातिर हत्यारे

हत्यारे हमारे जीवन में बहुत दूर से नहीं आते हैं हमारे आसपास ही होते हैं आत्महत्या के लिए ज…